Sawan Shivratri 2024: आज रखा जाएगा सावन महाशिवरात्रि का व्रत, जानें पूजन और उद्यापन की सही विधि
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Sawan Shivratri 2024: आज रखा जाएगा सावन महाशिवरात्रि का व्रत, जानें पूजन और उद्यापन की सही विधि

Mahashivratri 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार शिवरात्रि का व्रत 2 अगस्त शुक्रवार के दिन रखा जाएगा. इस दिन बेहद शुभ योग सर्वार्थसिद्ध योग का निर्वाण हो रहा है. जानें इस दिन व्रत उद्यापन की विधि और पूजा विधि के बारे में. 

 

sawan shivratri 2024

Sawan Shivratri 2024 Vrat Vidhi: हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. बता दें कि इस बार महाशिवरात्रि 2 अगस्त के दिन पड़ रही है. इस दिन शिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. बता दें कि सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 10 बजकर 59 मिनट एएम से देर रात 12 बजकर 49 मिनट रहेगा.   

बता दें कि सावन की शिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त देर रात 12 बजकर 6 मिनट से लेकर 12 बजकर 49 मिनट तक है. वैसे बता दें कि सावन शिवरात्रि की पूजा दिन में सूर्योदय के बाद भी की जा सकती है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि का व्रत विधि विधान से रखने सेभगवान शिव प्रसन्न होते हैं और जीवन के सभी दुख दूर करते हैं. जानें शिवरात्रि पूजा विधि और उद्यापन की विधि.  

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कैसे करें सावन​ शिवरात्रि की पूजा

शिव पुराण में सावन शिवरात्रि पूजा की सही विधि के बारे में बताया गया है. बता दें कि शिवरात्रि को ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए. इस दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर शिव मंदिर जाएं और शिव जी की पूजा करें. साथ ही, व्रत का संकल्प लें. शिवरात्रि के दिन रात में पूजन सामग्री के साथ शिव मंदिर जाएं  और शिवलिंग की शास्त्रोंनुसार पूजा करें. कम से कम 108 बार शिव मंत्र का जाप करें और शिवलिंग पर जलधारा अर्पित करें. इसके बाद शिवलिंग पर काले तिल अर्पित करें और शिव के 8 शिव नामों का उच्चारण करें. आखिर में भोग लगाएं और भगवान की आरती करें. 

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यूं करें शिवरात्रि व्रत का उद्यापन

शिव पुराण के अनुसार अगर आपने शिवरात्रि का व्रत रखा है और उसका उद्यापन करना चाहते हैं, तो नियम और विधि को जान लेना बेहद जरूरी है. शिवपुराण के अनुसार व्यक्ति को 14 वर्षों तक लगातार शिवरात्रि का व्रत रखना चाहिए. इसके लिए त्रयोदशी को एक बार ही भोजन करें और चतुर्दशी तिथि को निराहार रहकर व्रत रखें. रात के समय शिवालय में गौरीतिलक मंडप बनाएं और उसके बीच में लिंग और भद्र मंडन बनाएं. इसके बाद प्रजापत्य नामक कलशों की स्थापना करें.  शिव पुराण के अनुसार उस कलश के बाएं भाग में माता पार्वती और दाएं भाग में शिव जी की मूर्ति स्थापित करें. 

महाशिवरात्रि की रात भगवान शिव के नाम का कीर्तन, गीत आदि करते हुए रात्रि व्यतीत करें. अगले स्नान के बाद पूजन करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान आदि करें. इसके बाद हाथ जोड़कर भगवान शिव की पूजा करें और व्रत के दौरान हुई भूल की क्षमा मांगते हुए व्रत का उद्यापन करें.  

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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