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Indian Railways History: भारत में दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है. भारतीय रेल में रोजाना लाखों लोग सफर करते हैं और इसका इतिहास इतना पुराना है कि आप सोच भी नहीं सकते. कई ऐसे कहानी किस्से हैं जिसके बारे में लोगों को नहीं मालूम. चलिए हम आपको कुछ ऐसे किस्सों के बारे में बताते हैं जिसके बारे में शायद ही किसी को मालूम हो. भारत में कनेक्टिविटी की शुरुआत कहां से शुरू हुई और किसने की. यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है. भारतीय रेलवे (Indian Railways) टूरिस्ट के लिए सफर करने का एक बहुत ही बेहतरीन और आसान जरिया है. क्या आपको मालूम है कि भारतीय रेलवे में 170 वर्ष पुराना इतिहास क्या है, और क्यों अधिकांश लोग आज भी ट्रेवेल के इस सस्ते साधन का प्रयोग करते हैं. इतने सालों बाद भी लोगों में रेलवे के प्रति विश्वास है.
कब शुरू हुई थी पैसेंजर ट्रेन?
भारतीय रेलवे के पीछे का इतिहास जानने के लिए आपको सबसे पहले यह जानने में रुचि रखनी चाहिए कि भारत में पहली बार पैसेंजर ट्रेन कब शुरू हुई थी. आपको बता दें कि भारत की पहली पैसेंजर ट्रेन 170 साल पहले 16 अप्रैल 1853 को शुरू हुई थी. इस ट्रेन में कुल 400 यात्री सवार हुए थे और पैसेंजर ट्रेन ने मुंबई से थाणे तक का सफर तय किया था. इसमें रोचक बात तो यह है कि इस दिन को पब्लिक हॉलीडे घोषित किया गया है.
भारत का पहला रेलवे स्टेशन
भारत का पहला रेलवे स्टेशन मुंबई में स्थित बोरीबंदर था. भारत की पहली पैसेंजर ट्रेन 1853 में बोरीबंदर से ठाणे तक चली थी. इसे ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे (Great Indian Peninsular Railway) द्वारा बनाया गया था. बाद में 1888 में रानी विक्टोरिया के नाम पर इस स्टेशन को विक्टोरिया टर्मिनस के रूप में फिर से बनाया गया. सोशल मीडिया पर यह जानकारी आपको आसानी से नहीं मिल सकती.
भारत की पहली ट्रेन
भारत में पहली ट्रेन रेड हिल रेलवे (Red Hill Railway) थी, जो 1837 में रेड हिल्स से चिंताद्रिपेट पुल तक चली थी. सर आर्थर कॉटन को ट्रेन बनाने का श्रेय दिया जाता है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से ग्रेनाइट के परिवहन के लिए किया जाता था.
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