Shraddha aaftab murder mystery: न्यूरोसाइंस की दुनिया में अपराधियों के दिमाग को लेकर कई तरह के शोध लगातार चल रहे हैं. कुछ वैज्ञानिकों ने रिसर्च कर इस बात का पता लगाने की कोशिश की है कि आखिर बर्बर हत्यारों का दिमाग किस तरह आम इंसानों से अलग होता है.
Trending Photos
Brain mapping of murderer: दिल्ली में श्रद्धा वालकर मर्डर केस में पुलिस तेजी से कार्रवाई को अंजाम दे रही है. बता दें कि आफताब पूनावाला (28) ने कथित तौर पर अपनी लिव इन पार्टनर श्रद्धा वालकर की गला दबाकर हत्या कर दी थी और उसके शव के 35 टुकड़े करके दक्षिण दिल्ली के महरौली के जंगलों में अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया था. इस हत्या कांड मामले के बारे में जिसने भी सुना उसके रोंगटे खड़े हो गए. इस तरह की बर्बर हत्या करने वाले अपराधियों का दिमाग किस तरह से काम करता है. इसे लेकर न्यूरोसाइंस की दुनिया में कई रिसर्च किए गए. न्यूरोसाइंस की मानें तो बर्बर हत्या को अंजाम देने वाले कातिलों का दिमाग आम इंसानों की तुलना में अलग तरह से व्यवहार करता है.
वैज्ञानिकों ने किए ऐसे दावे
फादर ऑफ साइंटिफिक क्रिमिनोलॉजी (father of criminology) के नाम से मशहूर इटली के डॉक्टर शेजरे लॉम्बोर्सो ने कहा कि कातिलों की शरीर की बनावट बिल्कुल अलग होती है. उनके हाथ और कान आम इंसानों की तुलना में काफी लंबे होते हैं लेकिन जब जेल में बंद कातिलों पर इस फार्मूले को आजमाया गया तो डॉक्टर शेजरे लॉम्बोर्सो का दावा गलत पाया गया क्योंकि हत्यारों के हाथ और कान दोनों ही नार्मल पाए गए.
ब्रेन स्कैनिंग कर मिला यह परिणाम
ऐसी ही एक स्टडी अमेरिकी जेलों में बंद पड़े कोल्ड-ब्लडेड मर्डरर पर की गई तो पता चला कि हत्यारों के ब्रेन के कुछ भाग सिकुड़े हुए थे. दिमाग के प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स की सिकुड़न को गुस्से और उसके बाद हत्यारों की प्रतिक्रियाओं से जोड़कर देखा गया. दिमाग का ये हिस्सा लोगों को खुद और भावनाओं पर कंट्रोल सिखाता है. हालांकि कई रिसर्चर ने साफ तौर पर इस बात को मानने से इनकार कर दिया गया. न्यूरोक्रिमिनोलॉजिस्ट एड्रियन रायन ने 35 सालों की रिसर्च के बाद इस बात का खुलासा किया था. हालांकि एकेडमिक इनसाइट्स फॉर द थिंकिंग वर्ल्ड में छपी एक रिपोर्ट में भी कुछ ऐसी ही बातें बताई गईं जो एड्रियन रायन के दावों से कुछ हद तक मेल खाती थीं.
इसके बाद कुछ रिसर्चर ने दावा किया कि बर्बर हत्यारों में MAOA (मोनोअमीन ऑक्सीडेज ए) नाम के एक जीन की गैर-मौजूदगी होती है जिसका संबंध भावनाओं से होता है. अगर ये जीन गायब है तो लोगों का बिहैवियर आम इंसानों से अलग होता है. पर ये जरूरी नहीं की इस जीन के गायब होने से हर कोई हत्यारा बन जाए. पारिवारिक माहौल का भी इसके साथ गहरा प्रभाव पड़ता है. इस जीन के गायब होने का ज्यादातर खतरा पुरूषों में होता है. न्यूरोसाइंस की दुनिया में अपराधियों के दिगाम को लेकर आज भी कई तरह के शोध हो रहे हैं.
ये स्टोरी आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर