राजस्थान के इस सरकारी स्कूल में एडमिशन के लिए छात्र देखते हैं सपना, पिछले 8 सालों से रच रहा इतिहास
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राजस्थान के इस सरकारी स्कूल में एडमिशन के लिए छात्र देखते हैं सपना, पिछले 8 सालों से रच रहा इतिहास

मालपूरा का यह स्कूल आजादी से पहले अंग्रेजों के शासनकाल में स्थापित हुई थी. तब से लेकर आज तक इस स्कूल ने जितने कीर्तिमान रचे है वो राजस्थान के किसी दूसरे सरकारी विद्यालय ने आज तक नहीं रचे. स्कूल में शिक्षा और शिक्षण की कुछ इस तरह के इंतजाम किए हैं कि विद्यार्थियों को ना तो कोचिंग की जरूरत होती है ना ही कोई अन्य खर्चे की.

टोंक के इस सरकारी स्कूल में पिछले 8 सालों से राजस्थान में रचा इतिहास.

Tonk:राजस्थान में अक्सर सरकारी स्कूलों और उनके शिक्षकों की कार्यशैली पर सवाल उठते रहे हैं. कभी शिक्षक द्वारा छात्राओं से अश्लीलता को लेकर तो कभी शिक्षण व्यवस्था में लापरवाही को लेकर. जिसके चलते अभिभावकों का निजी स्कूलों की तरफ रूख जग जाहिर है,लेकिन आज हम आपको एक ऐसे सरकारी स्कूल की तस्वीर दिखाएंगे कि आप भी दांतों तले अंगुली दबा लेंगे.

अंग्रेजों के शासनकाल में स्थापित सरकारी स्कूल
दरअसल यह तस्वीरें टोंक जिले के मालपुरा की राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल की है. अब आप सोच रहे होंगे कि क्यों हम आपकों इतना जोर देकर खबर बता रहे हैं. दरअसल यह स्कूल आजादी से पहले अंग्रेजों के शासनकाल में स्थापित हुई थी. तब से लेकर आज तक इस स्कूल ने जितने कीर्तिमान रचे है वो राजस्थान के किसी दूसरे सरकारी विद्यालय ने आज तक नहीं रचे.

पिछले 8 सालों से राजस्थान में इतिहास रचा
टोंक के इस सरकारी स्कूल में पिछले 8 सालों से राजस्थान में इतिहास रचा है. दसवीं की मेरिट से लेकर 12वीं की बोर्ड में रिकॉर्ड रिजल्ट के साथ राजस्थान में फिर अव्वल आया है. मालपुरा के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल में जहां एडमिशन के लिए कई मापदंडों से होकर गुजरना पड़ता है तो वहीं उन मापदंडों पर एक बार फिर से जहां टीचर खरे उतरे हैं तो वहीं छात्र छात्राओं ने भी इतिहास रचा है .

मालपुरा का यह सरकारी स्कूल 70 साल से पूरे देश में चर्चित
टोंक जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर और जयपुर से करीब 80 किमी दूरी पर मालपुरा कस्बे में संचालित यह सरकारी स्कूल पिछले 70 सालों में राजस्थान के साथ पूरे देश में चर्चित है. चर्चा इस वजह है कि यहां पढ़ने के लिए विद्यार्थियों को अपनी योग्यता की परीक्षा प्रवेश पूर्व ही देनी होती है. इस स्कूल के प्रधानाध्यापक गिरधर ने इस स्कूल में शिक्षा और शिक्षण की कुछ इस तरह के इंतजाम किए हैं कि विद्यार्थियों को ना तो कोचिंग की जरूरत होती है ना ही कोई अन्य खर्चे की.

एडमिशन के लिए देनी पड़ती है टेस्ट
साल 2013 में जहां 10 वीं बोर्ड में यहां के एक छात्र ने राजस्थान में टॉप क्या किया उसके बाद तो यहां विद्यार्थियों के प्रवेश के लिए कतारें लग गई. जयपुर, अजमेर,भीलवाड़ा और सीकर जिलों तक के विद्यार्थी यहां प्रवेश लेकर अपना भविष्य संवार रहे हैं. इस वर्ष भी 12 वीं बोर्ड परीक्षा के परिणामों में साइंस और कॉमर्स के विद्यार्थियों ने रिकार्ड बनाया है. कामर्स का जहां 100 फीसदी परिणाम रहा, वहीं साइंस वर्ग का 88 फीसदी परिणाम आने से हर कोई उत्साहित हैं. 

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प्रधानाध्यापक विदेशों के शिक्षा स्तर का ले चुके हैं जायजा
वहीं बोर्ड परीक्षा परिणाम में अव्वल आने वाले छात्र छात्राओं को स्कूल प्रबंधन ने सम्मानित किया है. आपको बता दें स्कूल के प्रधानाध्यापक गिरधर द्वारा किए जाने वाले नवाचारों को जानने और समझने के लिए देश के कई राज्यों के शिक्षक और शिक्षा विभाग के अधिकारी यहां का दौरा कर चुके हैं. इतना ही नहीं गिरधर दुनिया के कई देशों में जाकर शिक्षा का स्तर देख चुके है. दूसरे देशों में किस तरह से शिक्षा दी जाति है इसके लिए भी सरकार ने उन्हें विदेश यात्रा हाल ही में करवाई है. वहीं प्रधानाध्यापक गिरधर के प्रयासों को स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा भी सराहना की जाती है.

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