रामभक्त को नहीं मिला वीजा, आखिर क्यों योगीराज से नाराज हुआ अमेरिका
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रामभक्त को नहीं मिला वीजा, आखिर क्यों योगीराज से नाराज हुआ अमेरिका

UP News: रामलला के भक्त और अयोध्या राम मंदिर के लिए रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज से अमेरिका नाराज दिखता है. शायद इसीलिए अमेरिका ने योगीराज को वीजा नहीं दिया. पर ऐसा क्या हुआ ... पढ़िए पूरी खबर ... 

Arun Yogiraj

Arun Yogiraj: रामलला के भक्त और अयोध्या राम मंदिर के लिए रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज से अमेरिका नाराज दिखता है. वीजा ना मिलने के कारण अरुण के परिवार वालों ने निराशा जताई है. अरुण के परिजनों ने बताया कि उनकी पत्नी विजेता पहले अमेरिका जा चुकी हैं. ऐसे में अरुण को वीजा ने मिलना बहुत ही अप्रत्याशित है. हालांकि अरुण द्वारा पूछने पर वीजा एजेंसी ने कोई ठोस वजह नहीं बताई है. 

वर्ल्ड कन्नड़ कॉन्फ्रेंस में होना था शामिल
अरुण ने बताया कि उन्हें 12वीं AKKA वर्ल्ड कन्नड़ कॉन्फ्रेंस में शामिल होना था. इसी के लिए उन्हें वीजा चाहिए था. यह कॉन्फ्रेंस अमेरिका के वर्जीनिया राज्य के रिचमंड कन्वेंशन सेंटर में 30 अगस्त से 1 सितंबर के बीच होनी प्रस्तावित है. हालांकि अमेरिका द्वारा अरुण योगीराज को वीजा ना देने के कारण में कोई भी ठोस वजह नहीं बताई है. अरुण के अनुसार इस कॉन्फ्रेंस का मुख्य उद्देश्य दुनिया के सभी हिस्सों में रहने वाले समुदाय के सदस्यों को एक जगह लाना है. आपको बता दें कि AKKA वर्ल्ड कन्नड़ कॉन्फ्रेंस एक साल में दो बार आयोजित की जाती है.  

बनाई थी रामलला की मूर्ति
इस साल अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित हुआ था. अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति अरुण योगीराज ने ही बनाई थी. आपको बता दें कि योगीराज के परिवार की कई पीढ़ियों ने मूर्ति बनाने का काम किया है. यह कला उन्हें विरासत में मिली है. लेकिन वह रामलला की मूर्ति बनाने के बाद पूरे विश्व में लोकप्रिय हो गए हैं. 

चार चीजों का रखा था विशेष ध्यान
अरुण योगीराज ने बताया था कि जब उन्हें रामलला की मूर्ति बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी. तो उन्हें मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों ने चार चीजों का ध्यान रखने को कहा गया था. यह चार चीजें मुस्कुराता हुआ चेहरा, पांच साल के बच्चे जैसा स्वरूप, युवराज जैसा चेहरा और दिव्य दृष्टि होना थीं. इन बातों को ध्यान में रखते हुए अरुण योगीराज को रामलली की मूर्ति बनाने के लिए सात महीने लगे थे. 

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