लखनऊ की 500 साल पुरानी ऐशबाग रामलीला बनाएगी नया रिकॉर्ड, पीएम मोदी भी हैं मुरीद
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लखनऊ की 500 साल पुरानी ऐशबाग रामलीला बनाएगी नया रिकॉर्ड, पीएम मोदी भी हैं मुरीद

15 अक्टूबर से देश भर में रामलीला का मंचन शुरू हो जाएगा. देश की सबसे प्राचीन विश्व प्रसिद्ध लखनऊ की ऐशबाग की रामलीला इस बार नए अंदाज में नजर आएगी. 15 अक्टूबर से शुरू होकर 26 अक्टूबर तक यहां रामलीला का मंचन होगा. वहीं 24 अक्टूबर को दशहरा के दिन रावण दहन किया जाएगा. 

लखनऊ की 500 साल पुरानी ऐशबाग रामलीला बनाएगी नया रिकॉर्ड, पीएम मोदी भी हैं मुरीद

मयूर शुक्ला/लखनऊ : राजधानी के ऐशबाग की रामलीला देश की सबसे पुरानी रामलीला में से एक है. इसकी शुरुआत 15वीं सदी में गोस्वामी तुलसीदास ने की थी तब से लेकर अभी तक यहां पर रामलीला की परंपरा चली आ रही है. इस बार ऐशबाग कि रामलीला में आपको कुछ नया देखने को मिलेगा, अब स्टेज को परिवर्तित करके दूसरी तरफ और भी ज्यादा भव्य और दिव्या बनाया गया है. यानी कि इस बार आपको और भी ज्यादा मनोरम दृश्य देखने को मिलेंगे. आपको बता दें कि पिछले 3 सालों से यहां की रामलीला बुरी तरह से प्रभावित है. कोरोना के बाद 2 साल यहां पर ऑनलाइन रामलीला की गई. वहीं पिछले साल भारी बरसात के चलते दशहरा के रंग में भंग पड़ गया था. साल 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ऐशबाग की रामलीला में शिरकत करने पहुंचे थे और जोर-जोर से जय श्री राम के नारे लगाए थे. 

इस बार भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम बड़े चेहरों को न्योता दिया गया है. ऐशबाग रामलीला के सचिव आदित्य द्विवेदी ने बताया कि ''एक बार फिर से ऐशबाग की रामलीला अपने पुराने कलेवर और तेवर में नजर आएगी. लाखों की संख्या में लोग रामलीला में शिरकत करने पहुंचते हैं लेकिन इस बार कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले का दहन नहीं किया जाएगा यानी कि सिर्फ रावण को जलते ही देख पाएंगे इसके पीछे उन्होंने तर्क बताया कि मेघनाथ और कुंभकरण ने रावण को यह युद्ध लड़ने से मना किया और सीता को वापस करने की सलाह दी थी लेकिन रावण नहीं माना यही वजह है कि हम लोग मेघनाथ और कुंभकरण को पूरी तरह से दोषी नहीं ठहरा सकते. अभी तक उनका पुतला जलाने की जो गलती की जा रही थी अब उसमें सुधार किया गया है.''

ऐशबाग की रामलीला की खास बात यह है कि यहां पर सभी किरदारों को बंगाल से आए हुए कलाकार निभाते हैं. राम-लक्ष्मण समेत अन्य किरदारों को निभा रहे कलाकारों का कहना है कि लखनऊ जैसी रामलीला तो पूरे पश्चिम बंगाल में भी नहीं होती. यहां पर आकर उन्हें सुखद अनुभव प्राप्त होता है और इन किरदारों को निभाकर उन्हें अपने अंदर भी उतारा है लखनऊ की जनता बहुत अच्छी है यहां का वातावरण बहुत प्यार है और यहां पर लोगों से उन्हें बहुत प्यार मिलता है.

इस बार रामलीला के मंचन का स्टेज बहुत बड़ा है तो उस स्टेज को सुसज्जित करने वाली वस्तुएं भी काफी बड़ी होनी चाहिए. पिछले एक महीने से कारीगर स्टेज में सजाने वाली चीजों के निर्माण कार्य में लगे हुए हैं. यह रंग-बिरंगे स्टैचू और वस्तुएं सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाती हैं इन्हीं का इस्तेमाल करके रामलीला का मंचन किया जाता है.

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