फिलिस्तीनी लोगों को ढाल क्यों बनाता है इजरायल, क्या है IDF का 'मॉस्किटो प्रोटोकॉल'?
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फिलिस्तीनी लोगों को ढाल क्यों बनाता है इजरायल, क्या है IDF का 'मॉस्किटो प्रोटोकॉल'?

Israel Hamas War: 'ब्रेकिंग द साइलेंस' (Breaking the Silence) ने सीएनएन को तीन तस्वीरें दीं. जिनमें इजरायली सेना (IDF) को गाजा (Gaza) में फिलीस्तीनियों को मानव ढाल (Palestinians as human shields) के रूप में इस्तेमाल करते हुए दिखाया गया है. इन तस्वीरों को देखकर 'मॉस्किटो प्रोटोकॉल' के बारे में सबकुछ समझ जाएंगे.

 

File Photo

Gaza News: 'हमास' (Hamas) के एक गुनाह-ए-अज़ीम की कीमत लाखों फिलिस्तीनियों को अपने सीने पर घाव खाकर चुकाई है. फिलिस्तीन के हॉट स्पाट 'गाजा' का नक्शा बदल गया. आईडीएफ (IDF) ने मिसाइलें और बम मार-मारकर गाजा की पहचान खत्म कर दी है. गाजा वीरान हो गया, उसकी ये हालत कैसे हुई? जिम्मेदार कौन है फिलिस्तीन या इजरायल? इन सवालों से इतर इजरायल हमास युद्ध (Israel Hamas war) के बीच इजरायल को गाजा में मिली कामयाबी के उस फार्मुले का पता चल गया है, जिससे दुनिया अनजान थी. इस नुस्खे के दम पर इजरायल ने खुद का कम से कम नुकसान सुनिश्चित करने के साथ-साथ हमास (Hamas) को खात्मे के कगार पर पहुंचा दिया. हमास का टॉप ऑर्डर खत्म हो चुका है, जो बच गए हैं, उनके सामने अस्तित्व का संकट है.

हमास को उसी के तरीके से जवाब

इजरायल की फौज ने गाजा की कई किलोमीटर लंबी सुरंगों में घुसने और उन्हे खाली कराकर तबाह करने और हमास के लड़ाकों को ढूंढने के लिए फिलिस्तीन के आम नागरिकों का मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया. हमास में बाहरी देशों के लड़ाके तो भर्ती होने आए नहीं थे. ऐसे में हमास के लोगों को अनहोनी का अंदेशा होता तो अनजान दस्तक है, तब उनके एक सवाल पूछा जाता. दरवाजे के बाहर से जो जवाब आता या जो तस्वीर उन्हें अंदर से दिखती उसमें फिलिस्तीन के आम लोगों की आवाज सुनाई देती थी या उनका चेहरा दिखता था. ऐसे में वो अपने ही लोगों पर गोली नहीं चला पाते थे. इसका फायदा इजरायल ने उठाया और इस तरह छोटी-छोटी कामयाबियों के साथ आज इजरायल ने करीब 90 फीसदी गाजा को सपाट कर दिया.

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मॉस्किविटो प्रोटोकॉल से स्लीपर सेल का खात्मा

सीएनएन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली फौज के एक सैनिक और पांच पूर्व फिलिस्तीनियों के हवाले से ये खुलासा हुआ कि जहां के लोग इजरायली सैनिकों को देखते ही हमला करके उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर देते थे, उन्हें ही इजरायल ने अपनी जीत के लिए मोहरा बना लिया. इजरायल ने अपने सैनिकों को नुकसान न पहुंचे ये सुनिश्चित करने के लिए फिलिस्तीनियों को गाजा के घरों और सुरंगों में पहले घुसने के लिए मजबूर किया. इस तरह उसने हमास के स्लीपर सेल का भी लगभग खात्मा कर दिया.

इजरायली सेना की हर यूनिट कुछ फिलिस्तीनियों को ढाल बनाकर अपने साथ रखती थी. ये प्रेक्टिस इज़रायली सेना में इतनी मशहूर हो गई क्योंकि ये सौ फीसदी कामयाब रही. इजरायल की फौज ने इसका कोड नाम 'मॉस्किटो प्रोटोकॉल' रखा.

इजरायली सेना ने ये पैंतरा कहां-कहां अपनाया यानी इस सीक्रेट ऑपरेशन सटीक पैमाना और दायरा अबतक अज्ञात है. लेकिन एक सैनिक और पांच नागरिकों की गवाही से पता चलता है कि ये काम पूरे गाजा में बड़े पैमाने पर हुआ. उत्तरी गाजा हो या गाजा शहर, या फिर खान यूनिस और राफा, हर जगह इस टेक्निक का इस्तेमाल हुआ.

कुछ ऑपरेशंस में डॉग स्क्वाएड का इस्तेमाल हुआ. ह्यूमन शील्ड बने फिलिस्तीनियों की आवाज का इस्तेमाल हुआ. हरी झंडी मिलते ही इजरायली सैनिकों ने अपने कैमरों और उपकरणों से हर उस जगह का कोना-कोना स्कैन किया जहां उसे आतंकवादियों के छिपे होने का इनपुट मिला था.

कैसे हुई पुष्टि?

ब्रेकिंग द साइलेंस' (Breaking the Silence) नाम के संगठन ने सीएनएन न्यूज़ नेटवर्क को 3 तस्वीरें दी थीं. जिनमें इजरायल (Israel) की सेना के उस ऑपरेशन 'मॉस्किटो प्रोटोकॉल' (Mosquito protocol) को बखूबी समझा जा सकता है. उन तस्वीरों में गाजा में फिलीस्तीनियों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करते हुए दिखाया गया है.

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