क्रिकेट इतिहास का सबसे 'जानलेवा शॉट', बल्लेबाज का ब्रेन फेड, टीम के हाथ से फिसल गया था वर्ल्ड कप
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क्रिकेट इतिहास का सबसे 'जानलेवा शॉट', बल्लेबाज का ब्रेन फेड, टीम के हाथ से फिसल गया था वर्ल्ड कप

1987 वर्ल्ड कप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में पांच विकेट पर 253 रन बनाए. जब तक माइक गैटिंग पिच पर थे, ये लग रहा था कि इंग्लैंड जीत सकता है. लेकिन उनके और एलेन लैंब के आउट होते ही इंग्लैंड की पारी लड़खड़ा गई.

क्रिकेट इतिहास का सबसे 'जानलेवा शॉट', बल्लेबाज का ब्रेन फेड, टीम के हाथ से फिसल गया था वर्ल्ड कप

इंग्‍लैंड में लगातार तीन वर्ल्ड कप का आयोजन होने के बाद 1987 का वर्ल्ड कप पहली बार इंग्लैंड से बाहर आयोजित किया गया. 1987 के वर्ल्ड कप की मेजबानी भारत और पाकिस्तान ने संयुक्त रूप से की. 8 नवंबर 1987 को वर्ल्ड कप 1987 का फाइनल कोलकाता के ईडन गार्डन में खेला गया. यह मुकाबला इंग्‍लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ. यह वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के दबदबे की शुरुआत थी.

माइक गेटिंग के रिवर्स स्वीप शॉट ने डुबोई इंग्लैंड की नैया

1987 वर्ल्ड कप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में पांच विकेट पर 253 रन बनाए. जब तक माइक गैटिंग पिच पर थे, ये लग रहा था कि इंग्लैंड जीत सकता है. लेकिन उनके और एलेन लैंब के आउट होते ही इंग्लैंड की पारी लड़खड़ा गई. एक बार फिर वे दुर्भाग्यशाली रहे और वर्ल्ड कप का खिताब उनसे दूर रह गया. ऑस्ट्रेलिया ने सात रन से जीत हासिल कर वर्ल्ड कप पर पहली बार कब्‍जा किया. इंग्‍लैंड के कप्‍तान माइक गैटिंग ने बीच मैच में एक अनोखे शॉट को खेलने का प्रयास किया जिससे उनकी टीम का बड़ा नुकसान हो गया.

गंवाया 1987 वर्ल्ड कप जीतने का मौका

वर्ल्ड कप 1987 के फाइनल में इंग्‍लैंड 254 रनों के लक्ष्‍य का पीछा कर रही थी. इंग्‍लैंड की टीम 2 विकेट पर 135 रन बनाकर मजबूत स्थिति में थी. माइक गैटिंग 41 रन बनाकर खेल रहे थे. एलन बॉर्डर ने 31वें ओवर की पहली गेंद लेग स्‍टंप पर फेंकी जिस पर गैटिंग ने रिवर्स स्विप शॉट खेलने का प्रयास किया, गेंद उनके बल्‍ले के ऊपरी हिस्‍से पर लगकर हवा में उछल गई, जिसे विकेट कीपर ग्रैग डायर ने आसानी से लपक लिया. इंग्‍लैंड को यह विकेट इतना भारी पड़ा कि वह 8 विकेट पर 246 रन ही बना पाया और 8 रनों से हार का सामना करना पड़ा. गैटिंग का विकेट मैच का टर्निंग पाइंट साबित हुआ और ऑस्‍ट्रेलिया पहली बार वर्ल्ड कप ट्रॉफी पर कब्‍जा करने में कामयाब रहा. 

भारतीय उपमहाद्वीप का दावा मजबूत हुआ

1983 के वर्ल्ड कप में जीत हासिल करने के कारण भारतीय उपमहाद्वीप का दावा मजबूत हुआ. 1987 वर्ल्ड कप में पहली बार कुल ओवरों की संख्या 60 से घटाकर 50 कर दी गई. इस वर्ल्ड कप में आठ टीमों को शामिल किया गया, जिन्‍हें दो ग्रुप में विभाजित किया गया. ग्रुप ए में भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जिम्बाब्वे की टीमें थी, तो ग्रुप बी में पाकिस्तान, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और श्रीलंका की टीमें थी. भारत की टीम ने ग्रुप मुकाबले में शानदार प्रदर्शन किया. ऑस्ट्रेलिया से उसका मुकाबला जबरदस्त रहा. दोनों ने एक-एक बार एक-दूसरे को हराया. लेकिन रन गति के आधार पर भारत को अपने ग्रुप में शीर्ष स्थान मिला. वहीं, ग्रुप बी से पाकिस्तान की टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और शीर्ष स्थान हासिल किया. इंग्लैंड की टीम ने ठीक-ठाक प्रदर्शन किया लेकिन दूसरे नंबर पर आ ही गई. पहली बार वेस्टइंडीज की टीम सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंच पाई.

ऑस्ट्रेलिया का मुकाबला पाकिस्तान से हुआ

पहले सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया का मुकाबला पाकिस्तान से हुआ. ऑस्ट्रेलिया ने पहले खेलते हुए आठ विकेट पर 267 रन बनाए. जवाब में पाकिस्तान ने 38 रन पर ही तीन विकेट गिर गए. इमरान खान और जावेद मियांदाद ने पारी संभालने की कोशिश की लेकिन उनके आउट होते ही पाकिस्तान की पारी लड़खड़ा गई. ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी बार फाइनल में जगह बनाई. दूसरे सेमीफाइनल में मेजबान भारत का मुकाबला था इंग्लैंड से. मुंबई की पिच पर ग्राहम गूच और माइक गैटिंग ने स्वीप शॉट खेल-खेलकर भारतीय गेंदबाज़ों के छक्के छुड़ा दिए और 19 ओवर में 117 रन बना डाले. गूच ने 115 रनों की पारी खेली और गैटिंग ने 56 रन बनाए. इंग्लैंड ने 50 ओवर में छह विकेट पर 254 रन बनाए. भारत के लिए यह स्कोर भारी पड़ा और पूरी टीम 219 रन बनाकर आउट हो गई. भारत की टीम 35 रनों से हारकर वर्ल्ड कप से बाहर हो गई.

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