कैसे तय होता है कि कुंभ कब और कहां होगा? कुंभ मेला के इन 10 सवालों का क्या आप जानते हैं जवाब
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कैसे तय होता है कि कुंभ कब और कहां होगा? कुंभ मेला के इन 10 सवालों का क्या आप जानते हैं जवाब

Maha kubha 2025 GK Quiz: कुंभ मेले का आयोजन सबसे पहले प्राचीन काल में हुआ था, जब ऋषि और मुनि गंगा नदी के किनारे एकत्र होते थे और धार्मिक अनुष्ठान करते थे.  क्या आप जानते हैं कि कुंभ होना किस आधार पर तय होता है.

Maha kubha 2025 GK Quiz

Maha kubha 2025: कुंभ मेले का आयोजन लगभग 2 हजार सालों से हो रहा है.  इसका उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है. कुंभ मेला हिंदू धर्म का महापर्व है, जिससे करोड़ों लोगों की आस्थाएं जुड़ी होती हैं. महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल के अंतराल पर प्रयागराज में होता है. इस बार महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से आयोजित होने वाला है. इस मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं, महाकुंभ पर आधारित ये खास क्विज यानी आपकी जनरल नॉलेज के बारे में जानते हैं. देखते हैं कि आप कुंभ को कितना जानते हैं.  

क्या आप दे पाएंगे महाकुंभ से जुड़े सवालों के सही जवाब. चलिए चेक करते हैं.

1- सवाल: महाकुंभ मेला एक ही जगह कब आयोजित किया जा सकता है?
जवाब: 144 साल

2- सवाल: किस आधार पर तय किया जाता है कि कुंभ मेले का आयोजन कहां किया जाएगा?
जवाब: राशि

3-सवाल:कुंभ मेला किस शहर में आयोजित नहीं किया जा सकता है?
जवाब: वाराणसी

4-सवाल: जब गुरु कुंभ राशि में होता है और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तब कुंभ कहां लगता है?
जवाब:हरिद्वार

5-सवाल:कुंभ के आयोजन में नवग्रहों में से किन ग्रहों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है?
 जवाब: शनि

6-सवाल:सिंहस्थ का क्या अर्थ होता है?
जवाब:सिंह राशि से

7-सवाल:प्रयागराज को पहले किस नाम से जाना जाता था?
जवाब:इलाहाबाद

8-सवाल:प्रयागराज के संगम स्थल में कौन से नदियां मिलती हैं?
जवाब:गंगा, यमुना, सरस्वती

 9-सवाल: अमृत की बूंदें किन शहरों में गिरी थीं, जहां कुंभ होता है?
 जवाब:प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक

 10-सवाल: पिछली बार प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन कब हुआ था?
 जवाब: 2013

क्यों होता है प्रयागराज में महाकुंभ?
महाकुंभ प्रयागराज की धरती पर होने का क्या महत्व है? इस पर बात करते हुए मंहत दुर्गा दास ने कहा, "इसका बहुत महत्व है क्योंकि ब्रह्माजी ने यहां पर यज्ञ किया था. यह दशाश्वमेध यज्ञ त्रिवेणी की पुण्य स्थली पर किया गया था. इसके अलावा यहां मां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है. इसलिए यहां स्नान का महत्व है. इसके अलावा ज्ञान के रूप में अमृतज्ञान भी यहां निरंतर प्रवाहित रहता है. इस जगह पर अमृत की कुछ बूंदे गिरी थी, जिसका लाभ यहां प्राप्त होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है.

प्रयागराज में 144 साल बाद पूर्ण महाकुंभ क्यों? कुंभ मेला के इन 10 सवालों का क्या आप जानते हैं जवाब
 

 

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