फिल्मों में हिंदू देवी-देवताओं का ही अपमान क्यों? क्यों इन्हें ही माना जाता है आसान टारगेट?
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फिल्मों में हिंदू देवी-देवताओं का ही अपमान क्यों? क्यों इन्हें ही माना जाता है आसान टारगेट?

पहले भी कई फिल्मों में हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाया गया है. बात हो ब्रह्मास्त्र की, तांडव की, पीके की या काली की... कई ऐसी मूवी में देवी-देवताओं का अपमान किया गया है...

फिल्मों में हिंदू देवी-देवताओं का ही अपमान क्यों? क्यों इन्हें ही माना जाता है आसान टारगेट?

नई दिल्ली: हिंदू देवी देवताओं के अपमान को लेकर कई बार कुछ कलाकारों और फिल्म मेकर्स पर लोगों की भावनाएं आहत करने का आरोप लगता रहा है. डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'काली' के पोस्टर विवाद के बाद अब एक और फिल्म के पोस्टर पर बवाल मच गया है. दरअसल, फिल्म 'मासूम सवाल' के मेकर्स ने कुछ पोस्टर्स शेयर किए थे, जिनमें से एक पोस्टर में सैनिटरी पैड पर भगवान कृष्ण की फोटो बनी हुई है. इस पोस्टर के सामने आने के बाद अब हिंदू समाज में रोष है. ऐसे में फिल्म के डायरेक्टर और स्टार कास्ट पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप लग रहा है. 

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हिंदू देवी-देवताओं के अपमान पर दिखती है खामोशी 
हालांकि, यह पहला मामला नहीं है जब हिंदू देवी-देवताओं को फिल्मों के जरिए अपमानित किया जा रहा हो. इससे पहले भी कई फिल्मों को लेकर विवाद खड़ा हो चुका है. लेकिन सोचिए नूपुर शर्मा के एक बयान के बाद देश में कितना बवाल मचा और ये बवाल अब तक नहीं थम रहा है. बल्कि, विदेशों में मुस्लिम समाज के लोगों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया, लेकिन हिंदू देवी-देवताओं के अपमान पर खामोशी ही देखने को मिलती है और इसी वजह से कुछ कलाकार और फिल्म मेकर्स विवाद पैदा करने से गुरेज नहीं करते.

देवी-देवता ही बनते हैं आसान टारगेट
आपको बताते हैं कि पहले भी कई फिल्मों में हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाया गया है. फिर आपको बताएंगे कि दरअसल क्यों हिंदू देवी-देवता ही आसान टारगेट बनते हैं. हैरानी इस बात की है कि देवी देवताओं का यह मजाक बड़े कलाकारों की फिल्मों में देखने को भी मिलता है.

देवी काली का अपमान
लीना मणिमेकलई ने अपनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म को हाल ही में कनाडा में प्रमोट किया था. इस फिल्म के पोस्टर में देवी काली का रूप लिए एक एक्ट्रेस सिगरेट पीती दिख रही है. वहीं, उसके दूसरे हाथ में LGBT समुदाय का झंडा दिख रहा है. लीना मणिमेकलई ने ऐसा करके हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जिस पर खूब बवाल भी हुआ.

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भगवान शिव का अपमान
साल 2014 में आई आमिर खान की फिल्म 'पीके' में भगवान शिव के रूप में एक किरदार को दिखाया गया था. वह एलियन से डरकर टॉयलेट में भागता है. इस सीन को देखने के बाद फिल्म की जमकर आलोचना हुई. आमिर की फिल्म को कई लोगों ने बायकॉट भी किया. 

इसके अलावा, वेब सीरीज 'तांडव' में  भी एक ऐसा सीन था जिसे देखकर लोगों की भावनाओं को ठेंस पहुंची थी. इसमें एक्टर जीशान अयूब भगवान शिव बने और उन्होंने भगवान शिव के रूप में अपत्तिजनक शब्द बोले.

हनुमान जी का अपमान
फिल्म अतरंगी रे में अक्षय कुमार, धनुष और सारा अली खान की फिल्म में ऐसे कई सीन थे जो हिंदू धर्म के देवी-देवताओं और धर्मग्रंथों का अपमान कर रहे थे. फिल्म में भगवान शिव और हनुमान जी को लेकर अपशब्द बोले गए, साथ ही राम चरित मानस की भी आपत्तिजनक व्याख्या की गई है. फिल्म का एक सीन है जो ट्रेलर में भी दिखाया गया है, जिसमें सारा अली खान कहती हैं, 'हनुमान जी का प्रसाद समझे हैं, जो कोई भी हाथ फैलाएगा और हम मिल जाएंगे?'

मंदिर का अपमान
अमिताभ बच्चन, रणबीर कपूर और आलिया भट्ट स्टारर फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' का ट्रेलर भी विवादों में है. इसमें मंदिर के अंदर रणबीर जूते पहने हुए दिख रहे हैं. जूते पहनकर मंदिर की घंटियां बजा रहे हैं. ऐसे में लोग रणबीर के साथ करण जौहर पर भी हमला बोल रहे हैं.

फिल्म मेकर्स चालाकी से करते हैं यह काम
दरअसल ये फिल्म निर्माताओं को बखूबी पता होता है कि फिल्म में इन सीनों पर विवाद हो सकता है, लेकिन वो इनको जानकर अनदेखा कर देते हैं. क्योंकि यही विवाद तो उनके फिल्म को बैठे बिठाए प्रमोशन दिला देते हैं. फिल्म मेकर्स को पता है कि अगर उनकी फिल्म पर सवाल उठे, तो फिल्म अपने आप सुर्खियों में आएगी. लोग जरूर इसे देखने के लिए थियेटर तक पहुंचेंगे. फिल्म मेकर्स बड़ी चालाकी से इन चीजों को मैनेज भी कर लेते हैं, क्योंकि अगर बवाल बढ़ा तो माफी मांग ली जाएगी और ज्यादा मुद्दा तूल पकड़ने लगा तो फिल्म से सीन हटा लिया जाएगा, लेकिन तब तक फिल्म का बिना खर्चे प्रमोशन हो जाता है.

कब तक होता रहेगा ऐसा अपमान
हैरानी इस बात की है कि जब हिंदुओं के इष्ट देवताओं को टारगेट किया जाता है, तो इसे अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़ दिया जाता है. अब आप सोचिए अगर किसी भी फिल्म में सिख, ईसाई या मुस्लिम समुदाय के इष्ट देवताओं पर सवाल उठा तो फिर भूचाल आ जाता है, लेकिन सवाल है कि कब तक हिंदू देवी देवताओं का फिल्मों में इस तरह अपमान होता रहेगा. इसको सेंसर बोर्ड के साथ ही सरकार को भी गंभीरता से लेना चाहिए.

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