Som Pradosh Vrat 2023: चमत्कारी रहस्यों का डेरा है शिव तांडव स्तोत्र, प्रदोष व्रत के दिन जरूर करें पाठ, बरसेगी महादेव की कृपा
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Som Pradosh Vrat 2023: चमत्कारी रहस्यों का डेरा है शिव तांडव स्तोत्र, प्रदोष व्रत के दिन जरूर करें पाठ, बरसेगी महादेव की कृपा

Chaitra Som Pradosh Vrat 2023: भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सोमवार और प्रदोष व्रत बहुत महत्वपूण माना जाता है...जानते हैं चैत्र माह के सोम प्रदोष व्रत की डेट, मुहूर्त और पूजा विधि...पंचांग के अनुसार प्रदोष काल में शिव पूजा करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है...इसके अलावा जिन लोगों की कुण्डली में सर्प योग, कालसर्प योग या पितृ दोष लगा हुआ हो, उन्हें भी शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए...

प्रतीकात्मक फोटो

Chaitra Som Pradosh Vrat 2023: धर्म शास्त्रों में भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सोमवार और प्रदोष व्रत बहुत महत्वपूण माना गया है. अभी चैत्र माह का शुक्ल पक्ष चल रहा है.  प्रदोष और सोमवार दोनों ही भगवान शिव को अर्पित किए गए हैं. अत: इस दिन किए गए सभी व्रत व पुण्य का कई गुणा फल मिलता है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रदोष इस बार 3 अप्रैल 2023, सोमवार को है.  ऐसे में इस बार सोम प्रदोष का शुभ संयोग बन रहा है. सनातन शास्त्रों में निहित है कि प्रदोष व्रत की शाम को भगवान शिव को खुश करने के लिए शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से देवों के देव खुश हो जाते हैं..  इस पाठ को बहुत शुभ माना गया है. अगर आप भी भोले का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो इसका पाठ जरूर करें. हम आपको यहां पर शिव तांडव स्तोत्र पाठ लिखित में दे रहे हैं.

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कब है सोम प्रदोष व्रत?
प्रदोष तिथि का आरंभ 
3 अप्रैल 2023, सोमवार को पूर्वाह्न 6.24 बजे 
समापन -अगले दिन 4 अप्रैल 2023, मंगलवार को सुबह 8.05 बजे 

शिव तांडव स्तोत्र (Shiva Tandava Stotram)

जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌।

डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥

जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।

धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥

धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।

कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।

मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥४॥

सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः।

भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥

ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्‌।

सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥

करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके।

धराधरेंद्रनंदिनी कुचाग्रचित्रपत्र कप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥

नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर त्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।

निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥

प्रफुल्लनीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।

स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥

अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।

स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध गद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।

धिमिद्धिमिद्धि मिध्वनन्मृदंग तुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥

दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकमस्र जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।

तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥

कदा निलिंपनिर्झरी निकुंजकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।

विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥१३॥

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥

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शिव तांडव स्तोत्र के फायदे
धार्मिक मान्यता है कि नियमित रूप से शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से कभी भी धन-सम्पति की कमी नहीं होती है. इस पाठ को करने से व्यक्ति का चेहरा तेजमय होता है, आत्मबल मजबूत होता है. शिव जी नृत्य, चित्रकला, लेखन, योग, ध्यान, समाधी आदि सिद्धियों को प्रदान करने वाले हैं. ऐसे में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से इन सभी विषयों में सफलता प्राप्त होती है. शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से शनि दोष को कुप्रभावों से भी छुटकारा मिलता है. 

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