Republic Day 2023: आजादी के ढाई साल बाद क्‍यों मिला भारत को राष्ट्र गान; संविधान सभा में फंसा था ये पेंच
Advertisement
trendingNow11541993

Republic Day 2023: आजादी के ढाई साल बाद क्‍यों मिला भारत को राष्ट्र गान; संविधान सभा में फंसा था ये पेंच

26 january fact: भारत 15 अगस्‍त 1947 को आजाद हो चुका था लेकिन हमारे देश को राष्ट्रीय गान आजादी के लगभग ढाई साल बाद मिला. ऐसा क्‍यों हुआ आइए जानते हैं.   

 Republic Day 2023: आजादी के ढाई साल बाद क्‍यों मिला भारत को राष्ट्र गान; संविधान सभा में फंसा था ये पेंच

74th Republic Day of India: जन गण मन, जिसे भारत का राष्ट्रीय गान बनाया गया लेकिन क्‍या आप जानते हैं देश जब आजाद हुआ था. उस समय आपे देश के पास कोई राष्ट्रीय गान नहीं था. इस गान को ढाई साल बाद 24 जनवरी 1950 के दिन राष्ट्रीय गान के रूप में स्‍वीकार किया गया. इसके पीछे बड़ी वजह यह थी कि संविधान सभा में इस मामले को लेकर लंबी बहस चली कि किस गान को राष्ट्रीय गान के रूप में स्‍वीकार किया जाए. ज्‍यादातर मुस्लिम तबका ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रगान के रूप में स्‍वीकार नहीं करना चाहता था. ऐसे में संविधान सभा के सदस्‍यों में 'जन गण मन’ और ‘वंदे मातरम' को लेकर पेंच फंसा हुआ था. जब बांग्‍लादेश बना, उस समय वहां भी रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित गान को ही राष्ट्रीय गान के रूप में स्‍वीकार किया गया. आइए जानते हैं इस इतिहास के बारे में. 

अमार शोनार बांग्ला भी लिखा  

ये बात तो ज्‍यादातर लोग जानते हैं कि हमारे राष्ट्र गान के रचियता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर थे, लेकिन आपको ये बात भी जानना चाहिए कि रवींद्रनाथ टैगोर ने न सिर्फ भारत का बल्कि बांग्लादेश का राष्ट्रगान यानी अमार शोनार बांग्ला भी लिखा था. इसके अलावा सबसे खास बात तो यह है कि श्रीलंका के राष्ट्रगान को लिखने वाले आनंद समरकून, गुरुदेव के शिष्य थे.

आजादी के समय नहीं था कोई राष्ट्र गान

आप जानकर चकित होंगे कि जब देश 15 अगस्त, 1947 के समय आजाद हुआ था. उस समय देश का अपना कोई राष्ट्र गान नहीं था. 'जन गण मन' की रचना रवींद्रनाथ टैगोर ने 1911 में की थी, लेकिन उस समय इसे 'भारत भाग्य विधाता' के नाम से जाना जाता था. बाद में इसका नाम बदला गया और जन गण मन कर दिया गया. इसके बाद संविधान को लागू करने के पहले यानी 24 जनवरी, 1950 को जन गण मन को भारत के राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार कर लिया गया. इस तरह देश को आजादी के ढाई साल बाद राष्ट्रगान मिला था.

मिला था नोबल पुरस्कार 

नोबल पुरस्कार 1901 से दिया जा रहा है. इस बीच 2021 तक 25 संस्थानों और 943 व्यक्तियों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. इनमें से सिर्फ 9 भारतीयों को ही नोबल पुरस्कार मिल पाया है, लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में किस शख्‍स को पहली बार नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था? ये शख्‍स कोई और नहीं बल्कि रवींद्रनाथ टैगोर थे. टैगोर जी पहले भारतीय थे जिन्‍हें नोबर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. साहित्य के क्षेत्र में टैगोर जी का अद्भुत योगदान था. 

पाठकों की पहली पसंद Zeenews.com/Hindi - अब किसी और की ज़रूरत नहीं.

Trending news