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थ्री गॉर्जेस से तीन गुना बड़ा, ला सकता है तबाही-भूकंप, भारत के लिए कितना खतरनाक है चीन का सबसे बड़ा डैम

China's Biggest Dam: 25 दिसंबर को चीन ने तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो (या जंग्बो) नदी पर दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के निर्माण को मंजूरी दे दी है. यह 60000 मेगावाट क्षमता वाला प्रोजेक्ट होगा, जो दुनिया के सबसे बड़े थ्री गॉर्जेस डैम से भी तीन गुना ज्यादा बिजली पैदा करेगा. इस प्रोजेक्ट का ऐलान 2020 को गलवान में भारतीय और चीनी फौजियों के बीच हुए संघर्ष के बाद हुई था.

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यारलुंग त्सांगपो नदी तिब्बत से अरुणाचल प्रदेश में एंट्री करती है, जहां इसे सियांग कहा जाता है. असम में इसे दिबांग और लोहित नदियों से जोड़कर ब्रह्मपुत्र कहा जाता है. इसके बाद यह नदी बांग्लादेश होकर बंगाल की खाड़ी में मिलती है.

कितना होगा खर्च

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कितना होगा खर्च

137 अरब डॉलर की लागत से बनने वाला यह प्रोजेक्ट नदी के किनारे रहने वाले लाखों लोगों की आजीविका और पर्यावरण को प्रभावित कर सकता है. चीन का कहना है कि यह प्रोजेक्ट उसे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से हटकर 2060 तक कार्बन न्यूट्रल बनने में मदद करेगा. इसके ज़रिए चीन को सालाना 300 अरब यूनिट बिजली मिलने की बात कही जा रही है. यह डैम कितना बड़ा होगा इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह थ्री गॉर्जेस से तीन गुना बड़ा बनेगा. 

क्या तर्क दे रहा है चीन

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क्या तर्क दे रहा है चीन

यारलुंग त्संगपो नदी 2000 मीटर नीचे गिरती है, जो इसे पनबिजली के लिए आदर्श बनाती है. जबकि दूसरी तरफ चीन के कुछ बड़े बांधों ने गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं पैदा की हैं. उदाहरण के लिए थ्री गॉर्जेस डैम ने भूकंप, जलवायु परिवर्तन और लाखों लोगों के विस्थापन जैसी समस्याएं बढ़ाईं हैं. हालांकि चीन का कहना है कि यह 'रन-ऑफ-द-रिवर' प्रोजेक्ट है, यानी इसमें पानी को संग्रहित नहीं किया जाएगा, केवल बिजली बनाने के लिए उपयोग होगा.

भारत के लिए क्या चिंताएं हैं?

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भारत के लिए क्या चिंताएं हैं?

ब्रह्मपुत्र का लगभग 70 फीसद पानी भारत में भारी बारिश की वजह से आता है. यह बांध नदी के जल प्रवाह को कंट्रोल कर सकता है, जिससे भारत जैसे निचले इलाकों में पानी की कमी हो सकती है. इसके अलावा सैल्ट (मिट्टी के पोषक तत्व) के प्रवाह में कमी से खेती पर भी असर पड़ेगा. यह इलाका भूकंप संभावित और पारिस्थितिक रूप से नाजुक है. एक बड़े भूकंप या भूस्खलन से बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है.

भूकंप का खतरा:

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भूकंप का खतरा:

एक जानकारी के मुताबिक यह इलाका 6.8 तीव्रता के भूकंप का खतरा पैदा करता है. बड़े बांधों से नदी के प्राकृतिक बहाव में रुकावट हो सकती है, जिससे मिट्टी का कटाव और बायो डायवर्सिटी पर असर पड़ सकता है. रक्षा थिंक टैंक IDSA के सीनियर फेलो उत्तम सिन्हा ने एक मीडिया संस्थान को बताया कि तिब्बती पठार का ऊबड़-खाबड़ इलाका एक इस तरह के सुपर डैम के निर्माण के लिए एक मुश्किल चुनौती पेश करता है.

भारत को क्या करना चाहिए?

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भारत को क्या करना चाहिए?

भारत और चीन के बीच नदी जल पर एक समझौता है, जिसके तहत चीन मानसून के दौरान जल स्तर का डेटा साझा करता है, लेकिन बड़े बांधों और परियोजनाओं को लेकर पारदर्शिता और परामर्श की कमी है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत को इस मुद्दे को चीन के सामने और मजबूती से उठाने की जरूरत है ताकि निचले इलाकों के हितों की रक्षा हो सके. 

भारत-चीन में बढ़ सकता है तनाव

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भारत-चीन में बढ़ सकता है तनाव

एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि भारत को चाहिए कि इस मुद्दे को दो-तरफा संबंधों में प्राथमिकता देनी चाहिए और यह साफ करना चाहिए कि अगर चीन भारत की चिंताओं को ध्यान में नहीं रखता है तो इसका संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

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