Pradosh Vrat Katha: दिसंबर 2023 का दूसरा प्रदोष व्रत 24 दिसंबर 2023 को है. प्रदोष व्रत के दौरान व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से शिवजी की विशेष कृपा बरसती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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Pradosh Vrat Katha: हिंदू धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत का खास महत्व माना गया है. इस दिन भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है. दिसंबर 2023 का दूसरा प्रदोष व्रत 24 दिसंबर 2023 को है. प्रदोष व्रत के दौरान व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से शिवजी की विशेष कृपा बरसती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
नीचे पढ़िए प्रदोष व्रत कथा
एक गांव में बेहद ब्राह्मण रहता था. उसकी साध्वी पत्नी प्रदोष व्रत किया करती थी. उसे एक ही पुत्ररत्न था. एक समय की बात है, वह पुत्र गंगा स्नान करने के लिए गया. दुर्भाग्यवश मार्ग में चोरों ने उसे घेर लिया और वह कहने लगे कि हम तुम्हें मारेंगे नहीं, तुम अपने पिता के गुप्त धन के बारे में हमें बतला दो. बच्चे ने दीनभाव से कहने लगा कि बंधुओं! हम बहुत दु:खी दीन हैं, हमारे पास धन कहां है? तब चोरों ने कहा कि तेरे इस पोटली में क्या बंधा है? बालक ने नि:संकोच कहा कि मेरी माँ ने मेरे लिए रोटियां दी हैं. यह सुनकर चोरों ने अपने साथियों से कहा कि साथियों! यह बहुत ही दीन-दु:खी मनुष्य है इसलिए हम किसी और को लूटेंगे. इतना कहकर चोरों ने उस बालक को जाने दिया.
बालक वहां से चलते हुए एक नगर में पहुंचा. नगर के पास एक बरगद का पेड़ था. वह बालक उसी बरगद के वृक्ष की छाया में सो गया. उसी समय उस नगर के सिपाही चोरों को खोजते हुए उस बरगद के वृक्ष के पास पहुंचे और बालक को चोर समझकर बंदी बना राजा के पास ले गए. राजा ने उसे कारावास में बंद करने का आदेश दिया. ब्राह्मणी का लड़का जब घर नहीं लौटा, तब उसे अपने पुत्र की बड़ी चिंता हुई. अगले दिन प्रदोष व्रत था. ब्राह्मणी ने प्रदोष व्रत किया और भगवान शंकर से मन-ही-मन अपने पुत्र की कुशलता की प्रार्थना करने लगी.
भगवान शंकर ने उस ब्राह्मणी की प्रार्थना स्वीकार कर ली. उसी रात भगवान शंकर ने उस राजा को स्वप्न में आदेश दिया कि वह बालक चोर नहीं है, उसे प्रात:काल छोड़ दें अन्यथा तुम्हारा सारा राज्य-वैभव नष्ट हो जाएगा. प्रात:काल राजा ने शिवजी की आज्ञानुसार उस बालक को कारावास से मुक्त कर दिया गया। बालक ने अपनी सारी कहानी राजा को सुनाई.
पूरी बात सुनकर राजा ने अपने सिपाहियों को उस बालक के घर भेजा और उसके माता-पिता को राजदरबार में बुलाया. उसके माता-पिता बहुत ही भयभीत थे. राजा ने उन्हें डरा देखकर कहा कि आप भयभीत न हों. आपका बालक निर्दोष है. राजा ने ब्राह्मण को 5 गांव दान में दिए. जिससे कि वे सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सकें. इस तरह ब्राह्मण आनन्द से रहने लगा. शिव जी की दया से उसकी दरिद्रता दूर हो गई. जो भी मनुष्य रवि प्रदोष व्रत को करता है, वह सुखपूर्वक और निरोगी होकर अपना पूर्ण जीवन व्यतीत करता है.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.