ISIS में क्यों भर्ती हो रहे पढ़े-लिखे लोग? आतंकी बनने की क्या है वजह
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ISIS में क्यों भर्ती हो रहे पढ़े-लिखे लोग? आतंकी बनने की क्या है वजह

ISIS Network In India: आखिर ये आईएसआईएस (ISIS) भारत में अपनी जड़ें क्यों जमाना चाहता है और भारत में इस कट्टरपंथी इस्लामी आतंकी संगठन को बुद्धिजीवी और पढ़े-लिखे लोग भी खाद पानी क्यों दे रहे हैं.

ISIS में क्यों भर्ती हो रहे पढ़े-लिखे लोग? आतंकी बनने की क्या है वजह

ISIS Module Busted: आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, कोई जानबूझ कर आतंकी नहीं बनता. आतंकी तो भटके हुए नौजवान हैं, जो बेरोजगारी और गरीबी की वजह से आतंकी संगठनों का दामन थाम लेते हैं. बीते कुछ वर्षों में आपने कथित बुद्धिजीवियों या फिर कुछ डिजायनर पत्रकारों के मुंह से ऐसे न जाने कितने जुमले सुने होंगे. दरअसल, इस देश में जब-जब आतंकवाद (Terrorism) पर चर्चा होती है या उनके खिलाफ कार्रवाई होती है तो एक खास तरह का इकोसिस्टम अपने खोल से बाहर निकल आता है और ये इकोसिस्टम आतंकवाद को अशिक्षा, बेरोजगारी या गरीबी से जोड़कर इसे धार्मिक की जगह सामाजिक मुद्दा बनाने का प्रयास करता रहा है. लेकिन आज हम आपको इसी आतंकवाद का एक दूसरा सच बताएंगे और यकीन मानिए, ये सच जानकर आप हैरान ही नहीं परेशान भी हो जाएंगे. क्योंकि आज हम आपको बताएंगे कि कट्टर आतंकवादी संगठन आईएसआईएस (ISIS) किस तरह भारत में अपनी जड़े जमाने की कोशिश में जुटा है और इस अभियान में उसका साथ कोई जाहिल या गंवार लोग नहीं दे रहे हैं. गजवा-ए-हिंद के उसके मिशन में पढ़ी-लिखी आलिम मानी जाने वाली बिरादरी भी शामिल है.

पढ़े-लिखे लोग क्यों बन रहे आतंकी?

राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी NIA ने महाराष्ट्र के पुणे से अदनान अली नाम के एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया है. डॉ. अदनान अली पर खूंखार आतंकी संगठन ISIS के लिए काम करने का आरोप है. डॉ. अदनान अली के घर की तलाशी के दौरान जांच एजेंसी को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, आतंकी संगठन ISIS से जुड़े संबंधित कई दस्तावेजों के साथ दूसरी आपत्तिजनक सामग्री भी मिली है. NIA की शुरुआती जांच के अनुसार, डॉ. अदनान अली सरकार ISIS के लिए युवाओं की भर्ती का अभियान चला रहा था, इसके अलावा वो अपने दूसरे साथियों के साथ भारत में आतंकी हमलों की साजिश भी रच रहा था. NIA ने डॉ. अदनान पर देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने का आरोप लगाया है.

NIA ने किया ISIS नेटवर्क का भंडाफोड़

महाराष्ट्र ISIS नेटवर्क के मामले में ये अब तक की पांचवीं गिरफ्तारी है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने खुफिया जानकारी के आधार पर इसी वर्ष 28 जून को मामला दर्ज कर अपनी जांच शुरू की थी. शुरुआती जांच में पता चला कि महाराष्ट्र में ISIS का एक बड़ा नेटवर्क सक्रिय है जो इस खूंखार आतंकी संगठन के मंसूबों को भारत में फैलाना चाहता है जिसके बाद NIA ने मुंबई, पुणे और ठाणे में छापेमारी करते हुए चार संदिग्ध आतंकियों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था. अदनान से पहले गिरफ्तार हुए इन संदिग्ध आतंकियों की पहचान मुंबई के ताबिश नासिर सिद्दीकी, पुणे के जुबैर नूर मोहम्मद शेख उर्फ ​​अबू नुसैबा, ठाणे के शरजील शेख और जुल्फिकार अली बड़ौदावाला के रूप में हुई थी.

स्लीपर सेल को दी जा रही DIY किट

NIA के अनुसार, ये चारों आतंकी देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को तोड़कर भारत के खिलाफ साजिश रचने में लगे थे और इसलिए मुंबई और महाराष्ट्र में स्लीपर सेल तैयार कर रहे थे. यही नहीं शुरुआती पूछताछ में ये भी पता चला है ये लोग कई और लोगों को भी अपने साथ शामिल कर चुके हैं, और उन्हें IED बनाने और हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दे चुके हैं. NIA के अनुसार, इन संदिग्ध आतंकियों ने IED और हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने के लिए DIY यानी Do it Yourself नाम की एक किट तैयार कर रखी थी और इस किट को वो अपने स्लीपर सेल को बांटते थे, ताकि वो किट के जरिए खुद ही IED बनाने और हथियार चलाने की ट्रेनिंग ले सकें.

एक डॉक्टर कैसे बन गया आतंकी?

यही नहीं गिरफ्तार संदिग्ध आतंकी सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को बरगलाने के लिए भड़काऊ वीडियो बना कर पोस्ट करते थे साथ ही भड़काऊ लेख भी लिखते थे, जिन्हे ISIS की मैगजीन 'Voice of Hind' में छापा जाता था और आरोप है कि इस काम में डॉ. अदनान अली भी इनके साथ शामिल था. और जो कथित बुद्धिजीवी आतंकवाद को गरीबी अशिक्षा और बेरोजगारी से जोड़कर देखते हैं, उन्हे आज ये भी जान लेना चाहिए कि डॉ. अदनान अली, न तो गंवार था, न ही बेरोज़गार, वो एक बेहद नामी डॉक्टर है. और उसने वर्ष 2001 में पुणे के बीजे गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज से MBBS किया था. वर्ष 2006 में उसने इसी कॉलेज से एनेस्थीसिया पर मास्टर यानी MD किया. इसके अलावा उसे अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, और जर्मन जैसी भाषाओं का भी अच्छा ज्ञान है.

डॉ. अदनान अली को 16 वर्ष का अनुभव है और वो बतौर एनेस्थीसिस्ट वहां के कई प्रतिष्ठित अस्पतालों के साथ काम कर चुका है. छापेमारी के बाद ज़ी मीडिया पुणे के कोंधवा में अदनान अली के घर पहुंचा और उसके परिजनों से बातचीत की कोशिश की, लेकिन उनके परिजनों ने उसके बारे में बात करने से साफ इनकार कर दिया. जरा सोचिए, ये कौन सी विचारधारा है, जिससे प्रभावित होकर एक नामी गिरामी डॉक्टर ISIS जैसे आतंकी संगठन का हिस्सा बन गया. यहां ये दलील बिल्कुल नहीं दी जा सकती कि वो कोई कम पढ़ा लिखा या ऐसा इंसान था, जिसे आसानी से बरगलाया जा सकता हो.

और ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले पिछले साल 3 अप्रैल को अहमद मुर्तजा नाम के एक आतंकी ने गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर पर हमले का प्रयास किया था और उसे रोकने की कोशिश में यूपी पुलिस का एक जवान घायल हो गया था. अहमद मुर्तजा हाइली क्वालिफाइड था और उसने आईआईटी मुंबई से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी और वो बड़ी कंपनियों के साथ काम कर चुका था. लेकिन सोशल मीडिया के जरिए वो ISIS के आतंकियों के संपर्क में आया और फिर उनके भड़काऊ विचारों से इतना प्रभावित हुआ कि खुद आतंकी बन गया. अहमद मुर्तजा को विशेष अदालत देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के अपराध में फांसी की सजा सुना चुकी है.

इसी तरह इसी वर्ष फरवरी में जयपुर में NIA की विशेष अदालत ने मोहम्मद सिराजुद्दीन नाम के एक आतंकी को देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के अपराध में 7 वर्ष की सजा सुनाई थी. मोहम्मद सिराजुद्दीन कोई आम आदमी नहीं था, वो इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन का सीनियर मार्केटिंग मैनेजर था. NIA के अनुसार, सिराजुद्दीन भी आतंकी संगठन ISIS के लिए भर्तियां करता था और इसके लिए वो सोशल मीडिया, व्हाट्एप और टेलीग्राम का इस्तेमाल करता था.

यानी अब सिर्फ अनपढ़ या जाहिल ही ISIS और अलकायदा जैसे इस्लामिक आतंकी संगठनों की कट्टर विचारधारा से प्रभावित नहीं हो रहे हैं, पढ़े लिखे और समाज में बुद्धिजीवियों की हैसियत रखने वाले लोग भी धार्मिक कट्टरता की चपेट में हैं, और मजहब के नाम पर आतंक का दामन थाम रहे हैं और ये बेहद चिंताजनक स्थिति है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता.

लेकिन इससे भी ज्यादा चिंताजनक पहलू है भारत में ISIS की एंट्री, वर्ष 2014 में जब इस आतंकी संगठन ने सीरिया में कोहराम मचाया था. तब इसे पूरी दुनिया में खतरे के रूप में देखा गया था. उस वक्त कुछ बुद्धिजीवियों और नेताओं ने कहा था कि भारत का सामाजिक ताना कुछ ऐसा है कि यहां ISIS जैसा आतंकी संगठन एंट्री नहीं कर पाएगा. लेकिन कुछ वर्ष बीतते-बीतते ये सिनेरियो पूरी तरह बदल चुका है और NIA की ये ताजा गिरफ्तारियां बता रही हैं कि देश में ISIS न सिर्फ एंट्री कर चुका है, बल्कि तेजी से अपनी जड़ें भी जमा रहा है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वर्ष 2020 में भारत के कई राज्यों में ISIS की मौजूदगी और उसकी सक्रियता की पुष्टि की थी. कुछ वक्त पहले भी गृह मंत्रालय की तरफ से कहा गया था कि ISIS केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, बिहार, यूपी, मध्य प्रदेश, और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में ISIS काफी सक्रिय है, खासकर दक्षिण भारतीय राज्यों में और अब ये खतरा बढ़ता ही जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में भी भी भारतीय युवाओं में कट्टरपंथ के प्रसार की पुष्टि की गई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि आईएसआईएस और अल कायदा के कई मेंबर कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में मौजूद हैं जो कि इस्लामिक चरमपंथी मानसिकता के शिकार हैं.

आज देश में ISIS का खतरा कितना बड़ा है ये समझाने के लिए हम आपको एक और उदाहरण भी देंगे. पिछले वर्ष अगस्त में रूस में एक सुसाइड बॉम्बर को पकड़ा था. रूसी सुरक्षा एजेंसी की तरफ से बताया गया था कि ये फिदायीन हमलावर भारत में एक बड़े हमले की फिराक में था और बीजेपी का एक बड़ा नेता उसके निशाने पर था. रूस ने उस फिदायीन हमलावर के ISIS का आतंकी होने की पुष्टि की थी. आईएसआईएस अफगानिस्तान और पाकिस्तान में पहले ही सक्रिय है और अब उसके निशाने पर भारत है.

हम आपको ये भी बताएंगे कि आखिर अलकायदा या ISIS जैसे आतंकी संगठनों की नजर भारत पर क्यों है, लेकिन इससे पहले आपको ISIS के इतिहास के बारे में भी जान लेना चाहिए. ISIS यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया की शुरुआत इराक में हुई थी. अमेरिका के साथ हुई लड़ाई और सद्दाम हुसैन की सत्ता के खात्मे के बाद इराक अंदरूनी रूप से बेहद अस्थिर था. ऐसे में वहां कई छोटे बड़े बागी गुट पैदा हो गए. सत्ता के लिए ये गुट जल्दी ही आपस में टकराने लगे, और ऐसा ही एक गुट था अबू बकर अल-बगदादी का. बगदादी का एजेंडा था इराक और सीरिया में दोबारा खलीफा की सत्ता कायम करना. दरअसल खलीफा दुनिया भर के मुसलमानों का सर्वोच्च बादशाह हुआ करता था. लेकिन पहले विश्वयुद्ध के बाद ओटोमन साम्राज्य के अंत के साथ ही खलीफा की सत्ता का भी अंत हो गया था.

इराक के कट्टरपंथी लोग, जल्दी ही बगदादी के कट्टर इस्लामिक विचारों से प्रभावित हो गए और इसमें सद्दाम हुसैन की सेना के लोग भी शामिल थे. कुछ वक्त बाद बगदादी ने ISIS नाम से अपना संगठन बना लिया. वर्ष 2006 में पैदा हुए इस आतंकी संगठन ने बगदाद के कई इलाकों को अपने कब्जे में ले लिया. लेकिन दुनिया में बगदादी और ISIS की चर्चा उसके क्रूर तौर तरीकों की वजह से शुरू हुई. दरअसल ISIS के आतंकी दुश्मनों की हत्या के लिए ऐसे तरीके अपनाते थे, जिन्हें देखकर किसी की भी रूह कांप जाए और इसमें कैमरे के सामने निहत्थे लोगों की गला रेत कर हत्या करना भी शामिल था.

वर्ष 2011 के बाद जब अमेरिकी सेना इराक से बाहर निकल गई, तब ISIS को फैलने के लिए खुला मैदान मिल गया. तब तक ISIS में हजारों लड़ाके भर्ती हो चुके थे, जबकि उनका मुकाबला करने के लिए इराक की स्थानीय सरकार और सेना काफी कमजोर थी. जल्दी ही ISIS ने सीरिया में भी एंट्री कर ली. यहां ISIS के आतंकियों ने सीरियाई सरकार से लड़ रहे विद्रोहियों से हाथ मिला लिए. तब अमेरिका और पश्चिम के देश इन विद्रोहियों को समर्थन के साथ साथ हथियार भी मुहैया करवा रहे थे और विद्रोहियों से ये हथियार बगदादी के हाथ लग गए. इन हथियारों के दम पर बगदादी ने तेल के कुओं पर भी कब्जा जमा लिया. पैसों और हथियारों के दम पर ISIS बेहद मजबूत हो गया.

हालांकि, बाद में अमेरिका और दुनिया के कई देशों ने ISIS के खिलाफ साझा जंग लड़ी और कई वर्षों तक चली लड़ाई के बाद उसे हराया जा सका. अमेरिकी सेना के एक ऑपरेशन में बग़दादी को भी मार गिराया गया. लेकिन तब तक ISIS की एक नई ब्रांच पैदा हो चुकी थी. ये ब्रांच है अफगानिस्तान में सक्रिय ISIS-K यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया- खुरासान और इस खुरासान डिविजन को बगदादी वाले ISIS से भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है.

खुरासान एक फारसी शब्द है और इसका अर्थ है, वो धरती जिस दिशा से सूर्य उगता हो यानी ईरान के पूर्व में पड़ने वाली धरती जिसमें आज का अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान और भारतीय उपमहाद्वीप आता है. ISIS-K को वर्ष 2015 में तालिबान से लड़ने के लिए बनाया गया था और इसमें पाकिस्तानी तालिबान, अफगान तालिबान और इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान के आतंकी शामिल थे. अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हुए कई आतंकी हमलों में ISIS की इसी विंग का नाम सामने आया है और भारत में भी ISIS-K यानी ISIS खुरासान ही ज्यादा सक्रिय बताया जाता है. हालांकि बीते कुछ वक्त में ऐसे आतंकी भी पकड़े गए हैं, जिनके कनेक्शन सीधे सीरिया से थे. इसमें उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और पटना के फुलवारी शरीफ में पकड़े गए आतंकी भी शामिल हैं.

NIA ने वर्ष 2017 में केरल के ऐसे 22 युवाओं की जानकारी दी थी, जो ISIS से ट्रेनिंग लेने के लिए अफगानिस्तान पहुंच चुके थे. इसके अलावा भी देश के अलग-अलग हिस्सों से युवाओं के ISIS के पास पहुंचने की जानकारी मिली है. यही नहीं जम्मू कश्मीर समेत देश के कई हिस्सों में ISIS के झंडे लहराने की खबरें भी सामने आती रही हैं.

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