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Pitru Paksha Important Dates: हिंदू शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष की शुरुआत हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा यानीसे होती है. इस बार 17 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है और इसका समापन अश्विनी कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी 2 अक्टूबर को होगा. पितृपक्ष के दौरान उन्हें प्रसन्न करने के लिए पूर्वजों की पूजा की जाती है. पितृ दोष से मुक्ति के लिए लोग इस दौरान पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण करते हैं. इससे पूर्वज खुश हो कर अपना आशीर्वाद देते हैं.
वैसे तो पितृपक्ष में सभी तिथियों का महत्व है पर इनमें से तीन तिथियां बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. ऐसी मान्यता है कि इन तीन तिथियों में अगर पूर्वजों का श्राद्ध या तर्पण किया जाता है तो उनकी विशेष कृपा बरसती है. व्यक्ति को अगर पितृ दोष से छुटकारा पाना है तो पितृ पक्ष की इन तीन तिथियों में अपने अपने पूर्वजों के श्राद्ध का कार्य करना होगा ताकि वह प्रसन्न हो कर उन पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें. आइए विस्तार में अश्विन मास की इन विशेष तिथियों के बारे में जानें.
अश्विन माह की 3 महत्वपूर्ण तिथियां
भरणी श्राद्ध है बहुत महत्वपूर्ण
भरणी श्राद्ध 21 सितंबर को होगा. भरणी श्राद्ध निधन के एक साल बाद ही करते हैं. 21 सितंबर को सुबह 4 बजकर 09 मिनट में शुरू होगा. वहीं, इसका समापन 22 सितंबर दोपहर 02 बजकर 43 मिनट पर हो रहा है. अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु उसके विवाह से पहले हो गया हो तो उनका श्राद्ध का कार्य पंचमी तिथि को करना सही माना जाता है.
नवमी श्राद्ध
अश्विन माह में इस बार नवमी श्राद्ध 25 सितंबर को किया जाएगा. नवमी श्राद्ध को मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है. नवमी श्राद्ध में तर्पण या पिंडदान करना फलदायी और शुभ माना जाता है. इससे पूर्वज प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. बता दें कि इस दिन लोगों की मां, दादी, नानी आदि नहीं हैं, उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है. इस दिन मातृ पक्ष का श्राद्ध किया जाता है.
सर्वपितृ अमावस्या
बता दें कि इस बार 02 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या है. शास्त्रों में इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है. दरअसल जिन लोगों को अपने पितरों की श्राद्ध तिथि नहीं याद रहती या फिर मालूम नहीं रहती तो वह इस दिन श्राद्ध कर सकते हैं. इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)