Maharajganj: जिलाधिकारी के द्वारा शासन में भेजे गए एक पत्र ने खलबली मचा दिया है. डीएम ने वित्तीय अनियमितता की जांच में दोषी पाए जाने के बाद नगर पालिका परिषद सिसवा अध्यक्ष शकुंतला देवी को पद से हटाने के लिए प्रमुख सचिव शासन को पत्र भेजा है.
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अमित त्रिपाठी/महराजगंज: यूपी के महराजगंज जिले के सिसवा नगर पालिका में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक तरफ जहां चुनाव को चुनौती व चैयरमैन के चौकीदार पति के लिपिक पद पर प्रमोशन चर्चा का विषय बना हुआ है. वहीं जिलाधिकारी के द्वारा शासन में भेजे गए एक पत्र ने खलबली मचा दिया है. डीएम ने वित्तीय अनियमितता की जांच में दोषी पाए जाने के बाद नगर पालिका परिषद सिसवा अध्यक्ष शकुंतला देवी को पद से हटाने के लिए प्रमुख सचिव शासन को पत्र भेजा है. अब कार्रवाई का गेंद शासन के पाले में है. सभी की निगाह शासन के रुख पर टिकी हुई हैं.
वित्तीय अनियमितता की जांच में भ्रष्टाचार की दोषी पाए जाने के बाद डीएम ने प्रमुख सचिव को लिखा पत्र
प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन को भेजे पत्र में जिलाधिकारी सतेंद्र कुमार ने बताया है कि नगर पालिका परिषद सिसवा बाजार के खाते में उपलब्ध धनराशि से अधिक धनराशि के कार्यों के लिए अल्पकालीन ई-टेंडर निकाला गया. इस मामले में शिकायत की जांच अतिरिक्त मजिस्ट्रेट, मुख्य कोषाधिकारी व अधिशासी अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण विभाग महराजगंज से संयुक्त रूप से कराई गई. बीते 27 जून को जांच समिति ने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की, उसमें गंभीर अनियमितता मिली हैं.
जांच रिपोर्ट के मुताबित 1 अप्रैल 2022 को नगर पालिका सिसवा बाजार के संचालित खाता में उपलब्ध धनराशि 4 करोड़ 45 लाख 79 हजार 277.92 रुपए उपलब्ध थी. पहली अप्रैल को नगर पालिका परिषद सिसवा बाजार बोर्ड की बैठक में 11 करोड़ 58 लाख 69 हजार रुपए के कार्यों की स्वीकृति प्रदान की गई. स्वीकृति कार्यों की धनराशि उस समय उपलब्ध धनराशि से 7 करोड़ 12 लाख 89 हजार 722 रुपये अधिक थी.
वित्तीय नियमों की अनदेखी कर 60 कार्यों को दी गई स्वीकृति
डीएम ने प्रमुख सचिव को भेजे पत्र में बताया है कि नगर पालिका परिषद सिसवा बाजार में प्रस्तावित 60 कार्यों की वित्तीय प्रशासनिक स्वीकृति 7 मई 2022 को न.पा. अध्यक्ष ने अनुमानित धनराशि 1178.69 लाख रुपये की ई-निविदा आमंत्रित करने की अनुमति प्रदान किया. अध्यक्ष वित्तीय एवं प्रशासनिक अनुमति वित्तीय नियमों की अनदेखी करते हुए प्रदान की जबकि वास्तविक रूप से 44 कार्यों में तकनीकी स्वीकृति नहीं प्राप्त की गई. इसमें शासनादेश का ठीक प्रकार से निर्वहन नहीं किया गया.
केवल 16 कार्यों को ही थी तकनीकी स्वीकृति
सिसवा नगर पालिका में प्रस्तावित 60 कार्यों में से सिर्फ 16 कार्यों में तकनीकी स्वीकृति प्राप्त की गई थी. 44 कार्यों में तकनीकी स्वीकृति प्राप्त नहीं की गई थी. इसके बावजूद भी सभी कार्यों के लिए टेंडर निकाला गया. इस मामले में शिकायत के बाद डीएम ने जांच कराई, जिसमें नियमों की अनदेखी सामने आई. जांच समिति के रिपोर्ट के मुताबिक टेंडर में तकनीकी मानकों को पूर्ण करने में जानबूझकर अनदेखी की गई.
21 दिन के बजाय 18 दिन में खोला गया टेंडर
रिपोर्ट के मुताबिक निविदा में प्रत्येक कार्यों की अनुमानित लागत 40 लाख रुपये से कम है. मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार निविदा की अवधि 21 दिन होनी चाहिए, लेकिन पालिका परिषद द्वारा प्रकाशित ई-निविदा के 18 दिन बाद ही खोल दिया गया. इससे प्रचार नहीं हो पाया सिर्फ सीमित फर्म की ही प्रतिभागिता हो पाई.
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