लॉन्च के बाद यही दोनों यान मिलकर एक हो जाएंगे! स्पेस में 'डॉकिंग' से पहले ISRO ने दिखाई झलक
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लॉन्च के बाद यही दोनों यान मिलकर एक हो जाएंगे! स्पेस में 'डॉकिंग' से पहले ISRO ने दिखाई झलक

ISRO SpaDeX Mission: स्पेडेक्स मिशन के जरिए इसरो अंतरिक्ष में दो सैटैलाइट्स को जोड़ने की क्षमता हासिल करना चाहता है. दोनों छोटे सैटेलाइट्स तैयार हैं जिन्हें PSLV-60 की मदद से लॉन्च करके स्पेस में उनकी 'डॉकिंग' की जाएगी.

लॉन्च के बाद यही दोनों यान मिलकर एक हो जाएंगे! स्पेस में 'डॉकिंग' से पहले ISRO ने दिखाई झलक

ISRO Docking Mission: भारत जल्द ही उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जिनके पास अंतरिक्ष में 'डॉकिंग' की क्षमता है. इसके जरिए दो सैटेलाइट्स या अंतरिक्ष यानों को आपस में जोड़ा जाता है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) सैटेलाइट्स को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले ‘लांचिंग पैड’ पर पहुंचा दिया है. SpaDeX मिशन 'पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-C60' (PSLV-C60) की मदद से लॉन्च किया जाएगा. ये दोनों सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में खुद-ब-खुद जुड़ जाएंगे. मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करना है. यह अत्याधुनिक तकनीक भारत को अमेरिका, रूस और चीन देशों के बराबर ला खड़ा कर देगी.

ISRO का SpaDeX मिशन क्या है?

SpaDeX यानी Space Docking Experiment भारत का इस तरह का पहला मिशन है. इसका मकसद अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग जैसी जटिल प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक अंजाम देना है. इसरो के अनुसार, यह तकनीक हमारे भविष्य के चंद्रमा मिशनों, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के निर्माण, और अन्य जटिल अंतरिक्ष अभियानों के लिए मील का पत्थर साबित होगी.

SpaDeX मिशन में दो छोटे सैटेलाइट्स शामिल हैं:

SDX01 (चेजर)

SDX02 (टारगेट)

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SpaDeX मिशन के दोनों सैटेलाइट

ये दोनों सैटेलाइट्स, जिनका वजन लगभग 220 किलोग्राम है, 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर 55 डिग्री झुकाव वाले लो-अर्थ ऑर्बिट में स्वतंत्र रूप से तैनात किए जाएंगे. मिशन की अवधि लगभग 66 दिनों की होगी, जिसमें ये सैटेलाइट्स स्वायत्त तकनीक का उपयोग करके डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया को अंजाम देंगे.

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क्यों इतना अहम है यह मिशन?

SpaDeX मिशन भारत की अंतरिक्ष यात्रा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा. इससे ISRO की भविष्य की योजनाओं के लिए आधार तैयार होगा. इन-स्पेस डॉकिंग तकनीक उन मिशनों के लिए जरूरी है, जिनमें कई रॉकेट लॉन्च की जरूरत पड़ती है या अंतरिक्ष में कोई ढांचा बनाना होता है.

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