Jaunpur News: अहमद-खान के आगे लगा रहे दुबे-तिवारी सरनेम, जौनपुर का मुस्लिम बहुल गांव सुर्खियों में
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Jaunpur News: अहमद-खान के आगे लगा रहे दुबे-तिवारी सरनेम, जौनपुर का मुस्लिम बहुल गांव सुर्खियों में

Jaunpur News: ब्राह्मणों के नाम के आगे दुबे, तिवारी जैसे सरनेम लगे देखे होंगे. लेकिन कोई मुस्लिम समुदाय का कोई शख्स अपने नाम के आगे ऐसे सरनेम का इस्तेमाल करे तो आप भी सोच में पड़ जाएंगे. जौनपुर से ऐसा मामला सामने आया है.

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अजीत सिंह/जौनपुर: हिंदू धर्म में ब्राह्मण वर्ग के लोग अपने नाम के आगे दुबे, तिवारी जैसे सरनेम लगाते हैं. लेकिन कोई मुस्लिम समुदाय का कोई शख्स अपने नाम के आगे ऐसे सरनेम का इस्तेमाल करे तो आप भी सोच में पड़ जाएंगे. यूपी के जौनपुर जिले से एक अजब-गजब मामला सामने आया है. जहां एक गांव के कुछ मुस्लिम परिवारों ने नाम के आगे दुबे,तिवारी सर नेम लगाना शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं यहां के मुस्लिम अब गायों की सेवा करना भी शुरू कर दिए हैं.

पूर्वजों के हिंदू होने का दावा
जौनपुर के एक गांव में कुछ मुस्लिम परिवार के लोगों ने अपने पूर्वजों के हिन्दू होने का दावा किया है. जिसके बाद मुसलमान अपने पूर्वजों के तलाश में जुट गए हैं. जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर केराकत तहसील में स्थित है गांव डेहरी. ये गांव मुस्लिम बाहुल्य गांव है. दो साल पहले इस गांव के कुछ लोगों ने अपने पूर्वजों की तलाश करनी शुरू कर दी और सरनेम भी बदले हैं.

नौशाद अहमद बने नौशाद अहमद दुबे
गांव के नौशाद अहमद अब नौशाद अहमद दुबे हो गए है. नौशाद बताते है कि उन्होंने अपने पूर्वजों के बारे में जानकारी इकट्ठा की तो पता चला कि उनके पिता लाल बहादुर दुबे से लाल बहादुर शेख हुए थे और वो लोग आजमगढ़ के रहने वाले थे. पूर्वजों की तलाश के बाद नौशाद अहमद ने अपने नाम के आगे दुबे लगा लिया. नौशाद अब गायों की सेवा भी करते है. हालांकि नौशाद के घर के किसी अन्य सदस्य ने अपना सर नेम चेंज नहीं किया है.

शेख अब्दुला हुए शेख अब्दुला दुबे
वही, इसी गांव में  शेख अब्दुला अब शेख अब्दुला दुबे हो गए हैं. अब्दुला ने बताया कि उन्होंने भी अपने पूर्वजों की खोज की और अब वो दुबे हो गए हैं. इसी गांव के एहतेशाम अहमद बताते है कि उनके भी पूर्वज हिंदू ब्राह्मण थे लेकिन अभी उन्होंने अपने नाम के आगे टाइटल नहीं लगाया. घर ऐसे है जहां के मुस्लिम लोग अपने नाम के आगे दुबे,तिवारी जैसे टाइटल लगाने लगे है और गायों की सेवा करने लगे हैं. सवाल ये उठता है कि अचानक इन लोगों को ऐसी क्या जरूरत आ गई जो पूर्वजों को खोजने लगे और अजब खोज लिए तो महज परिवार के एक सदस्य का टाइटल ही क्यों चेंज किया.

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