Solar Storm: 3-4 दिनों में धरती पर होने वाली है भयंकर तबाही! 22 लाख मील प्रति घंटे से आ रहा 'सौर तूफान'
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Solar Storm: 3-4 दिनों में धरती पर होने वाली है भयंकर तबाही! 22 लाख मील प्रति घंटे से आ रहा 'सौर तूफान'

NASA warning on solar storm: नासा समेत दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियों ने एक बहुत खतरनाक चेतावनी दी है. धरती की ओर एक बड़ा सौर तूफान आ रहा है, इसकी वजह से सैटेलाइट, पावर ग्रिड, स्पेस स्टेशन सब कुछ खतरे में है. GPS के भी जाम होने का खतरा है. आइए जानते हें सौर तूफान.

Solar Storm: 3-4 दिनों में धरती पर होने वाली है भयंकर तबाही! 22 लाख मील प्रति घंटे से आ रहा 'सौर तूफान'

Solar Storm: सोलर तूफान के खतरे को लेकर नासा समेत कई अंतरिक्ष एजेंसियों ने भयंकर चेतावनी दी है. इस सौर तूफान के कारण सैटेलाइट, पावर ग्रिड और स्पेस स्टेशन को खतरा हो सकता है. नासा के वैज्ञानिकों ने कहा है कि सूर्य से एक खतरनाक सौर तूफान पैदा हुआ है. इस सौर तूफान के बहाव का रुख पृथ्वी की ओर ही है.  इस तूफान में मौजूद आवेशित कण काफी मजबूत हैं, जो जीपीएस या रेडियो सिग्नल को ब्लॉक कर सकते हैं और किसी भी इलेक्ट्रिक डिवाइस को बंद कर सकते हैं.

स्पेस डॉट कॉम वेबसाइट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, धरती की तरफ तीन अलग-अलग कोरोनल मास इजेक्शन (CME) बढ़ रहे हैं, जिसका मतलब है कि इस सप्ताह अमेरिका और यूरोप में कई सारी तबाही दिख सकती है.  CME चुंबकीय क्षेत्र और प्लाज्मा का वह विशाल विस्फोट हैं जो सूर्य से निकलने वाले सौर फ्लेयर्स से उत्पन्न होते हैं, जो पृथ्वी पर हमारे लिए शक्तिशाली भू-चुंबकीय तूफानों का कारण बन सकते हैं. स्पेसवेदर डॉट कॉम के मुताबिक, अनुसार, तीसरा और अंतिम कोरोनल मास इजेक्शन (CME) जो 8 अगस्त को सूर्य की सतह से फटा था, जो 1,000 किमी/सेकंड (2.2 मिलियन मील प्रति घंटे) से अधिक तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है.

रेडिएशन का पूरी दुनिया पर असर
वैज्ञानिकों का कहना है कि सोलर तूफान से निकलने वाला रेडिएशन पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है. इतना ही नहीं यह धरती के आसपास के वातावरण में भी असर दिखाता है. इतिहास में पहले भी कई सोलर तूफान दर्ज किए जा चुके हैं. कनाडा के क्यूबेक शहर में एक सोलर तूफान साल 1989 में दर्ज किया गया था. इसकी वजह से पूरे शहर की बिजली लापता हो गई थी. वहीं साल 1859 में अमेरिका में महाशक्तिशाली सौर तूफान नोटिस किया गया था.

सबसे ज्यादा असर किसपर होगा
सौर तूफानों को जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म के नाम से भी जाना जाता है. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव रेडियो सिग्नल, बिजली की ग्रीड और संचार सिग्नलों पर देखने को मिलता है. अंतरिक्ष में धरती का चक्कर लगा रहे सेटेलाइट पर इनका प्रभाव ज्यादा पड़ता है जिससे डाटा कलेक्शन में दिक्कत होती है. उदाहरण के लिए मौसम का अनुमान लगाने वाले सेटेलाइट पर जब सौर तूफानों का प्रभाव पड़ता है, तब सिग्लन में दिक्कत पैदा हो जाती है. इससे मौसम का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है.

पृथ्वी की ओर बढ़ रहा सौर तूफान
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि सूर्य से उत्सर्जित सामग्री और ऊर्जा के कारण भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी के रास्ते पर हैं इससे उपग्रह, बिजली ग्रिड और अंतरिक्ष स्टेशन खतरे में हैं. प्रवक्ता के अनुसार, तीन कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) वर्तमान में पृथ्वी की ओर बढ़ रहे हैं. पहले दो एम-क्लास सौर फ्लेयर्स 7 अगस्त को सूर्य से उत्सर्जित हुए थे. शुरुआती कोरोनल मास इजेक्शन अपेक्षाकृत छोटे थे, लेकिन तीसरा एक्स1.3-क्लास सौर फ्लेयर इनसे कहीं ज्यादा शक्तिशाली है. प्रवक्ता ने कहा कि सूर्य की सतह से एक और एम-क्लास फ्लेयर्स रिलीज किए गए हैं.

3 से 4 दिनों में धरती से टकरा सकता है
तीन से चार दिनों में पृथ्वी से टकराने की आशंका–सूर्य की सतह से प्लाज्मा और चुंबकीय तरंगों के प्रभाव अगले तीन से चार दिनों में पृथ्वी तक पहुंचने की उम्मीद है. जैसे-जैसे सूर्य अपनी गतिविधि के चरम पर पहुंच रहा है, पृथ्वी को सौर तूफानों से संबंधित जोखिमों का भी उतना ही ज्यादा सामना करना पड़ता है. ये सौर तूफान रेडियो ब्लैकआउट का कारण बन सकते हैं, सैटेलाइट, सेलुलर फोन और जीपीएस नेटवर्क को जाम कर सकते हैं.

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