Quad bill: अमेरिकी संसद में पास हुआ क्वाड बिल, चीन की बढ़ गई धुकधुकी; जानिए भारत के लिए इसकी अहमियत
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Quad bill: अमेरिकी संसद में पास हुआ क्वाड बिल, चीन की बढ़ गई धुकधुकी; जानिए भारत के लिए इसकी अहमियत

US News: अमेरिकी संसद के निचले सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने बहुप्रतीक्षित क्वाड बिल पास कर दिया है. जिसमें बाइडेन प्रशासन को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए एक क्वाड इंट्रा-संसदीय कार्य समूह बनाने का निर्देश दिया गया है.
 

Quad bill: अमेरिकी संसद में पास हुआ क्वाड बिल, चीन की बढ़ गई धुकधुकी; जानिए भारत के लिए इसकी अहमियत

US House passes Quad bill: अमेरिका की प्रतिनिधि सभा ने क्वाड विधेयक पारित कर दिया है जिसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के बीच घनिष्ठ सहयोग के वास्ते राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन को एक ‘क्वाड अंतर-संसदीय कार्य समूह’ स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं. ये विधेयक 39 के मुकाबले 379 वोट से पारित हुआ. ‘मजबूत अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया-भारत-जापान सहयोग’ या चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद (क्वाड) विधेयक में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के बीच संयुक्त सहयोग को मजबूत करने की बात कही गई है.

180 दिन के भीतर होगा सबकुछ फाइनल

इसमें विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया गया है कि वह विधेयक के अधिनियमित होने के 180 दिन के भीतर क्वाड के साथ कामकाज और सहयोग बढ़ाने की रणनीति कांग्रेस को प्रस्तुत करे और इसके अधिनियमन के 60 दिन के भीतर क्वाड अंतर-संसदीय कार्य समूह के गठन के लिए जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ बातचीत करे.

सालाना ऑडिट होगा 

इस खास वर्किंग ग्रुप में अमेरिका का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक अमेरिकी समूह की भी स्थापना होगी जिसमें कांग्रेस के अधिकतम 24 सदस्य होंगे. यह वार्षिक बैठकों और समूह नेतृत्व के लिए दिशानिर्देश भी तय करेगा. विधेयक में कहा गया है कि इस समूह को कांग्रेस की विदेश मामलों की समितियों को एक वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी.

भारत विरोधी मुस्लिम सांसद Ilhan Umar ने किया विरोध

डेमोक्रेटिक पार्टी के दो सांसदों ने विधेयक के विरोध में मतदान किया. उनमें से एक मिनियापोलिस से कांग्रेस महिला इल्हान उमर हैं. आपको बताते चलें कि उमर पहली सांसद हैं जो अमेरिका की संसद में हिजाब पहनकर गई थीं. भारत के अविभाजित हिस्से जम्मू कश्मीर और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आने वाले उनके बयान लगातार सुर्खियां बटोरते हैं. 

सांसद ग्रेगरी मीक्स द्वारा पेश किए गए इस विधेयक में यह भी कहा गया है कि विदेश मंत्रालय को क्वाड के साथ कामकाज और सहयोग को मजबूत करने की रणनीति के बारे में भी कांग्रेस को जानकारी देनी होगी.

प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति के वरिष्ठ सदस्य मीक्स ने कहा कि अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच चतुष्पक्षीय सुरक्षा वार्ता एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने और क्षेत्र में अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है.

भारत के लिए क्वाड के मायने समझिए-

इसी महीने की 10 फरवरी को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में कहा था कि उन्हें विश्वास है कि ‘क्वाड’ (चतुष्कोणीय सुरक्षा संवाद) समूह की प्रासंगिकता बढ़ेगी और यह क्षेत्रीय तथा क्षेत्र से परे राजनीति व नीति में एक बड़ा कारक बनेगा.

जयशंकर ने हिंद महासागर सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया की अपने समकक्ष पेनी वोंग के साथ एक चर्चा के दौरान ये टिप्पणियां कीं. वह दो दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए यहां आए हुए हैं.

भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया वाले ‘क्वाड’ समूह के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि यह समूह प्रमुख शक्तियों की बदलती क्षमताओं और पूरी दुनिया पर उसके असर का परिणाम है.

क्वाड का गठन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रुख से निपटने के लिए 2017 में किया गया था.

जयशंकर ने कहा, ‘यह हमारे लिए ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान के साथ तीन बहुत महत्वपूर्ण संबंधों को भी दर्शाता है जो शीत युद्ध खत्म होने के बाद बदल गए हैं.’

चारों देश इस समुद्री क्षेत्र के चार कोनों पर स्थित

क्वाड देश उस समुद्री क्षेत्र पर साथ काम करेंगे, जहां चीन खतरा बनकर उभरा है. ऐसे में जयशंकर ने कहा था- 'वो पूरे विश्वास के साथ यह भविष्यवाणी कर रहे हैं कि क्वाड की प्रासंगिकता बढ़ेगी और ये वृहद क्षेत्रीय और क्षेत्र से इतर राजनीति और नीति में एक बड़ा कारक बनेगा.’

विदेश मंत्री ने हिंद महासागर के देशों के साथ भारत की साझेदारी के बारे में भी बात की.

जयशंकर ने कहा, ‘आज हिंद महासागर के पुनर्निर्माण और उसे पुन: जोड़ने की चुनौती है. आप ऐसा भारत देखने जा रहे हैं जो हिंद महासागर में बहुत गहराई से जुड़ा होगा और बहुत गहरायी से उसमें निवेश करेगा...हमारा उद्देश्य यह होना चाहिए कि हिंद महासागर को अतीत की तुलना में आज अधिक जुड़ा हुआ, अधिक निर्बाध और समावेशी बनाया जाए.’

ऑस्ट्रेलिया के साथ द्विपक्षीय संबंधों के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि इसके बढ़ने की काफी संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हम व्यापार व आर्थिक क्षेत्र में और ज्यादा कर सकते हैं.’ जयशंकर ने पर्थ में भारतीय मूल के सैनिक नैन सिंह सैलानी के नाम पर रखे गए सैलानी एवेन्यू का भी दौरा किया था. रिकॉर्ड से पता चलता है कि उन्होंने सात फरवरी 1916 को पर्थ में ऑस्ट्रेलियन इम्पीरियल फोर्स में शामिल होने से पहले एक ‘मजदूर’ के रूप में काम किया था.

शिमला में जन्मे नैन सिंह उस समय 43 वर्ष के थे जब उन्हें ऑस्ट्रेलियन और न्यूजीलैंड आर्मी कोर की 44वीं इंफेंट्री बटालियन में शामिल किया गया था. वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी द्वारा चलाए एक आक्रामक अभियान में मारे गए थे. उन्हें ब्रिटिश वॉर मेडल, विक्ट्री मेडल और 1914/15 स्टार से सम्मानित किया जा चुका है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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