प्रयागराज में 144 साल बाद पूर्ण महाकुंभ क्यों? कुंभ मेला के इन 10 सवालों का क्या आप जानते हैं जवाब
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प्रयागराज में 144 साल बाद पूर्ण महाकुंभ क्यों? कुंभ मेला के इन 10 सवालों का क्या आप जानते हैं जवाब

Maha kubha 2025 GK Quiz: कुंभ मेले का आयोजन सबसे पहले प्राचीन काल में हुआ था, जब ऋषि और मुनि गंगा नदी के किनारे एकत्र होते थे और धार्मिक अनुष्ठान करते थे. इसके पीछे बहुत से कारण थे. आज आपके महाकुंभ की जनरल नॉलेज के बारे में जानते हैं.

Maha kubha 2025 GK Quiz

Maha kubha 2025: कुंभ मेले का आयोजन लगभग 2000 वर्षों से हो रहा है.  इसका उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता हैकुंभ मेला हिंदू धर्म का महापर्व है, जिससे करोड़ों लोगों की आस्थाएं जुड़ी होती हैं. महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल के अंतराल पर प्रयागराज में होता है और इस बार महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से आयोजित होने वाला है. इस मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं, महाकुंभ पर आधारित ये खास क्विज. देखते हैं कि आप कुंभ को कितना जानते हैं.  

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क्या आप दे पाएंगे महाकुंभ से जुड़े सवालों के सही जवाब

1. सवाल-कुंभ का शाब्दिक अर्थ क्या है?
 जवाब शाब्दिक अर्थ है घड़ा, कलश या पिचर

2. सवाल: महाकुंभ मेले का आयोजन कितने वर्ष के अंतराल पर होता है?
 जवाब:हर 12 सालों के बाद लगता है

3. सवाल: कितने प्रकार के होते हैं कुंभ
जवाब:चार

4. सवाल: क्या कुंभ एक ही स्थान पर लगता है
जवाब: यह मेला चार अलग-अलग स्थानों पर लगता है जो हर 3 सालों के अंतराल पर बदलते रहते हैं.

5. सवाल: कौन से हैं  ये चार स्थान
जवाब: 1. हरिद्वार (गंगा नदी के किनारे)
2. इलाहाबाद (त्रिवेणी संगम, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां मिलती हैं)
3. उज्जैन (शिप्रा नदी के किनारे)
4. नासिक (गोदावरी नदी के किनारे)

6. सवाल: महाकुंभ मेले का संबंध किस पौराणिक घटना से है?
जवाब: समुद्र मंथन

7. सवाल:प्रयागराज कुंभ मेले में कुल कितने शाही स्नान होंगे?
जवाब: 12

8. सवाल:कुंभ मेले का आयोजन किस काल से हो रहा है?
जवाब:ऋषियों के काल से

9.  सवाल-महाकुंभ मेले का संबंध समुद्र मंथन से क्यों है?
जवाब:अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं.

10. सवाल: प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 कब से कब तक होगा?
जवाब:  13 जनवरी से 26 फरवरी तक

क्यों होता है प्रयागराज में महाकुंभ
महाकुंभ प्रयागराज की धरती पर होने का क्या महत्व है? इस पर बात करते हुए मंहत दुर्गा दास ने कहा, "इसका बहुत महत्व है क्योंकि ब्रह्माजी ने यहां पर यज्ञ किया था. यह दशाश्वमेध यज्ञ त्रिवेणी की पुण्य स्थली पर किया गया था. इसके अलावा यहां मां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है. इसलिए यहां स्नान का महत्व है. इसके अलावा ज्ञान के रूप में अमृतज्ञान भी यहां निरंतर प्रवाहित रहता है. इस जगह पर अमृत की कुछ बूंदे गिरी थी, जिसका लाभ यहां प्राप्त होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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