13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ शुरू हो रहा है और अगर आप भी महाकुंभ मेले में जा रहे हैं तो पास ही में स्थित शिवालय पार्क जाना न भूलें. बस कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह पार्क भारत के नक्शे के आकार का बना है. जहां आप भारत के सभी प्रमुख मंदिर और 12 ज्योतिर्लिंग की प्रतिकृति का आनंद उठा सकते हैं.
प्रयागराज के अरैल गंगा घाट के पास बना यह शिवालय पार्क अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है. भारत के नक्शे के अंदर देश के सभी प्रमुख मंदिरों और 12 ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृति बनाई गई है. ये मंदिर कबाड़ से बने होने के बावजूद बेहद भव्य और असली जैसे दिखते हैं.
इस पार्क के सभी मंदिर स्क्रैप यानी कबाड़ में निकले लोहे से बनाए गए हैं. हर मंदिर के सामने उसका नाम लिखा गया है, ताकि पर्यटक पहचान सकें. इन मंदिरों की खूबसूरती और कला देखकर लोग इसे भारतीय वास्तुकला का अद्भुत नमूना मानते हैं.
पार्क में प्रवेश करते ही समुद्र मंथन का जीवंत दृश्य नजर आता है. इसमें नागवासुकी को रस्सी बनाकर देव और दानवों को मंथन करते हुए दिखाया गया है. इसके अलावा विशालकाय नंदी और त्रिशूल यहां की भव्यता को और बढ़ाते हैं.
इस पार्क में बारह ज्योतिर्लिंगों के साथ-साथ भारत के विभिन्न राज्यों के प्रसिद्ध मंदिरों की प्रतिकृति बनाई गई है. मंदिर भारत के नक्शे में उनके असली स्थान के अनुसार बनाए गए हैं. यहां आकर लोग एक ही जगह पर देशभर के मंदिरों के दर्शन का सुख अनुभव करते हैं.
भारत के नक्शे के बॉर्डर पर एक प्रतीकात्मक नदी बनाई गई है. इस नदी में बोटिंग की सुविधा दी गई है, जिससे आप भारत की परिक्रमा का अनुभव कर सकते हैं. यह अनुभव आगंतुकों को अध्यात्म और रोमांच का अनूठा मिश्रण प्रदान करता है.
पार्क में प्रवेश के लिए सप्ताह के दिनों में 50 रुपये और वीकेंड पर 100 रुपये शुल्क रखा गया है. 10 एकड़ में फैले इस पार्क को तैयार करने में करीब 20 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. कम लागत में भी यह स्थान यहां आने वालों के लिए एक भव्य धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है. 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए एंट्री फ्री है.
शिवालय पार्क में फोटोग्राफी पर कोई प्रतिबंध नहीं है आप यहां फोटोग्राफी कर सकते हैं. शांति में ध्यान लगा सकते हैं. गार्डन एरिया में घूम सकते हैं साथ ही पास ही की कैंटिन में स्नैक्स आदि का लुत्फ भी उठा सकते हैं.
माना जाता है कि प्रयागराज में समुद्र मंथन से अमृत की बूंदें गिरी थीं, इसलिए यहां यह दृश्य दर्शाया गया है. यह स्थान श्रृष्टि के पहले यज्ञ से भी जुड़ा है, जिसे ध्यान में रखकर यहां यज्ञशाला बनाई गई है. स्थानीय लोग इसे प्रयागराज के लिए एक अनमोल उपहार मानते हैं.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.