Supreme Court: 'लड़कियां यौन इच्छाओं पर...' सुप्रीम कोर्ट ने पलटा कलकत्ता हाई कोर्ट का वो फैसला
Advertisement
trendingNow12391737

Supreme Court: 'लड़कियां यौन इच्छाओं पर...' सुप्रीम कोर्ट ने पलटा कलकत्ता हाई कोर्ट का वो फैसला

सेक्सुअल इच्छाओं को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट की टिप्पणी आज सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी. पिछले साल एक फैसले में हाई कोर्ट ने एक नाबालिग लड़की से रेप के आरोप को बरी कर दिया था. कोर्ट ने इसे रोमांटिक अफेयर बताया था. आज SC ने निचली अदालत से मिली सजा को बरकरार रखा. 

Supreme Court: 'लड़कियां यौन इच्छाओं पर...' सुप्रीम कोर्ट ने पलटा कलकत्ता हाई कोर्ट का वो फैसला

कोलकाता कांड पर सुनवाई के दिन आज सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने 'लड़कियों को सेक्स इच्छा पर काबू रखने' की नसीहत देने वाली टिप्पणी की थी. आज सुप्रीम कोर्ट ने जजों को सुनाते हुए इस टिप्पणी को रद्द कर दिया. साथ ही देश की सबसे बड़ी अदालत ने रेप के दोषी को निचली अदालत से मिली 20 साल की सजा भी बरकरार रखी. हाई कोर्ट ने तब पॉक्सो एक्ट से शख्स को बरी कर दिया था. 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वह पॉक्सो एक्ट के उचित तरीके से इस्तेमाल पर व्यापक गाइडलाइंस जारी कर रहा है और उसी हिसाब से जजों को अपने फैसले लिखने चाहिए. SC ने पहले ही हाई कोर्ट की टिप्पणी को आपत्तिजनक माना था. पिछले साल अक्टूबर 2023 में कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस चित्तरंजन दास और जस्टिस पार्थसारथी सेन की बेंच ने नाबालिग लड़की से यौन उत्पीड़न के मामले में लड़के को बरी कर दिया था. दोनों किशोरों के बीच प्रेम संबंध था और उन्होंने सहमति से संबंध बनाए थे. 

दो मिनट का आनंद... कलकत्ता हाई कोर्ट ने तब क्या कहा था

- किशोर लड़कियों को दो मिनट के आनंद के बजाय अपनी यौन इच्छाओं (सेक्सुअल डिजायर) पर काबू रखना चाहिए. 

- किशोर लड़कों को युवा लड़कियों और महिलाओं की गरिमा और शारीरिक स्वायत्ता का सम्मान करना चाहिए. 

- हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथि टेस्टोस्टेरोन की मात्रा को कंट्रोल करते हैं, जो मुख्य रूप से सेक्स इच्छा (पुरुषों में) के लिए जिम्मेदार है. इसका अस्तित्व शरीर में होता है इसलिए उत्तेजना से संबंधित ग्रंथि जब सक्रिय हो जाती है तो यौन इच्छा एक्टिव होती है. 

- लेकिन संबंधित ग्रंथि का सक्रिय होना अपने आप नहीं होता है क्योंकि इसे हमारी दृष्टि, श्रवण, कामुक सामग्री पढ़ने और विपरीत लिंग के साथ बातचीत से उत्तेजना की आवश्यकता होती है... यौन इच्छा हमारे क्रियाकलाप से पैदा होती है.

पूरा मामला समझिए

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम में यौन शोषण और किशोरों के बीच सहमति से यौन संबंध को एक साथ जोड़ने पर चिंता जताई थी. न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी सेन की खंडपीठ ने यह भी कहा था कि यौन शिक्षा पर आधारित अधिकारों की आवश्यकता है. कोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को पलट दिया था, जिसमें एक किशोर को अपने 'रोमांटिक पार्टनर' (नाबालिग) के साथ यौन संबंध बनाने के लिए 20 साल कैद की सजा सुनाई गई थी.

पढ़ें: कोलकाता कांड पर SC ने नेशनल टास्क फोर्स बनाई; क्या करेगी, कौन मेंबर? सब जानिए

खंडपीठ ने किशोर लड़के को तब बरी किया जब नाबालिग लड़की ने स्वीकार किया कि शारीरिक संबंध सहमति से बने थे क्योंकि दोनों ने बाद में एक-दूसरे से शादी करने का फैसला किया था. उसने यह भी स्वीकार किया कि न तो उसे और न ही रोमांटिक पार्टनर को इस बात की जानकारी थी कि भारतीय कानून के अनुसार यौन संबंध की आधिकारिक उम्र 18 साल है. दोनों ही दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से थे.

इसी दौरान खंडपीठ ने किशोर लड़कों और लड़कियों के लिए कुछ सलाह भी दी. इसके अनुसार, जहां किशोर लड़कों को अपनी उम्र की लड़कियों का सम्मान करना सीखना चाहिए, वहीं किशोर लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं को नियंत्रित करना सीखना चाहिए. अदालत ने यह भी कहा कि माता-पिता की भी अपने बच्चों को इस संबंध में शिक्षा देने की जिम्मेदारी है. खंडपीठ के मुताबिक, सभी को इस बात का ध्यान रखना होगा कि महज दो मिनट के आनंद से सामाजिक गरिमा को नुकसान न पहुंचे. 

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news