VIDEO: जुपिटर के चंद्रमा का ज्वालामुखी अंतरिक्ष में फूट रहा, NASA ने जारी किया हैरतअंगेज फुटेज
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VIDEO: जुपिटर के चंद्रमा का ज्वालामुखी अंतरिक्ष में फूट रहा, NASA ने जारी किया हैरतअंगेज फुटेज

Jupiter Moon lo Volcano: NASA के जूनो मिशन ने बृहस्पति के चंद्रमा आयो (lo) पर धधकते ज्वालामुखियों को करीब से देखा है. एक सक्रिय ज्वालामुखी तो अंतरिक्ष में फट रहा है. देखें वीडियो

VIDEO: जुपिटर के चंद्रमा का ज्वालामुखी अंतरिक्ष में फूट रहा, NASA ने जारी किया हैरतअंगेज फुटेज

NASA Juno Mission: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी, NASA ने बृहस्पति (Jupiter) के तीसरे सबसे बड़े चंद्रमा, lo का हैरतअंगेज फुटेज पेश किया है. यह हमारे सौरमंडल में सबसे ज्यादा ज्वालामुखियों वाली जगह है. आयो (lo) पूरी तरह से धधकते ज्वालामुखियों से घिरा है. इसकी सतह पर 400 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी हैं जो भयानक गर्म लावा और धुआं अंतरिक्ष में फेंकते रहते हैं. NASA के जूनो मिशन ने हाल ही में यह पता लगाया कि lo के ज्वालाामुखियों का रहस्य क्या है. इससे 44 साल पुराने रहस्य को सुलझाने में मदद मिली. एक हैरान करने वाली फुटेज में, NASA ने अंतरिक्ष में फट रहे lo के ज्वालामुखी का वीडियो भी जारी किया है.

lo के ज्वालामुखी कैसे उबलते हैं?

Juno मिशन ने पाया कि आयो के ज्वालामुखी शायद एक बड़े मैग्मा महासागर के बजाय अलग-अलग मैग्मा चैंबर्स से चलते हैं. 'नेचर' पत्रिका में 12 दिसंबर को छपे 'आयो की ज्वारीय प्रतिक्रिया एक उथले मैग्मा महासागर को रोकती है' टाइटल वाले पेपर में कहा गया है कि यह घटना चंद्रमा की तीव्र ज्वालामुखी गतिविधि की व्याख्या करती है.

NASA के जूनो अंतरिक्ष यान ने दिसंबर 2023 और फरवरी 2024 में आयो के बेहद करीब से उड़ान भरी थी. उसने इसकी पिज्जा जैसी सतह से लगभग 930 मील (1,500 किलोमीटर) की दूरी तय की. मिशन ने उन फ्लाईबाई से चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के बारे में जो सीखा, उससे ज्वारीय फ्लेक्सिंग नामक एक घटना के प्रभावों के बारे में अधिक जानकारी मिली.

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44 साल पुराने रहस्य से उठा पर्दा

NASA ने एक बयान में कहा, 'पृथ्वी के चंद्रमा के आकार के बराबर, आयो को हमारे सौर मंडल में सबसे अधिक ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय पिंड के रूप में जाना जाता है. इस चंद्रमा पर लगभग 400 ज्वालामुखी हैं, जो लगातार विस्फोट करते हुए लावा और धुएं का उत्सर्जन करते हैं जो इसकी सतह पर परत बनाने में योगदान करते हैं.'

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एजेंसी ने कहा, 'वैसे तो आयो चंद्रमा की खोज गैलीलियो गैलिली ने 8 जनवरी, 1610 को की थी, लेकिन वहां ज्वालामुखीय गतिविधि का पता 1979 तक नहीं चला था. तब दक्षिणी कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (JPL) की इमेजिंग वैज्ञानिक लिंडा मोराबिटो ने वॉयेजर 1स्पेसक्राफ्ट से मिले एक फोटो में पहली बार ज्वालामुखीय प्लम (धुएं/गुबार) की पहचान की थी.

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