Astronauts: बाप रे! साइंस ने तो बहुत तरक्की कर ली...अब एस्टेरॉइड को दूध में मिलाकर पी जाएंगे एस्ट्रोनॉट्स
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Astronauts: बाप रे! साइंस ने तो बहुत तरक्की कर ली...अब एस्टेरॉइड को दूध में मिलाकर पी जाएंगे एस्ट्रोनॉट्स

Science News: भविष्य में अंतरिक्ष यात्री एक ऐसी डाइट ले सकते हैं जो कि ऐस्टेरॉइड पर पनपने वाले बैक्टीरिया से तैयार किया गया हो. यह डाइट एक तरह का मिल्क-शेक या दही जैसा हो सकता है.

Astronauts: बाप रे! साइंस ने तो बहुत तरक्की कर ली...अब एस्टेरॉइड को दूध में मिलाकर पी जाएंगे एस्ट्रोनॉट्स

Science News: भविष्य में अंतरिक्ष यात्री एक ऐसी डाइट ले सकते हैं जो कि ऐस्टेरॉइड पर पनपने वाले बैक्टीरिया से तैयार किया गया हो. यह डाइट एक तरह का मिल्क-शेक या दही जैसा हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अंतरिक्ष यात्री सलाद जैसी सब्जियां उगाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अधिकतर खाने की चीज पृथ्वी से लाई जाती है. यह लंबी और दूर की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए संभव नहीं होगा. यही कारण है कि इस नई डाइट पर काम तेजी से चल रहा है.

एस्ट्रोनॉट्स की डाइट में शामिल होगा ऐस्टेरॉइड

कनाडा के वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के जोशुआ पियर्स और उनकी टीम ने सोचा कि बैक्टीरिया का इस्तेमाल करके ऐस्टेरॉइड के कार्बन युक्त यौगिकों को खाने योग्य फूड में बदला जा सकता है. हालांकि उन्होंने असली ऐस्टेरॉइड का इस्तेमाल नहीं किया है. पियर्स की टीम ने पहले प्लास्टिक से बने बचे हुए भोजन के पैकेट को तोड़ने के लिए बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया. इसके लिए उन्होंने प्लास्टिक को ऑक्सीजन के बिना गर्म किया (जिसे पायरोलिसिस कहा जाता है) और फिर इस प्लास्टिक को कार्बन खाने वाले बैक्टीरिया को खिलाया.

प्रयोग पर तेजी से चल रहा काम

पियर्स का कहना है, "जब हम पायरोलिसिस से मिले पदार्थों और ऐस्टेरॉइड में मौजूद यौगिकों की तुलना करते हैं, तो वे काफी हद तक मेल खाते हैं." इसलिए, उन्हें विश्वास है कि यह प्रक्रिया काम कर सकती है. इस बैक्टीरिया का अंतिम रूप "कैरामेल मिल्क-शेक" जैसा दिखता है. टीम ने इस पदार्थ को सुखाने की कोशिश की ताकि यह दही या पाउडर जैसा हो सके.

मिल सकती है बड़ी सफलता

अगर यह प्रयोग सफल हुआ तो भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए ऐस्टेरॉइड पर आधारित बैक्टीरिया से तैयार भोजन एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है. यह न केवल अंतरिक्ष में भोजन की चुनौती को हल करने में मदद करेगा. बल्कि हमें यह भी सिखाएगा कि कैसे हम पृथ्वी से बाहर भी जीवन को बनाए रख सकते हैं. इस शोध के माध्यम से, हम अंतरिक्ष यात्रा को अधिक सुविधाजनक और स्वास्थ्यवर्धक बना सकते हैं. जो मानवता के लिए नए दरवाजे खोलेगा.

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