CJI Chandrachud Retirement: CJI चंद्रचूड़ के कार्यकाल का आखिरी दिन.. जाते-जाते क्यों बोले- 'मिच्छामी दुक्कड़म'
Advertisement
trendingNow12506213

CJI Chandrachud Retirement: CJI चंद्रचूड़ के कार्यकाल का आखिरी दिन.. जाते-जाते क्यों बोले- 'मिच्छामी दुक्कड़म'

Michhami Dukkadam: मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन अपने अनुभवों और भावनाओं को साझा किया. अपनी विदाई के दौरान उन्होंने जैन धर्म का एक विशेष शब्द 'मिच्छामी दुक्कड़म' कहा, जो सभी से क्षमा मांगने का प्रतीक है.

CJI Chandrachud Retirement: CJI चंद्रचूड़ के कार्यकाल का आखिरी दिन.. जाते-जाते क्यों बोले- 'मिच्छामी दुक्कड़म'

Michhami Dukkadam: मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन अपने अनुभवों और भावनाओं को साझा किया. अपनी विदाई के दौरान उन्होंने जैन धर्म का एक विशेष शब्द 'मिच्छामी दुक्कड़म' कहा, जो सभी से क्षमा मांगने का प्रतीक है. इस शब्द का उपयोग उन्होंने इस भावना के साथ किया कि अगर अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने किसी का मन अनजाने में दुखाया हो, तो उन्हें माफ कर दिया जाए.

नवंबर 2022 में शुरू हुआ था कार्यकाल

डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल नवंबर 2022 में शुरू हुआ था और उन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले दिए. उन्होंने अपने कार्यकाल में महत्वपूर्ण फैसलों पर काम किया, जिसमें धारा 370 की संवैधानिकता को बरकरार रखना और LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज उठाना शामिल है. सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल को समाप्त करते हुए उन्होंने कहा कि अब वह "न्याय नहीं दे पाएंगे, लेकिन संतुष्ट हैं". इस दौरान न्यायमूर्ति संजीव खन्ना उनके उत्तराधिकारी के रूप में चयनित हुए हैं, जो 11 नवंबर से नए मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण करेंगे.

साझा किए अपने अनुभव

अपने अनुभव साझा करते हुए CJI चंद्रचूड़ ने एक हल्की-फुल्की घटना का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि कैसे अपने रजिस्ट्रार न्यायिक से बातचीत करते समय उन्होंने मजाक में कहा कि शुक्रवार की दोपहर दो बजे शायद समारोह में कोई नहीं होगा, और वे खुद को ही स्क्रीन पर देख रहे होंगे.

न्यायालय में अपने कर्तव्यों को एक तीर्थ यात्रा के समान बताया

न्यायालय में अपने कर्तव्यों को एक तीर्थ यात्रा के समान बताते हुए, उन्होंने सभी जजों के काम को महत्वपूर्ण बताया. चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट के काम का महत्व है क्योंकि एक निर्णय से केस बन या बिगड़ सकता है. न्यायालय के फैसले देश के लोगों के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी होते हैं, और उन्होंने यह जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी के साथ निभाई. उनके कार्यकाल में कई बदलाव हुए, जैसे कि सुप्रीम कोर्ट परिसर में ‘मिट्टी कैफे’ की स्थापना और महिला वकीलों के लिए अलग बार रूम की व्यवस्था.

"न्यायपालिका के रॉक स्टार"

चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट से जाने से पहले अपने सहयोगियों और बार के सदस्यों को धन्यवाद कहा, जिन्होंने उन्हें "न्यायपालिका के रॉक स्टार" के रूप में सराहा. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपने विभिन्न फैसलों और समर्पण से लोगों का विश्वास जीता. इस दौरान न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने भी उन्हें एक प्रेरणास्रोत बताया और उनके योगदान को सराहा.

और फिर मामले को खारिज कर दिया

एक विशेष मामले में जनहित याचिका में सभी स्कूलों में ‘योग मित्र’ नियुक्त करने की मांग पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा, "हम सरकार को यह निर्देश नहीं दे सकते कि वे योग मित्रों की नियुक्ति करें." उन्होंने हल्के अंदाज में कहा, "आप यह बात किसी ऐसे व्यक्ति को कह रहे हैं जो खुद योग का अभ्यास करता है," और फिर मामले को खारिज कर दिया.

मिच्छामी दुक्कड़म का अर्थ और महत्व

जैन धर्म का यह पवित्र वाक्य मिच्छामी दुक्कड़म का अर्थ है "मेरे सभी गलत कार्यों को क्षमा करें". यह एक सशक्त अभिव्यक्ति है जो दूसरों से किसी भी प्रकार के जानबूझकर या अनजाने में किए गए अपराध के लिए क्षमा मांगने की भावना को दर्शाता है. क्षमा का यह भाव मन को शांति और आध्यात्मिक वृद्धि की ओर अग्रसर करता है, जो जैन धर्म के अहिंसा और बहुलवाद के सिद्धांतों के अनुरूप है.

Trending news