Possibility Of Life On Mars: लंबे समय से वैज्ञानिक दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावना तलाशने के लिए शोध कर रहे हैं. सूरज का चक्कर काट रहे ग्रहों में सिर्फ पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जहां जीवन है. अब इस विषय पर नासा (NASA) के एक दिलचस्प शोध के नतीजे सामने आए हैं, जिसमें बात 'मंगल' ग्रह की है.
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NASA Curiosity Rover life on red planet: मंगल ग्रह पर वायुमंडल होने के साथ ही पानी की भी पुष्टि हो चुकी है. धरती से कई मायनों में समानता के चलते भी यहां जीवन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. वहां कार्बन-डाई-ऑक्साइड, नाइट्रोजन, ऑर्गन और ऑक्सीजन है. वहां काम कर रहे क्यूरियोसिटी रोवर (Curiosity Rover) को एक विशिष्ट हेक्सागोनल पैटर्न के साथ अच्छी तरह से संरक्षित प्राचीन मिट्टी का टुकड़ा मिला है, जिसे प्रारंभिक स्तर पर मंगल ग्रह पर गीले-सूखे चक्र (Wet Dry Cycles) का पहला सबूत माना जा रहा है. मंगल में जीवन की संभावना को लेकर नासा (NASA) की एक अभूतपूर्व खोज साइंस मैगजीन 'नेचर' में प्रकाशित हुई है. जिसमें नासा के क्यूरियोसिटी मार्स रोवर के डाटा से प्राप्त कुछ तस्वीरों से वैज्ञानिकों ने लाल ग्रह पर जीवन की संभावना जताई है.
नासा की दिलचस्प खोज
नासा की वेबसाइट में भी इस रिसर्च का जिक्र है. नासा के क्यूरियोसिटी मार्स रोवर द्वारा कैप्चर किए गए एक विशिष्ट गीले-सूखे चक्र (Wet Dry Cycles) से संभावना जताई जा रही है कि पूर्व में मंगल ग्रह पर जीवन था. नासा के रोवर (यान) ने एक विशिष्ट हेक्सागोनल पैटर्न (Hexagonal Pattern) खोजा है, जो अच्छी तरह से संरक्षित मिट्टी पर दरार के रूप विकसित है. वैज्ञानिकों के मुताबिक ये विशेष मिट्टी की दरारें तब बनती हैं जब गीली-सूखी स्थिति बार-बार होती है, शायद मौसम में लगातार बदलाव की वजह से ऐसा हुआ होगा.
रासायनिक प्रकिया
मंगल की ये खोज मिट्टी समृद्ध परत और सल्फेट के नमकीन के बीच एक ट्रांजिशन की वजह से निर्मित हुआ है. बार-बार सूखे और गीले होने की वजह से मिट्टी के ये जंक्शन कुछ नर्म होकर Y आकार में बदल गए. और आगे जाकर हेक्सागोनल पैटर्न में तब्दील हो गए.
मंगल ग्रह की धरती से समानता
इस शोध पर काम कर रही टीम के मुताबिक मिट्टी के इस हिस्से का मिलना इस बात का बड़ा सबूत है जो यह इशारा करता है कि पृथ्वी के समान मंगल ग्रह पर भी नियमित जलवायु थे जो यहां पर गीले सूखे चक्र का निर्माण करते थे. उससे भी महत्वपूर्ण ये है कि ये गीले-सूखे चक्र इस बात की संभावना हैं कि ये आण्विक विकास में सहायक हो सकता है, जिससे यहां जीवन का जन्म हो सकता है.' हालांकि मानव जीवन के सर्वाइवल के लिए पानी बहुत जरूरी है, इसलिए इस दिशा में अभी और भी शोध की जरूरत है. आपको बताते चलें कि मंगल ग्रह से संबंधित शोध में भारत भी लगा है. भारत ने भी अपने पहले ही प्रयास में साल 2014 में भारत ने मिशन मंगल के तहत अपना मंगलयान भेजा था.