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Kisan Andolan: कहीं पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले, कहीं टोल जाम; भारत बंद के बीच कैसा रहा किसान आंदोलन का चौथा दिन

Kisan Andolan:  अंबाला के शंभू बॉर्डर पर 13 फरवरी से प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच शुरू हुआ संघर्ष आज भी जारी रहा. प्रदर्शनकारियों ने बॉर्डर पार कर आगे बढ़ने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे. हरियाणा-पंजाब की शंभू सीमा पर अंबाला के पास शुक्रवार को प्रदर्शनकारी किसानों के अवरोधक की तरफ बढ़ने की कोशिश के दौरान हरियाणा पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के दागे. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून और ऋण माफी सहित अपनी मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के मकसद से किसानों के ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. इस आंदोलन के चौथे दिन शुक्रवार को ताजा टकराव देखने को मिला. गतिरोध के बीच केंद्रीय मंत्री और किसान नेता चौथे दौर की वार्ता के लिए 18 फरवरी को मिलेंगे. दोनों पक्षों के बीच 8, 12 और 15 फरवरी को भी मुलाकात हुई थी लेकिन सभी वार्ता बेनतीजा रही.

 

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अंबाला के शंभू बॉर्डर पर 13 फरवरी से प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच शुरू हुआ संघर्ष आज भी जारी रहा. प्रदर्शनकारियों ने बॉर्डर पार कर आगे बढ़ने की कोशिश तो की लेकिन नाकाम रहे, जिसके बाद वहां जमकर बवाल हुआ. किसानों को पीछे धकेलने के लिए सुरक्षाबल के जवानों ने आंसू गैस के गोले दागे तो किसानों में भगदड़ मच गई. किसान खुद को संभाल पाते उससे पहले ही दूसरा आंसू गैस का गोला अचानक उनके पास आकर गिर पड़ता.  पुलिस ने ऐसी सख्ती दिखाई कि किसान आगे बढ़ने की ज्यादा देर तक हिम्मत नहीं कर सके. पुलिस ने कुछ ही देर में प्रदर्शनकारियों के हौसले तोड़ दिए. जैसे ही कोई किसान आगे बढ़ता तुरंत आंसू गैस के गोले उसके पास आकर गिरते. वहीं आंसू गैस के कई गोले तो प्रदर्शनकारियों को सीधे आकर लगे जिसकी वजह से कई आंदोलनकारी किसान घायल भी हो गए. वहां से सामने आई एक तस्वीर में एक प्रदर्शनकारी जमीन पर पड़ा दिखा और उसे गंभीर चोट आई थी.

 

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वहीं एक दूसरे प्रदर्शनकारी को भी चोट लगी और वो दर्द से कराहता दिखा. हालांकि मौके पर एंबुलेंस भी पहुंची और प्राथमिक इलाज करने के बाद घायलों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया. हालांकि, कई लोगों के घायल होने के बावजूद प्रदर्शनकारी पीछे हटने को तैयार नहीं दिखे। ट्रैक्टरों पर सवार किसान बैरिकेड तोड़कर आगे जाने की कोशिश में जुटे रहे. इसलिए जब आसमान से सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले बरसाए तब भी किसान ट्रैक्टरों में खड़े होकर अपनी आवाज बुलंद करते रहे. आंसू गैस के गोले जिस जगह गिरे वहां धुएं का गुबार फैल गया जिसकी वजह से आंखें भी जलने लगी.

 

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किसान दिल्ली चलो मार्च में भाग लेने के लिए 13 फरवरी को शंभू बॉर्डर पहुंचे थे लेकिन यहां से उनको हरियाणा पुलिस ने आगे नहीं जाने दिया और इसीलिए 4 दिन बाद भी यहां बवाल जारी रहा. सिर्फ शंभू बॉर्डर ही नहीं, बल्कि पंजाब के तमाम टोल प्लाजा पर भी पूरे दिन तनाव की स्थिति बनी रही. पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर डटे किसानों के समर्थन में भारतीय किसान यूनियन ने भी टोल प्लाजा जाम कर दिया, जिसकी एक तस्वीर पंजाब के बनूड़ के अजीजपुर टोल प्लाजा से सामने आई. यहां पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के किसानों ने लोहे की बैरिकेड को उठाकर सड़क के बीचों बीच रख दिया और फिर ट्रैक्टर और कई गाड़ियों को खड़ा करके टोल जाम कर दिया.

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कुछ ही देर में यहां गाड़ियों की लंबी कतार लग गई और टोल प्लाजा में ही लोग घंटों तक जाम में फंसे रहे लेकिन किसानों ने किसी को भी आगे जाने नहीं दिया. वहीं किसानों के बुलाए गए भारत बंद का हरियाणा में भी असर देखने को मिला. हरियाणा के सोनीपत में किसानों ने नेशनल हाईवे 44 पर बने भीगान टोल प्लाजा पर कब्जा जमा लिया. और किसान नेता गुरनाम सिंह के नेतृत्व में नारेबाजी करते हुए पहुंचे किसानों ने दोपहर 12 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक टोल फ्री कर दिया. इस दौरान किसानों ने टोल को चारों तरफ से घेर लिया और किसी भी गाड़ी से टोल कर्मियों को टोल नहीं लेने दिया, जिसके बाद वहां से जो तस्वीरें सामने आई उसमें गाड़ियां बिना टोल दिये ही टोल प्लाजा से निकलती दिखी.

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इस दौरान टोल प्लाजा पर एक ट्रक भी दिखा जिससे टोल कर्मियों ने टोल वसूलने की कोशिश की लेकिन किसानों ने खुद अपने हाथों से बैरियर हटा दिया और ट्रक को बिना टोल दिये ही रवाना कर दिया. किसान नेताओं ने कई टोल को फ्री करवा दिया या तो कई जगह टोलकर्मियों और किसानों में बहस भी हुई, जिसकी एक तस्वीर हरियाणा के जींद से सामने आई. और यहां किसान नारेबाजी करते दिखे. किसानों ने पूरे टोल प्लाजा को घेर लिया और शाम 4 बजे तक सभी गाड़ियों को बिना टोल दिये ही जाने दिया.

 

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यहां बड़ी संख्या में पुरुष किसानों के साथ-साथ महिलाएं भी पहुंची थी, जिन्होंने हरियाणा बॉर्डर पर डटे किसानों का पूरा समर्थन किया और सभी मांगें पूरी ना होने पर सरकार की ईंट से ईंट बजाने का ऐलान किया. ऐसा नहीं है कि सरकार की तरफ से किसानों को समझाने बुझाने की कोशिश नहीं की गई. गुरुवार रात 8 बजे से लेकर देर रात डेढ़ बजे तक किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच बैठक चली लेकिन कोई हल नहीं निकल सका. हालांकि, किसानों और जवानों के बीच रविवार तक सीजफायर की सहमति जरूर बनी. किसानों ने उग्र ना होने का भरोसा दिया. वहीं सरकार की तरफ से भी ये आश्वासन दिया गया कि पुलिस सख्त ऐक्शन नहीं लेगी. यानी सीज फायर जैसे हालात रहेंगे.

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लेकिन रात में बातचीत से ठीक उलट हालात सुबह दिखे. किसानों ने भारत बंद के तहत चक्काजाम कर दिया वहीं शंभू बॉर्डर से भी बवाल की तस्वीरें सामने आने लगी. वहीं, तीन दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद किसानों का आंदोलन शुक्रवार को और तेज हो गया. अभी तक केवल किसान नेता ही प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन आज उन्हें ट्रेड यूनियन्स का भी समर्थन मिला. और जो किसान अभी तक अकेले अपनी लड़ाई लड़ रहे थे, उन्हें इस भारत बंद में देश के सभी किसान यूनियन के साथ ट्रेड यूनियन का भी साथ मिला. इसलिए किसानों ने दोगुनी तेजी से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला और पंजाब के मोगा शहर में आधी रात को ही बसों को जाम कर दिया, जिसकी वजह से बसों में यात्रा करने वाले यात्रियों को भारी परेशानी हुई और कई यात्री घंटों तक बस का इंतजार करते रहे लेकिन उन्हें बस नहीं मिल सकी.

क्योंकि भारत बंद में केवल इमरजेंसी सेवा में लगे वाहनों को ही छूट दी गई इसलिए यात्री बसें भी बस स्टैंड पर खड़े धूल खाती रहीं. और भारत बंद की वजह से पंजाब में जिंदगी मानों ठहर सी गई. दिन भर लोगों से गुलजार रहने वाला पंजाब का मोगा शहर शाम तक वीरान ही नजर आया. और यहां ठीक वैसा ही नजारा देखने को मिला, जैसे कोरोना महामारी के समय देखने को मिला था। सड़कें वीरान पड़ी थीं तो वहीं बाजार भी सन्न थे और इक्का दुक्का लोग ही सड़कों पर नजर आ रहे थे.

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