Israel Hezbollah Blast New: लेबनान की राजधानी बेरुत में एक के एक कई धमाके हुए. इस सीरियल बलास्ट में हिजबुल्ला आतंकियों को निशाना बनाया गया. यह धमाके पेजर की मदद से किए गए. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इजरायल ने यह अटैक कैसे किया? कैसे उसने एक साथ हिजबुल्ला के पेजरों में एक साथ ब्लास्ट कर दिए.
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Israeli Pager Strike on Hezbollah: लेबनान में इजरायल का सबसे बड़ा साइबर अटैक हुआ. लेबनान की राजधानी बेरुत में एक के एक कई धमाके हुए. इस सीरियल बलास्ट में हिजबुल्ला आतंकियों को निशाना बनाया गया. यह धमाके पेजर की मदद से किए गए. हिजबुल्ला आतंकियों के हाथ में पेजर फट गए. इस पेजर ब्लास्ट में एक हजार से ज्यादा लोग घायल हुए. इजरायल ने टेक्नोलॉजी की मदद से हिजबुल्ला के पेजरों को बम में बदल दिया. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इजरायल ने यह अटैक कैसे किया? कैसे उसने एक साथ हिजबुल्ला के पेजरों में एक साथ ब्लास्ट कर दिए. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं.
Pager क्या होता है?
लेबनान में हिजबुल्ला के पेजरों में कैसे ब्लास्ट (Hezbollah Pager Blast) हुए, यह समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर पेजर होता क्या है. पेजर एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है, जिसका इस्तेमाल लेबनान में व्यापक रूप से किया जाता है. मोबाइल फोन की तरह ही लोग पेजर का भी खूब इस्तेमाल किया जाता है. खासकर डॉक्टरों, पेशवरों और आपातकालीन सेवाओं द्वारा इसका इस्तेमाल किया जाता है. यह एक छोटा सा पोर्टेबल डिवाइस होता था जो एक विशिष्ट संख्या से जुड़ा होता है. जब किसी को दूसरे व्यक्ति से संपर्क करना होता है, तो वह एक नंबर डायल करते है और पेजर पर एक मैसेज भेजा जाता है.
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इजरायल ने कैसे किया पेजर में सीरियल ब्लास्ट?
पेजर का इस्तेमाल कम्यूनिकेशन के लिए किया जाता है. ये पेजर जॉर्डन से मंगाए गए थे. पेजर में एक खास फ्रिक्वेंसी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी मदद से एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को मैसेज भेज सकता है. साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक अगर किसी डिवाइस में ब्लास्ट होता है तो वो बैटरी की वजह से होता है. बैटरी अपने आप में एक रिस्क फैक्टर होता है और उसकी टेस्टिंग होती है. पहले बैटरी के साइज कम होते थे लेकिन आजकल मोबाइल में काफी हैवी बैटरी आती हैं. बैटरी को टेस्ट किया जाता है कि वो ओवरचार्जिंग या ज्यादा यूज करन से डैमेज तो नहीं होगी. बैटरी की कड़ी टेस्टिंग की जाती है. लेबनान में हुए पेजर ब्लास्ट की प्लानिंग बड़े अच्छे से की गई है. पहले तो बैटरी का सॉफ्टवेयर को कॉम्प्रोमाइज किया गया होगा और उसके बाद टाइमिंग सेट की गई होगी. इसके बाद ब्लास्ट किए गए. यह बहुत ऑर्गनाइज्ड सिस्टम था. इसमें पूरा सप्लाई चेन कॉम्प्रोमाइज्ड है. जहां से बैटरी बनते हैं, जो बैटरी यूज की गई हैं, जो सॉफ्टवेयर अपडेट आते हैं, जब तक यह सारी चीजें कॉम्प्रोमाइज्ड नहीं होंगी तब तक ऐसा ब्लास्ट बहुत मुश्किल है.
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