बेटी यानि धरती पर लक्ष्मी का रूप. किसी घर में बेटियों को खुशी के नाम से पुकारा जाता है तो किसी को लक्ष्मी. आज के इस दौर में जहां बेटियां लड़कों से कंधे से कंधा मिलाकर चलती है तो कहीं उन्हे कोख में ही जान से मार दिया जाता है.
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अनूप प्रताप सिंह/अम्बेडकर नगर: बेटी यानि धरती पर लक्ष्मी का रूप. किसी घर में बेटियों को खुशी के नाम से पुकारा जाता है तो किसी को लक्ष्मी. आज के इस दौर में जहां बेटियां लड़कों से कंधे से कंधा मिलाकर चलती है तो कहीं उन्हे कोख में ही जान से मार दिया जाता है. बेटियों पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए एक ऐसा परिवार है जो पिछले 20 सालों से करीब 1000 बेटियों के हाथ पीले करवा चुका है. इस परिवार का कहना है कि शादी और अनेक खर्चे के कारण बेटियों को बोझ समझ जाता है, जिस कारणवश बेटियों को मार दिया जाता है या उन पर अत्याचार होता है.
गरीब समाज की बेटियों की करवा रहे है शादी
धर्मवीर बग्गा ने बताया कि गरीब परिवार की बेटियों की शादी नहीं हो पाती है.इसी को लेकर उन्होंने यह पहल शुरू की है. वह अपने खर्चे से गरीब समाज की बेटियों की शादी करवाते हैं. वह गरीब समाज की लड़कियों को अपनी बहन बेटियां मानकर उनकी शादी करवाते आ रहे हैं.
सेवाहि धर्म नाम की संस्था कर रही बेटियों का विवाह
अम्बेडकर नगर जिले के व्यवसायी समाजसेवी धर्मवीर सिंह बग्गा नें सेवाहि धर्म नाम की संस्था का गठन किया था. इसमें वो और उनके साथी मिलकर पिछले लगभग 20 सालों से समाज की गरीब और बेसहारा परिवार की सभी जाति धर्म की बेटियों का विवाह अपने निजी खर्च पर पूरी भव्यता के साथ करते चले आ रहे हैं और अब तक लगभग 1000 से अधिक बेटियों की शादी उन्होंने बेटियों जाति धर्म और रीति रिवाज के अनुसार करा चुके हैं.
इस वर्ष 25 बेटियों को अपने आँगन से किया विदा
सेवाहि संस्था के संस्थापक और अन्य साथियों ने इस साल 25 बेटियों के हाथ पीले कर उन्हे अपने आँगन से विदा करने का बीड उठाया. बग्गा ने जानकारी दी कि कुछ बेटियों के पिता नहीं है तो कुछ के अनाथ हैं. उन्होंने बताया कि कुछ परिवारों की हालत काफी माली है, जिसके कारण वह अपनी बेटियों की शादी करवाने में असमर्थ है.