Srinagar Smart City Project: जम्मू- कश्मीर के श्रीनगर में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत काम चल रहा है, इस परियोजना में घटिया सामाग्री को लेकर जांच शुरू हो गई है. मिली जानकारी के अनुसार पता चला है की काम में देवरी पत्थरों का दुरुपयोग किया गया है.
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Srinagar Smart City Project: जम्मू- कश्मीर के श्रीनगर में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत काम चल रहा है, इसे लेकर के एक बड़ी खबर सामने आई है. बता दें कि एंटी करप्शन ब्यूरो जम्मू-कश्मीर ने परियोजना में देवरी पत्थरों के दुरुपयोग और घटिया सामग्री के इस्तेमाल को लेकर जांच शुरू कर दी है. श्रीनगर के लिए परियोजना को अप्रैल 2017 में क्षेत्र-आधारित विकास और सड़क और परिवहन सहित अन्य शहरी समाधानों के लिए 3535 करोड़ रुपये से अधिक के बजट के साथ मंजूरी दी गई थी. इसमें साइकिल ट्रैक, डल झील के सामने फुटपाथ और निशात से नसीम बाग पीएचसी तक व्यूइंग डेक शामिल हैं. जानिए क्या है पूरा मामला.
श्रीनगर स्मार्ट सिटी परियोजना
श्रीनगर की बहुचर्चित विकास परियोजना "श्रीनगर स्मार्ट सिटी परियोजना" का काम जांच के घेरे में है, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने दो कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने श्रीनगर शहर में देवरी पत्थरों, पथ टाइलों, लोहे की ग्रिल सहित सामग्री के दुरुपयोग का संकेत देने वाले विश्वसनीय इनपुट के बाद पुलिस स्टेशन भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो श्रीनगर में एक प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की है. संदेह है कि श्रीनगर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत पुनरुद्धार और सौंदर्यीकरण के दौरान सामग्री का या तो कोई हिसाब नहीं था या कथित तौर पर निजी लाभ के लिए खुले बाजार में बेच दिया गया था.
बता दें कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने श्रीनगर शहर में फोरशोर रोड निशात में चल रहे विकास कार्य में घटिया सामग्री के इस्तेमाल के संबंध में पुलिस स्टेशन भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो श्रीनगर में दूसरी प्रारंभिक जांच (पीई) संख्या 0.02/2025 दर्ज की है. इसमें साइकिल ट्रैक, डल झील के सामने फुटपाथ और निशात से नसीम बाग पीएचसी (सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र) तक व्यूइंग डेक शामिल हैं श्रीनगर स्मार्ट सिटी के अधिकारियों/कर्मचारियों ने लाभार्थी ठेकेदार के साथ मिलीभगत करके जानबूझकर अनिवार्य प्रक्रियाओं को टाला, जिससे काम की गुणवत्ता से समझौता हुआ.
मामले को लेकर सलमान सागर, विधायक हजरतबल, ने कहा कि "मुझे लगता है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और ऐसा नहीं होना चाहिए था, हमें पहले से ही इस बारे में संदेह था क्योंकि काम इतनी तेजी और जल्दबाजी में किया गया था और कई मानदंडों का उल्लंघन किया गया था, मैंने इस पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी जिसकी विरोधियों ने आलोचना की थी, मैंने कहा था कि यह स्मार्ट सिटी नहीं बल्कि एक छोटा शहर है, उन्होंने शहर को जर्जर बना दिया और यह सब बहुत ही घटिया तरीके से किया गया, आप इसे इस तरह से देखें कि निर्माण पहले से ही खराब स्थिति में है, पत्थर निकल रहे हैं, हमें कुछ भी बनाने से पहले सभी को साथ लेकर चलना चाहिए और सलाह लेनी चाहिए, उन्होंने पोलो व्यू मार्केट को बर्बाद कर दिया, ''
दी गई थी मंजूरी
श्रीनगर स्मार्ट सिटी परियोजना भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय (MOUD) परियोजना का हिस्सा है, श्रीनगर के लिए परियोजना को अप्रैल 2017 में क्षेत्र-आधारित विकास और सड़क और परिवहन सहित अन्य शहरी समाधानों के लिए 3535 करोड़ रुपये से अधिक के बजट के साथ मंजूरी दी गई थी.
स्थानीय निवासी मुनीर ने कहा "स्मार्ट सिटी परियोजना बहुत अच्छी तरह से काम कर रही थी क्योंकि उन्होंने शहर के कुछ हिस्सों का जीर्णोद्धार किया जिसमें क्लॉक टॉवर भी शामिल है. जो मुख्य आकर्षण बन गया है और अब भ्रष्टाचार के मामले सामने आने से सभी हैरान हैं आज के डिजिटल युग में इन अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. इन परियोजनाओं में हमारे टैक्स का पैसा खर्च हो रहा है और ये अधिकारी इन मामलों में भी भ्रष्टाचार कर रहे हैं, अगर इन अधिकारियों में थोड़ा भी डर होता तो ये ऐसा कभी नहीं करते, एलजी प्रशासन को इसकी जांच करनी चाहिए, इन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए''
जांच के आदेश
मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) साजिद यूसुफ भट और कार्यकारी अभियंता जहूर अहमद डार के खिलाफ आरोपों की एसीबी द्वारा जांच के बाद मामले दर्ज किए गए हैं. युसुफ भट पर आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(बी) सहपठित 13(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है, डार को आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(बी) सहपठित 13(2) के तहत अपराध करने में संलिप्त पाया गया है.
बता दें कि स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत शहरी विकास मंत्रालय (एमओयूडी) भारत सरकार द्वारा की गई थी, जिसमें शहरी नवीनीकरण और रेट्रोफिटिंग के लिए 100 शहरों का चयन किया जाना था.