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Taiwan President Tsai Ing-wen: पिछले कुछ दिनों से ताइवान चर्चा के केंद्र बना हुआ है. वजह है चीन से पंगा. ताइवान और चीन का विवाद कोई आज का नहीं है. ताइवान देश अपने आप को आजाद मानता है और चीन का दावा है कि वो उनके क्षेत्र का हिस्सा है. ऐसे में अमेरिका से नैंसी पेलोसी ने आकर फिर एक बार चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया. पेलोसी ने ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन (Tsai Ing Wen) से बीते बुधवार मुलाकात भी की. आइए जानें कौन हैं ताइवान की वो स्टॉन्ग वूमेन जिसने चीन से सीधे पंगा ले रखा है.
चीन से खुला मुकाबला
साई वहीं महिला नेता हैं, जिन्होंने दुनिया के शक्तिशाली देश चीन की नींद उड़ा रखी है. बता दें कि साई इंग वेन का जन्म 31 अगस्त 1956 को हुआ था और वो 2016 से ताइवान की राष्ट्रपति हैं. डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की साई इंग वेन ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति भी हैं. साथ ही वे 2020 से डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की अध्यक्ष भी हैं. इससे पहले भी वे 2008 से 2012 और 2014 से 2018 तक पार्टी की अध्यक्ष रह चुकी हैं.
साई की पढ़ाई
साई की एजुकेशन की अगर बात की जाए तो कानून और अंतरराष्ट्रीय व्यापार की पढ़ाई की. उन्होंने स्नातक तक ताइवान में पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने अमेरिका से लॉ में मास्टर डिग्री और ब्रिटेन के लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से PhD किया. साल 1984 में वो पढ़ाई पूरी कर ताइवान लौट आईं. 1990 तक वो यूनिवर्सिटी में टीचर रहीं.
राजनीतिक जीवन की शुरुआत
साल 1993 साई के जीवन में टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. 1993 में ही साई को वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन से बातचीत के लिए ताइवान का नेगोशिएटर नियुक्त किया गया था. 2000 में वे ताइवान के राष्ट्रपति चेन शुई-बियान (Chen Shui-bian) के कार्यकाल में पहली बार मंत्री बनीं. हालांकि, उन्होंने तब तक कोई राजनीतिक पार्टी जॉइन नहीं की थी. साई इंग वेन 2004 में डीपीपी से जुड़ीं. इसके बाद वे राजनीतिक तौर पर सक्रिय हुईं. उनकी पार्टी जब विपक्ष में थी, तब वे पार्टी की अध्यक्ष भी बनीं. 2012 में उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था. हालांकि, इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2016 में साई इंग वेन को राष्ट्रपति चुनाव में प्रचंड बहुमत मिला. वे ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं.
चीन के सामने घुटने नहीं टेकेंगी साई
2020 के चुनाव में जीत में चीन के खिलाफ उनके रुख की अहम भूमिका रही. साई इंग वेन हमेशा ताइवान की पहचान पर जोर देती रही हैं. चीन लगातार ताइवान को धमकी देता रहा है. यहां तक कि चीनी लड़ाकू विमान भी अकसर ताइवान के एयर डिफेंस क्षेत्र में आ जाते हैं. लेकिन इन सबके बावजूद वे चीन को कई बार स्पष्ट संदेश दे चुकी हैं.
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