Collegium System को लेकर कानून मंत्री के बयान पर SC ने नाराजगी जताई, कहा- ‘इससे गलत संदेश जाता है’
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Collegium System को लेकर कानून मंत्री के बयान पर SC ने नाराजगी जताई, कहा- ‘इससे गलत संदेश जाता है’

Kiren Rijiju: पिछले दिनों मीडिया को दिए बयान में कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि कॉलेजियम नहीं कह सकता कि सरकार उसकी तरफ से भेजा हर नाम तुरंत मंजूर करे, फिर तो उन्हें खुद नियुक्ति कर लेनी चाहिए.

Collegium System को लेकर कानून मंत्री के बयान पर SC ने नाराजगी जताई, कहा- ‘इससे गलत संदेश जाता है’

Supreme Court News: जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम को लेकर  कानून मंत्री किरण रिजिजू के बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई उच्च पद पर आसीन शख्स ऐसा बोलता है तो इससे गलत संदेश जाता है, उन्हें ऐसा नहीं बोलना चाहिए था.

सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसमें सुप्रीम कोर्ट  कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद जजों की नियुक्ति में देरी के मसले को उठाया गया था. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से विकास सिंह ने किरण रिजिजू के हालिया बयान का हवाला कोर्ट के सामने दिया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की.

किरण रिजिजू का बयान
पिछले दिनों मीडिया को दिए बयान में रिजिजू ने कहा था कि कॉलेजियम नहीं कह सकता कि सरकार उसकी तरफ से भेजा हर नाम तुरंत मंजूर करे, फिर तो उन्हें खुद नियुक्ति कर लेनी चाहिए.

NJAC को मंजूरी न देने के चलते नाराज़गी?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कोलेजियम की सिफारिशों पर फैसले में देरी को लेकर सरकार को फटकार भी लगाई. जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि क्या ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि कोर्ट ने जजों की नियुक्ति के लिए सरकार की व्यवस्था( नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन ) को स्वीकार नहीं किया.

जस्टिस कौल ने कहा कि हमने अपनी पीड़ा व्यक्त की है. ऐसा लगता है कि सरकार खुश नहीं है कि NGAC  को मंजूरी नहीं दी गई. क्या नामों को मंजूरी नहीं देने का यह कारण हो सकता है?

'सिफारिश को यूं पेंडिंग रहना ठीक नहीं'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की सिफारिशों को बिना वजह बताए यूं ही पेंडिंग नहीं रख सकते. जस्टिस कौल ने कहा कि कई ऐसी सिफारिश हैं, जो डेढ़ साल से भी ज़्यादा समय से पेंडिंग हैं. इन नामों को पहले 2019 में भेजा गया था, फिर 2021 में दोबारा भेजा गया. फिर सरकार अपनी मनमर्जी से जिस तरह कॉलेजियम की सिफारिशों पर फैसला ले रही है, उससे जजों की वरिष्ठता का क्रम प्रभावित हो रहा है. सरकार की ओर से देरी के चलते काबिल, युवा वकील की जज के रूप नियुक्ति नहीं हो रही है. जब हम युवा काबिल लोगों से उनकी सहमति के बारे में पूछते हैं तो उनकी आशंका रहती है कि क्या समय रहते उनकी नियुक्ति हो पाएगी.

AG और SG से उम्मीद
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अटॉर्नी जनरल और सॉलीसीटर जनरल हमारी इस चिंता से सरकार को अवगत कराएं. कृप्या इस मसले का कुछ समाधान निकालिए. हमे इस मसले पर कोई आदेश पास करने के लिए मज़बूर न करें. हम अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से उम्मीद करते हैं कि कोर्ट द्वारा स्थापित कानून पर अमल सुनिश्चित करें.

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