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Lok Sabha News: शत्रुघ्न सिन्हा और सनी देओल ने एक शब्‍द भी नहीं बोला, 17वीं लोकसभा में 'खामोश' ही रहे ये 9 MP

17th Lok Sabha MP Performance: फिल्मी पर्दे पर जब शत्रुघ्न सिन्हा रौबीले अंदाज में 'खामोश' बोलते तो सिनेमा हॉल तालियों से गूंज उठता था. बॉलीवुड से राजनीति में आए शत्रुघ्न को तृणमूल कांग्रेस ने अप्रैल 2022 में आसनसोल से लोकसभा भेजा. 17वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म हो गया, लेकिन आसनसोल के MP ने संसद में एक शब्द नहीं बोला. वह लोकसभा के भीतर 'खामोश' रहे. उनकी ही तरह अभिनेता से नेता बने सनी देओल ने भी लोकसभा के भीतर एक सवाल नहीं पूछा, भाषण की बात तो छोड़ ही दीजिए. शत्रुघ्न और सनी को मिलाकर 17वीं लोकसभा में कुल 9 सांसद ऐसे रहे जिन्होंने पूरे कार्यकाल में एक बार भी कुछ नहीं बोला. वे नौ सांसद कौन हैं और किस पार्टी से ताल्लुक रखते हैं, आइए जानते हैं.

सनी देओल

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सनी देओल

रुपहले पर्दे पर सनी देओल का 'तारीख पे तारीख' वाला डायलॉग आज भी याद किया जाता है. लेकिन पूरे पांच साल गुजर जाने पर भी गुरदासपुर से बीजेपी सांसद के लोकसभा में बोलने की तारीख नहीं आई. 17वीं लोकसभा में उन्होंने एक शब्द नहीं बोला.

शत्रुघ्न सिन्हा

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शत्रुघ्न सिन्हा

अप्रैल 2022 में TMC के टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा आसनसोल उपचुनाव जीत लोकसभा पहुंचे. वह सदन में कई बार नजर आए, विपक्ष के कुछ प्रदर्शनों में भी हिस्सा लिया मगर जुबान पर ताला रहा. न तो उन्होंने कोई सवाल पूछा, न ही अपने क्षेत्र से जुड़ा कोई मुद्दा उठाया.

खराब थी इनकी सेहत

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खराब थी इनकी सेहत

चुप रहने वालों में बीजापुर से बीजेपी सांसद रमेश चंदप्पा जिगाजिनागी भी शामिल हैं. वह खराब सेहत के चलते, अधिकतर समय सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले पाए.

जेल में थे राय

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जेल में थे राय

बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सांसद अतुल राय भी 17वीं लोकसभा की कार्रवाइयों से नदारद रहे. उन्हें पिछले साल अगस्त तक जेल के भीतर थे.

और कौन-कौन?

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और कौन-कौन?

वर्तमान लोकसभा के पूरे कार्यकाल में कुछ भी न बोलने वाले अन्‍य 5 सांसद हैं: TMC के दिब्येंदु अधिकारी, BJP के प्रधान बरुआ (लखीमपुर-असम), बीएन बाचे गौड़ा, अनंत कुमार हेगड़े और वी श्रीनिवास प्रसाद.

स्‍पीकर ने की थी पहल

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स्‍पीकर ने की थी पहल

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने अपनी नियुक्ति के कुछ समय बाद ही, पहली बार सांसद बनने वालों की सूची बनवाई थी. वह उन सभी से कम से कम एक बार बोलने की गुजारिश करते थे, भले ही वह शून्यकाल में ही क्यों न हो. बिरला की तमाम कोशिशों के बावजूद कई सांसद ऐसे रहे जिन्होंने 2014 से 2019 के बीच एक बार भी कुछ नहीं कहा.

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