Kolkata Rape Case: CBI की एक 'चूक' और कोलकाता रेप केस के दो आरोपियों को मिल गई जमानत
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Kolkata Rape Case: CBI की एक 'चूक' और कोलकाता रेप केस के दो आरोपियों को मिल गई जमानत

Kolkata Rape Case: इन दोनों को जमानत तब दी गई जब इस मामले की जांच तक रही सीबीआई निर्धारित 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई. इस साल 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या का मामला सामने आया था.

Kolkata Rape Case: CBI की एक 'चूक' और कोलकाता रेप केस के दो आरोपियों को मिल गई जमानत

Kolkata RG Kar Hospital Rape Case: कोलकाता का आरजी कर अस्पताल रेपकांड तो आपको याद ही होगा. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. इस मामले में सियालदह की स्पेशल कोर्ट से अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला पुलिस स्टेशन के इंचार्ज अभिजीत मंडल को शुक्रवार को जमानत मिल गई है. 

इन दोनों को जमानत तब दी गई जब इस मामले की जांच तक रही सीबीआई निर्धारित 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई. इस साल 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या का मामला सामने आया था.

दोनों पर सबूत नष्ट करने का आरोप

सीबीआई अधिकारियों ने घोष और मंडल को 14 सितंबर को इस मामले में सबूतों को नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. इस मामले ने बंगाल समेत देश को हिलाकर रख दिया था. इसके बाद जूनियर डॉक्टरों ने बड़े स्तर पर प्रदर्शन किए थे, जिससे ममता बनर्जी सरकार भी बैकफुट पर आ गई थी. 

पीड़िता का शव आरजी कर मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वॉर्ड के सेमिनार हॉल में मिला था. 

शुक्रवार को जब मामला एडिशनल चीफ जूडिशल मजिस्ट्रेट की अदालत में आया तो सीबीआई के वकील ने बताया कि मामले में चार्जशीट तैयार करने के लिए सीबीआई को और वक्त चाहिए. इसके बाद जज ने दोनों आरोपियों को जमानत दे दी.

सीबीआई हिरासत में रहेंगे घोष

घोष सीबीआई की हिरासत में रहेंगे क्योंकि उन पर प्रिंसिपल के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान मेडिकल कॉलेज में कथित वित्तीय अनियमितताओं के एक अन्य मामले में भी आरोप है. 

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 15 दिनों की पुलिस हिरासत की अनुमति देती है, जिसे न्यायिक हिरासत की 60 या 90 दिनों की अवधि के शुरुआती 40 या 60 दिनों के दौरान भागों में ऑथराइज किया जा सकता है.

घोष और मंडल की भूमिका संदेह के घेरे में इसलिए आई  क्योंकि मामले में एफआईआर दर्ज होने से पहले ही पीड़िता का पोस्टमॉर्टम कर दिया गया था. अपनी सहकर्मी के लिए न्याय की मांग कर रहे डॉक्टरों ने आरोप लगाया था कि अस्पताल के अधिकारियों और कोलकाता पुलिस ने मिलकर मामले में सबूत नष्ट कर दिए हैं. 

पीड़िता का परिवार जांच से नाखुश

हालांकि तत्कालीन कोलकाता पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल ने आरोपों का खंडन किया था. मंडल पर एफआईआर दर्ज करने में देरी का आरोप लगाया गया था, जिस पर भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने सुनवाई के दौरान भी चर्चा हुई थी.

मंडल के वकील ने शुक्रवार को अदालत के बाहर बताया कि वह सुधार गृह से बाहर आ जाएगा, जहां उसे न्यायिक रिमांड पर रखा गया है. आरजी कर पीड़िता के परिवार के सदस्य मामले की जांच से नाखुश हैं क्योंकि सीबीआई ने मामले में कोई और गिरफ्तारी नहीं की है. पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के इकलौते आरोपी संजय रॉय का मुकदमा चल रहा है. सीबीआई को कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की जांच सौंपी गई थी.

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