कौन था 1000 सिर वाला 'सहस्त्रानन'? रावण-वध के बाद श्रीराम को क्यों करना पड़ा उससे युद्ध
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कौन था 1000 सिर वाला 'सहस्त्रानन'? रावण-वध के बाद श्रीराम को क्यों करना पड़ा उससे युद्ध

Ramayana Sahasranana Story: रामायण में रावण के सभी शक्तिशाली भाईयों की चर्चा मिलती है, लेकिन सहस्त्रानन के बारे में कम ही जानकारी उपलब्ध है.

कौन था 1000 सिर वाला 'सहस्त्रानन'? रावण-वध के बाद श्रीराम को क्यों करना पड़ा उससे युद्ध

Ramayana Interesting Story About Sahasranana: रामायण में रावण के सभी शक्तिशाली भाईयों की चर्चा मिलती है, लेकिन सहस्त्रानन के बारे में कम ही जानकारी उपलब्ध है. सहस्त्रानन रावण का ऐसा भाई था, जिसने भगवान राम के साथ न केवल भयंकर युद्ध किया, बल्कि उसका संहार स्वयं माता सीता के हाथों हुआ. आइए, जानते हैं कि 1000 सिर वाले सहस्त्रानन के बारे में.

कौन था 1000 सिर वाला सहस्त्रानन ?

सहस्त्रानन भगवान शिव का परम भक्त था और अपनी तपस्या और अद्वितीय शक्तियों के लिए जाना जाता था. उसका नाम सहस्त्रानन इसलिए पड़ा क्योंकि उसके 1000 सिर थे. वह बहुत शक्तिशाली और घमंडी स्वभाव का था.

क्यों हुआ श्रीराम और सहस्त्रानन के बीच युद्ध?

रावण के वध और अयोध्या में भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद, सहस्त्रानन ने भगवान राम को युद्ध के लिए चुनौती दी. वह अपने भाई रावण की मृत्यु को अपने कुल का अपमान मानता था और बदला लेने की इच्छा रखता था.

एक कथा के अनुसार, जब सभी ऋषि-मुनि भगवान राम की वीरता की प्रशंसा कर रहे थे तब माता सीता ने सहस्त्रानन का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि सहस्त्रानन को हराए बिना भगवान राम की विजय अधूरी मानी जाएगी. यह सुनकर भगवान राम ने अपनी चतुरंगिणी सेना के साथ सहस्रानन के राज्य पर चढ़ाई की. इस युद्ध में लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, विभीषण और हनुमान सहित पूरी सेना शामिल थी. इसके अलावा इस युद्ध में माता सीता भी श्रीराम के साथ थीं.

सहस्त्रानन और भगवान राम का युद्ध

श्रीराम और सहस्त्रानन के बीच का युद्ध भयंकर था. सहस्त्रानन ने अपनी अद्वितीय शक्तियों और हजार सिरों का उपयोग करते हुए भगवान राम की सेना को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया. उसने राम पर कई घातक अस्त्र चलाए. भगवान राम ने अमोघ अस्त्रों का प्रयोग किया, लेकिन सहस्त्रानन ने उन्हें भी विफल कर दिया. युद्ध के दौरान, सहस्त्रानन ने एक शक्तिशाली बाण चलाया, जिसने भगवान राम की छाती को भेदते हुए पाताल तक पहुंचा दिया. इस वार से भगवान राम अचेत हो गए.

माता सीता का विकराल रूप

भगवान राम को अचेत देख माता सीता क्रोधित हो गईं. उन्होंने विकराल रूप धारण कर सहस्त्रानन के हजारों सिरों को एक साथ काट दिया. इस रूप में माता सीता ने देवी काली का स्वरूप ग्रहण किया. उन्होंने सहस्त्रानन का वध करने के बाद अन्य योद्धाओं का भी संहार किया और उनके कटे हुए सिरों की माला धारण कर ली. सीता के इस विकराल रूप से पूरी पृथ्वी के विनाश का खतरा उत्पन्न हो गया. तब ब्रह्माजी ने भगवान राम को चेतना लौटाई. भगवान राम ने माता सीता को शांत किया, जिसके बाद उनका रौद्र रूप समाप्त हुआ.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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