Halal Product: मौलाना ने कहा, "हलाल टैग सिर्फ गोस्त पर ही लगाया जा सकता है. अगर दूसरे किसी उत्पाद पर इसे लगाया जा रहा है तो ये एक अच्छे शब्द का दुरुपयोग है.
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Halal Ban in UP/बरेली: हलाल सर्टिफिकेट को लेकर पूरे देश में चर्चा का बाजार गर्म है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ताबड़तोड़ कार्रवाई में जुटी हुई है. देश भर से मुसलमान हलाल सर्टिफिकेट को लेकर सवाल कर रहे हैं. शरीयत इस बारे में क्या कहती है उसके बारे में पूछ रहे हैं. ऐसे में अब ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने स्पष्ट करने के लिए एक बयान जारी किया है.
मौलाना ने कहा, "सिर्फ सर्टिफिकेशन के नाम से एक कागज का टुकड़ा दे देने से शरई तौर पर हराम चीज को हलाल और हलाल चीज को हराम नहीं कहा जा सकता. ऐसे लोग और वो इदारों, जो सिर्फ कागज का सर्टिफिकेट देकर किसी चीज को हलाल करार देते है, तो वो डबल मुजरिम है."
रिजवी ने कहा, "एक तो उन्होंने गैर शरई काम को किया कि एक कागज का टुकड़ा पकड़ाकर लिखकर दे दिया कि ये चीज हलाल है. दूसरा जुर्म ये की अगर सर्टिफिकेट दिया होता तो इंसान खुद अपने तौर पर जांच पड़ताल करके हलाल व हराम होने का पता लगा लेता. इस तरह अपने और अपने परिवार को संतुष्ट कर देता. ऐसा न करके सर्टिफिकेट देकर एक तरह से लोगों को धोखे में डाल दिया."
मौलाना ने हलाल की शरीयत में क्या हैसियत है उसको बताते हुए कहा, "शरई तरीका ये है कि मांसाहारी चीजों, जानवरों की जो 4 रगें होती हैं, उनमें से कम से कम तीन रगें "बिस्मिल्लाह अल्लाहु अकबर" कहकर कोई मुसलमान उसे जबह करें, उसके साथ ही एक पलभर के लिए मुसलमान की नजर से ओझल न हो, तो ये हलाल होगा और अगर इसके उलट कोई कार्य होगा तो वो गैर शरई होगा. सिर्फ सर्टिफिकेट दे देने से गैर शरई काम शरई नहीं हो सकता है. जो संस्थाएं इस तरह का खेल खेल रही हैं वो मजहब की आड़ में मुसलमानों को धोखा दे रही हैं. ये ऐसा कारोबार है जो अल्लाह का नाम लेकर ही शुरू होता है. दुनिया में कोई दूसरा कारोबार ऐसा नहीं है जो अल्लाह का नाम लेकर शुरू होता हो."
मौलाना ने कहा, "हलाल टैग सिर्फ गोस्त पर ही लगाया जा सकता है. अगर दूसरे किसी उत्पाद पर इसे लगाया जा रहा है तो ये एक अच्छे शब्द का दुरुपयोग है. शरीयत में हलाल शब्द सिर्फ जानवरों के मांस के संबंध में इस्तेमाल हुआ है. इसके अलावा दूसरे चीजों का इस्तेमाल जायज या नाजायज सो सकता है, पर उन पर हलाल का टैग नहीं लगाया जाना चाहिए."
मौलाना ने आगे कहा, "कुछ इदारों ने हलाल टैग की मार्केटिंग करना शुरू कर दी थी और हर चीज पर हलाल टैग लगाने के लिए हलाल सर्टिफिकेट इश्यू करके कमाई का एक माध्यम बना रखा था. हद यहां तक हो गई कि सब्जियों, फलों, बिस्किटों और दीगर खाने पीने की चीजों पर भी हलाल टैग लगाया जाने लगा. मुस्लिम इदारों को इस तरह की भ्रमित और गुमराह करने वाली चीजों से बचना चाहिए."
मौलाना ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है, "मीट की दुकानों के लाइसेंस पहले से ही जाब्ता के तहत प्रशासन ने जारी किए हैं. इसलिए जांच टीमें उनको परेशान न करें." मौलाना ने सरकार से मांग कि है इस व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक हलाल बोर्ड का गठन करें, जिसमें ऐसे लोगों को जिम्मेदारी दी जाए, जो शरई तौर पर काम करने में सक्षम हो.