Feroze Gandhi Religion: सोशल मीडिया के दौर में आजकल फिरोज गांधी को लेकर कई गलत जानकारियां तैरती रहती हैं. कुछ लोग उनके धर्म को लेकर सवाल करते रहते हैं. आखिर इंदिरा गांधी के पति का पूरा नाम क्या था और उनका धर्म क्या था? क्या नेहरू इस शादी के खिलाफ थे. पारसी फिरोज को कैसा मिला था गांधी सरनेम. पढ़िए पूरा किस्सा.
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साल था 1930, देश में आजादी का आंदोलन तेज हो रहा था. उस दौरान एक और कहानी लिखी जा रही थी. ये कहानी थी दो लोगों के प्यार की. प्रेम की डोर के एक सिरे पर थे फिरोज गांधी तो दूसरी छोर पर थीं देश के सबसे ताकतवर राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वालीं इंदिरा गांधी.
16 साल की उम्र में शादी का ऑफर
इंदिरा की उम्र महज 16 साल ही थी कि उन्हें फिरोज ने शादी का प्रपोजल दे दिया. लेकिन, इंदिरा और उनकी मां ने यह कहते हुए इसे अस्वीकार कर दिया था कि वह बहुत छोटी हैं. हालांकि, बाद में दोनों के प्रेम ने सात फेरे तक का सफर तय किया, मगर ये शादी हुई थी इंदिरा के पिता जवाहरलाल नेहरू की मर्जी के खिलाफ. इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने न सिर्फ देश की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई बल्कि उनकी प्रेम कहानी भी बहुत चर्चित रही.
फिरोज जहांगीर गांधी कौन थे
12 सितंबर 1912 को पैदा हुए स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता और पत्रकार फिरोज जहांगीर गांधी एक पारसी परिवार से आते थे. 1920 के दशक की शुरुआत में उन्होंने अपने पिता को खो दिया. इसके बाद वह अपनी मां के साथ इलाहाबाद आ गए. साल 1930 आते-आते फिरोज की मुलाकात इविंग क्रिश्चियन कॉलेज के बाहर धरना दे रही प्रदर्शनकारियों में शामिल कमला नेहरू और इंदिरा से हुई. इसी दौरान उनके और इंदिरा गांधी के बीच नजदीकियां बढ़ीं. बर्टिल फॉल्क की किताब 'फिरोज द फॉर्गोटेन गांधी' में प्रेम कहानी के अनछुए पहलुओं का जिक्र है.
नेहरू थे शादी के खिलाफ
बताया जाता है कि दोनों के बीच कई बार मुलाकातें हुईं लेकिन, फिरोज ने पहली बार 1933 में इंदिरा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था. शुरुआत में इंदिरा और उनकी मां ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया। मगर फिरोज, नेहरू परिवार के करीब आ गए, खासकर इंदिरा की मां कमला नेहरू के. इसी दौरान इंदिरा और फिरोज के बीच इंग्लैंड में रहते हुए एक-दूसरे के बीच नजदीकियां बढ़ीं. उनके प्रेम ने सात फेरे तक का सफर किया और इंदिरा ने अपने पिता जवाहरलाल नेहरू की मर्जी के खिलाफ जाकर फिरोज से 1942 में शादी कर ली.
Gandhy से Gandhi कैसे बने
बताया जाता है कि फिरोज और इंदिरा की शादी के बाद महात्मा गांधी ने ही उन्हें अपना सरनेम दिया था. हालांकि इस पर विवाद है. कुछ किताबों (जैसे Women Who Ruled: History's 50 Most Remarkable Women) में यह जिक्र मिलता है कि नेहरू ने पारसी फिरोज गांधी (Feroze Gandhy) को अपने सरनेम की स्पेलिंग बदलवाने को मना लिया था. इससे उनकी पारसी पहचान पता नहीं चलती थी. इंदिरा के साथ फिरोज का सरनेम भी एक हो गया था. सरनेम का महात्मा गांधी से कोई कनेक्शन नहीं था.
रायबरेली से चुनाव लड़ा और...
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इंदिरा और फिरोज साथ में जेल भी गए. हालांकि, शादी के दौरान दोनों के बीच मनमुटाव भी हुआ था. आगे उनके दो बेटे राजीव और संजय का जन्म हुआ. देश की आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने और 1952 में हुए पहले आम चुनाव में फिरोज ने रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.
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फिरोज ने अपने ससुर की सरकार की आलोचना की और भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान भी छेड़ा. 1957 में वह रायबरेली से फिर से चुने गए. 1958 में उन्होंने संसद में हरिदास मूंदड़ा घोटाले का मुद्दा उठाया. इस खुलासे के कारण तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णमाचारी को इस्तीफा देना पड़ा था. 1958 में फिरोज को दिल का दौरा पड़ा. 8 सितंबर 1960 में दिल्ली के वेलिंगटन अस्पताल में फिरोज की मृत्यु हो गई. 48वें जन्मदिन से ठीक चार दिन पहले. बाद में उनकी राख को इलाहाबाद के पारसी कब्रिस्तान में दफनाया गया. (IANS इनपुट के साथ)