International Youth Day: भगवा पहने इस युवा सन्यासी ने बढ़ाया था भारत का मान, हर भारतीय को गर्व!
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International Youth Day: भगवा पहने इस युवा सन्यासी ने बढ़ाया था भारत का मान, हर भारतीय को गर्व!

International Youth Day 2022: आज अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस सेलिब्रेट किया जा रहा है. भारतीय युवाओं के लिए भी यह दिन बहुत मायने रखता है, क्योंकि देश के युवा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर रहे हैं. जब युवाओं की बात हो तो भारतीयों के रोल मॉडल स्वामी विवेकानंद की बात तो होगी ही...

International Youth Day: भगवा पहने इस युवा सन्यासी ने बढ़ाया था भारत का मान, हर भारतीय को गर्व!

International Youth Day: आज अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस है. यह दिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का मान बढ़ाने वाले युवाओं को याद करने के लिए बेहद खास दिन है. समय के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का परचम लहराने वाले युवाओं का संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. इसका उत्कृष्ठ उदाहरण है हाल ही में संपन्न हुए बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games 2022) जिसमें भारत के युवा खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए मेडल्स (Gold Medal) की बारिश कर डाली. वहीं, जब युवाओं की बात हो तो भारतीय युवाओं के रोल मॉडल माने जाने वाले विवेकानंद की बात न हो तो बात अधूरा सा लगता है. शिकागो में दिए स्वामी विवेकानंद के भाषण पर आज भी हर भारतीय को गर्व होता है. आपको बता दें कि 11 सितंबर साल 1893 का वो दिन था, जब स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में ऐतिहासिक भाषण दिया था. उनके इस भाषण की वजह से पूरे विश्व ने इंडिया को नोटिस किया, एक अलग नजर से देखा. आज हम यहां उनके भाषण के कुछ अंश आपके लिए लेकर आए हैं. 

उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत....
आज भी उनकी यह लाइन युवाओं को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है.

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इस भाषण से उन्हें दुनियाभर में ख्याति मिली थी
आपको बता दें कि 11 सितंबर साल 1893 का वो दिन था, जब भारतीय युवाओं के रोल मॉडल स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में ऐतिहासिक भाषण दिया था. उनके भाषण पर आज भी हम भारतीयों को गर्व होता है. इस भाषण से वह पूरी दुनियाभर में छा गए थे. 

भगवा वस्त्र पहने स्वामी विवेकानंद ने कहा- प्रिय भाइयों और बहनों
आपको बता दें कि भगवा वस्त्र पहने स्वामी विवेकानंद मंच पर गए और उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत प्रिय बहनों और भाइयों से की. भाषण की शुरुआत प्रिय बहनों और भाइयों से करते ही वहां मौजूद लोगों ने जोरदार तालियों से उनका स्वागत और अभिनंदन किया. वहां मौजूद लोगों को इस बात का जरा भा अंदाजा नहीं था कि सन्यासी वेश में देखने वाला यह युवा अंग्रेजी में दो शब्द भी कह पाएगा. इसके बाद उन्होंने कहा, "आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया है. मैं आप सभी को दुनिया की सबसे पुरानी संत परंपरा की ओर से शुक्रिया करता हूं. मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं."

दुनिया को भारत ने सहनशीलता और स्वीकृति का पाठ पढ़ायाः विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद ने आगे कहा, "मेरा धन्यवाद उन लोगों को भी है, जिन्होंने इस मंच का उपयोग करते हुए कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार भारत से फैला है." स्वामी  ने कहा, "उन्हें गर्व है कि वे एक ऐसे धर्म से हैं, जिसने दुनियाभर के लोगों को सहनशीलता और स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है." उन्होंने कहा, "हम केवल सार्वभौमिक सहनशीलता में विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम दुनिया के सभी धर्मों को स्वीकार करते हैं. मैं गर्व करता हूं कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के परेशान और सताए गए लोगों को शरण दी है."

वसुधैव कुटुंबकम की पताका लहराई
आपको बता दें विदेश नीति का बहुत बड़ा पाठ और वसुधैव कुटुंबकम की पताका विवेकानंद ने 1893 में ही फहरा दी थी. अपने भाषण में उन्होंने इजरायल का जिक्र करते हुए कहा, "यह बताते हुए मुझे गर्व हो रहा कि हमने अपने हृदय में उन इजराइलियों की पवित्र स्मृतियां संजोकर रखी हैं, जिनके धर्म स्थलों को रोमन हमलावरों ने तोड़-तोड़कर खंडहर में तब्दील कर दिया था. तब उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली थी."

उन्हों अपने हिंदू होने पर गर्व था
स्वामी विवेकानंद ने कहा, "भारत ने सभी धर्मों के लोगों को शरण दी है. मुझे इस बात का गर्व है कि मैं जिस धर्म से हूं, उसने महान पारसी लोगों को शरण दी. इसके बाद अभी भी उन्हें पाल रहे हैं." उन्होंने कहा, "लंबे समय से कट्टरता, सांप्रदायिकता, हठधर्मिता आदि पृथ्वी को अपने शिकंजों में जकड़े हुए हैं. इन सभी ने धरती को हिंसा से भर दिया है. कई बार धरती खून से लाल हुई है. इसके अलावा काफी सभ्यताओं का विनाश हुआ है और न जाने कितने देश नष्ट हो गए हैं." विवेकानंद की यह बातें मौजूदा स्थिति में बिल्कुल सटीक बैठती है.

स्वामी विवेकानंद के भाषण पर हर भारतीय को गर्व है
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध इसका उदाहरण है. वहीं, भारत की दूरदर्शी सोच और सर्वधर्म समभाव की भावना के साथ भारत नई ऊंचाइयों को छू रहा है. जिस पर हर भारतीय युवा को गर्व है. अंत में एक लाइन जिससे आप खुद को जुड़ा हुआ महसूस करेंगे...

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसितां हमारा...

 

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