आचार्य हिमांशु उपमन्यु: Chaitra Navratri 2023 आज 22 मार्च सन 2023 दिन बुधवार से इस बार नवरात्रि का आरंभ हो रही है. जब नवरात्र का आरंभ बुधवार के दिन से होता है तो भगवती जगदंबिका नाव रूपी वाहन पर सवार होकर भूमंडल पर आती हैं. नाव वाहन होने पर भगवती सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. इस बार नवरात्र का आरंभ उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में हो रहा है, जो कि पंचक नक्षत्रों में से एक है. इस कारण से यह नवरात्र मौसम को परिवर्तित करने वाला होगा.
नवरात्रि में पहले दिन देवी के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने शैलपुत्री के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया था. शैल का शाब्दिक अर्थ होता है पर्वत, इसलिए देवी का नाम शैलपुत्री रखा गया.
घटस्थापना के विशेष मुहूर्त
लाभ मुहूर्त- 6:11 से 7:42 am
अमृत मुहूर्त- 7:42 से 9:13
शुभ मुहूर्त- 10:45 से 12:00
घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री
एक थाली में रोली, चावल, कलावा, चुनरी, सुहाग सामग्री, सिंदूर, लौंग, इलायची, सुपारी, पान के पत्ते, आम के पत्ते, एक हरा नारियल, कलश, दियाली, चौकी या पाटा, बंदनवार, कपूर, भोग लगाने के लिए फल वा मिठाई, घी, रुई, माचिस, अखण्ड दीप, जौ,मिट्टी,पुष्प,माला, इत्र,धूपबत्ती आदि व्यवस्थित कर लें.
कलश स्थापना की विधि
इसके बाद भगवती के आसन के लिए शुद्ध लाल रंग का कपड़ा बिछाए. अखंड दीप बनाएं. कलश को स्थापित करने के लिए मिट्टी का कलश उसके ऊपर रखने के लिए सकोरा तथा हरे नारियल में लाल चुनरी कपड़ा बांधकर व्यवस्थित कर लें. कलश में स्वास्तिक बना लें. कलश में रखने के लिए पंच पल्लव की व्यवस्था कर लें. उसके बाद कलश के कंठ में कलावा बांध दें. जौ बोने के लिए एक मिट्टी के बड़े पात्र, पीतल या कांशे की थाली में मिट्टी और जौ मिलाकर रख लें. उसी के ऊपर कलश स्थापन करें. देवी जी को लाल वस्त्र के आसन के ऊपर स्थापित करें .
पूजा कैसे करे
सभी व्यवस्थाएं हो जाने के बाद सबसे पहले कलश को मिट्टी और जौ वाले पात्र के ऊपर रखें. सभी सामग्री को पूजन स्थान पर व्यवस्थित कर लें. अब सबसे पहले सभी को स्नान कराएं. इसके बाद कलश के अंदर रोली चावल सुपारी कुछ दक्षिणा पुष्प आदि समर्पित कर दें. इसके बाद कलश के ऊपर आम के पत्ते या पंचपल्लव रक्खे चावल से भरा हुआ पूर्ण पात्र रखें. उसके ऊपर चुनरी बंधा हुआ हरा नारियल रखें. इसके बाद हाथ में पुष्प लेकर सभी देवताओं का ध्यान करें और उसके बाद उन्हें स्नान कराएं वस्त्र पहनाएं. रोली चंदन सिंदूर आदि समर्पित करें. उसके पश्चात अक्षत वा पुष्प समर्पित करें. देवी को इत्र समर्पित करें. धूप दीप दिखाएं. भोग लगाएं और हाथ में पुष्प लेकर अपने मन की प्रार्थना उनके सामने करें.
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