Mahabharat Katha: उर्वशी ने अर्जुन को क्यों दिया नपुंसक होने का श्राप? इस दौरान कहां छिपे रहे अर्जुन?
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Mahabharat Katha: उर्वशी ने अर्जुन को क्यों दिया नपुंसक होने का श्राप? इस दौरान कहां छिपे रहे अर्जुन?

Mahabharat Ki Kahaniya: महाभारत में एक जगह उल्लेख मिलता है कि इंद्रलोक की अप्सरा उर्वशी ने अपने श्राप से अर्जुन को नपुंसक बना दिया. लेकिन ऐसा हुआ क्यों और अर्जुन नपुंसक बनने के बाद कहां रहे यहां पढ़ें महाभारत की यह घटना. 

 

Mahabharat Ki Kahaniya

Mahabharat Katha: वेदव्यास जी कहने पर अपना राज पाठ वापस पाने के लिए अर्जुन शिव की तपस्या के लिए उत्तराखंड के घनघोर जंगलों में चले गए. वहां शिव जी ने उनके पराक्रम की परीक्षा ली और प्रसन्न होकर  पशुपत्यास्त्र प्रदान किया. उसके बाद शिव शंकर वहां से अंर्तध्यान हो गए. इसके बाद  वहां पर वरुण, यम, कुबेर, गन्धर्व और इन्द्र अपने अपने वाहनों पर सवार हो कर अर्जुन के सामने आ गये. अर्जुन ने सभी देवताओं को वंदन कर आदर सत्कार किया और विधिवत सभी की पूजा की. सभी देवताओं ने प्रसन्न होकर अर्जुन को अनेक अलौकिक शक्तियां दी और कई दिव्य अस्त्र शस्त्र प्रदान किये. सभी देवता अपने अपने लोक वापस लौट गए. लौटते समय देवराज इंद्र ने अर्जुन को इंद्रलोक आने का न्योता दिया. इंद्र ने अर्जुन से अपने सारथि के आने का इंतजार करने को कहा और लौट गए.

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कुछ समय पश्चात इंद्रलोक से इंद्र के एक सारथि अर्जुन को लेने आये. इन्द्र के सारथि मातलि वहां पहुंचे और अर्जुन को भव्य विमान में बिठाकर देवराज इंद्र की नगरी अमरावती ले गये. देवराज इंद्रा ने अर्जुन का आदर सत्कार किया और उन्हें एक सुसज्जित आसान पर विराजमान करवाया. अमरावती में रहकर अर्जुन ने देवताओं से प्राप्त हुये दिव्य और अलौकिक अस्त्र शस्त्रों की प्रयोग विधि को सीखा और उन अस्त्र शस्त्रों को चलाने का अभ्यास करके उन पर महारत प्राप्त कर लिया. देवराज इंद्र के कहने पर अर्जुन चित्रसेन नामक गन्धर्व से संगीत और नृत्य की कला सीखने लगे. 

उर्वशी और अर्जुन की मुलाकात 
एक दिन अर्जुन चित्रसेन के साथ संगीत और नृत्य का अभ्यास कर रहे थे. तभी वहां पर इंद्रलोक की बेहद खूबसूरत अप्सरा आयी और अर्जुन को देखकर उन पर मोहित हो गयीं. अकेले में समय पाकर  उर्वशी ने अर्जुन से कहा हे अर्जुन,आपको देखकर मेरी कामवासना जागृत हो गई है अब आप किसी तरह  मेरी कामवासना को शांत करें. लेकिन अर्जुन ने उन्हें अपनी माता के समान प्रणाम किया और आदर के साथ उनका प्रणय निवेदन अस्वीकार कर दिया. 

अर्जुन को श्राप मिलना और उनका नर्तकी बनना 
अर्जुन की बातों से उर्वशी के मन में बड़ा क्रोध और दुःख उत्पन्न हुआ और उसने अर्जुन से कहा तुमने नपुंसकों जैसी बात कही है इसलिए मैं तुम्हें शाप देती हूं कि तुम एक वर्ष तक नपुंसक बनकर रहोगे. इस श्राप के बाद अर्जुन अपने अज्ञातवास के समय बृहन्नला बने थे. बृहन्नला के रूप में अर्जुन ने विराट नगर के राजा विराट की पुत्री उत्तरा को एक वर्ष नृत्य सिखाया था. बाद में उत्तरा का विवाह अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से हुआ था. 

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