क्यों बदला था ध्यानचंद का नाम? दनादन गोल मारने में उस्ताद...हिटलर भी बना फैन, 10 अनोखे फैक्ट्स
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क्यों बदला था ध्यानचंद का नाम? दनादन गोल मारने में उस्ताद...हिटलर भी बना फैन, 10 अनोखे फैक्ट्स

Major Dhyan Chand Facts: भारत और दुनिया भर में कई लोगों के लिए ध्यानचंद एक आदर्श हैं. आप हॉकी फैंस से जाकर पूछेंगे तो आपको अभी भी लोग कहेंगे कि ध्यानचंद से बेहतर हॉकी खिलाड़ी देश ही नहीं बल्कि दुनिया को नहीं मिला. आज उनकी 45वीं पुण्यतिथि है. हम आपको यहां उनके बारे में 10 फैक्ट्स बता रहे हैं.

 

क्यों बदला था ध्यानचंद का नाम? दनादन गोल मारने में उस्ताद...हिटलर भी बना फैन, 10 अनोखे फैक्ट्स

Major Dhyan Chand Facts: भारत और दुनिया भर में कई लोगों के लिए ध्यानचंद एक आदर्श हैं. आप हॉकी फैंस से जाकर पूछेंगे तो आपको अभी भी लोग कहेंगे कि ध्यानचंद से बेहतर हॉकी खिलाड़ी देश ही नहीं बल्कि दुनिया को नहीं मिला. अगर आपने उनके बारे में कहानियां सुनी हैं, तो आप हॉकी स्टिक के साथ एक जादूगर की कल्पना कर सकते हैं. कुछ लोगों के लिए वह एक कलाकार थे, जो अपनी स्टिक को पेंट ब्रश की तरह इस्तेमाल करते थे. ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को हुआ था. 3 दिसंबर 1979 को उनका निधन हो गया था. आज उनकी 45वीं पुण्यतिथि है. हम आपको यहां उनके बारे में 10 फैक्ट्स बता रहे हैं.

ध्यानचंद के बारे में 10 रोचक फैक्ट्स:
1. ध्यान सिंह नाम के इस युवक ने 16 साल की उम्र में सेना जॉइन की. सेना में रहते हुए हॉकी से उनका प्यार बढ़ गया. रात के अंधेरे में चांद की रोशनी में वो घंटों हॉकी की प्रैक्टिस करते थे. इसीलिए उनके साथी खिलाड़ी उन्हें प्यार से ध्यानचंद कहने लगे. उनका नाम ध्यान सिंह से ध्यानचंद हो गया.

2. एक हॉकी मैच के दौरान ध्यानचंद कई प्रयासों के बाद भी गोल नहीं कर पाए. वह खुश नहीं थे और उन्होंने अधिकारियों से गोलपोस्ट का आकार मापने को कहा. आश्चर्यजनक रूप से यह पाया गया कि गोलपोस्ट की आधिकारिक चौड़ाई अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप नहीं थी.

3. ध्यानचंद की हॉकी स्टिक को एक बार नीदरलैंड के अधिकारियों ने यह जांचने के लिए तोड़ दिया था कि कहीं उसमें कोई चुम्बक तो नहीं है. अधिकारी ध्यानचंद के खेल से हैरान थे. उन्होंने इस खेल में अविश्वसनीय महारत हासिल कर ली थी और बहुत सारे गोल किए थे.

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4. 1932 ओलंपिक में भारत ने अमेरिका को 24-1 से और जापान को 11-1 से हराया. ध्यानचंद और रूप सिंह ने 25 गोल किए और तब से उन्हें हॉकी जुड़वां कहा जाने लगा.

5. 1935 में जब भारतीय हॉकी टीम ऑस्ट्रेलिया में थी, ध्यानचंद की मुलाकात एडिलेड में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी के दिग्गज डॉन ब्रैडमैन से हुई. उनका खेल देखने के बाद ब्रैडमैन उनकी स्टिक-वर्क से बहुत प्रभावित और आश्चर्यचकित हुए.

6. कई रिपोर्टों के अनुसार, जर्मनी के एडोल्फ हिटलर ध्यानचंद की हॉकी में शानदार प्रदर्शन से प्रभावित हुए. उन्होंने भारतीय खिलाड़ी को जर्मन सेना में कर्नल का पद देने की पेशकश की, लेकिन ध्यानचंद ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया.

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7. मेजर ध्यानचंद ने 185 खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और 400 से अधिक गोल किए. यह रिकॉर्ड अभी तक कायम है.

8. ध्यान चंद ने 1928, 1932 और 1936 में भारत की लगातार तीन ओलंपिक गोल्ड मेडल जीत में सहायता की.

9. 2012 में भारत सरकार ने मेजर ध्यानचंद की उपलब्धियों और भारतीय खेलों में योगदान को मान्यता देने के लिए उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में घोषित किया.

10. भारत के महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के सम्मान में, देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार का नाम बदलकर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया है. पहले इसे राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के नाम से जाना जाता था, लेकिन 2021 में इसका नाम बदल दिया गया.

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