Kanpur News: IIT के साइंटिस्ट स्वास्थ्य क्षेत्र के दिग्गजों के साथ मिलकर जिस कृत्रिम दिल को विकसित कर रहे हैं. वह डिवाइस एक ऐसा पंप है, जिसका इस्तेमाल हृदयगति रुकने पर मरीजों में ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा के दौरान पुल के रूप में किया जा सकेगा.
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श्याम तिवारी/कानपुर: दिल की बीमारियों के बेहतर और सुरक्षित इलाज के लिए रिसर्च लगातार जारी है.आईआईटी कानपुर में भी कृत्रिम दिल ह्रदय बनाने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है.आईआईटी के विशेषज्ञ ‘हृदयंत्र’ नामक एक ऐसा कृत्रिम दिल बना रहा है.उम्मीद जताई जा रही कि साल 2024 में यह लोगों की दिल की धड़कन बन सकता है.जिसका ट्रायल पहले जानवरों पर किया जाएगा.
आईआईटी कानपुर विश्व का सबसे बढ़िया आर्टिफीशियल हार्ट बनाने का काम जनवरी 2022 में शुरू किया था. जिसके लिए आईआईटी के बायोलाजी विभाग के प्रो. अमिताभ बंद्योपाध्याय को रिसर्च एंड डेवलेपमेंट टास्क फोर्स का चेयरमैन बनाया गया है.देश में इस कृत्रिम हृदय की कीमत करीब 10 लाख रुपये होगी.फिलहाल इसे विदेश से मंगाना पड़ता है.जिसके लिए एक करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं.
IIT के साइंटिस्ट स्वास्थ्य क्षेत्र के दिग्गजों के साथ मिलकर जिस कृत्रिम दिल को विकसित कर रहे हैं. वह डिवाइस एक ऐसा पंप है, जिसका इस्तेमाल हृदयगति रुकने पर मरीजों में ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा के दौरान पुल के रूप में किया जा सकेगा. यह बैटरी से चलने वाला एक मैकेनिकल पंप होगा, जो बाएं वेंट्रिकल को शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त की आपूर्ति करने में मदद करेगा.
हैरानी की बात है कि देश में 32 प्रतिशत से ज्यादा मौतें केवल हृदय की बीमारियों से होती है. हार्ट की बीमारी का इलाज महंगा होने की वजह से इलाज करा पाना मुश्किल होता है.आईआईटी कानपुर के साइंटिस्ट अगले साल दिसम्बर तक यह कृत्रिम हृदय विकसित कर लेंगे.जिसका सबसे पहले उसका ट्रायल जानवरों पर किया जाएगा.आईआईटी कानपुर को इसकी उन्नत रिसर्च के लिए जाना जाता है.
आईआईटी की यह डिवाइस विश्व की सबसे उन्नत होने के साथ सबसे सस्ता लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस होगा. आईआईटी के डायरेक्टर प्रो. अभय करंदीकर का कहना है कि कृत्रिम दिल एक मैकेनिकल पंप है जो इलेक्ट्रानिक सर्किट व नियंत्रण प्रणाली से काम करेगा.