माउण्ट आबू: आस्था के 52 शक्ति पीठ, अधर देवी शक्ति पीठ में मां के होठों की अराधना
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माउण्ट आबू: आस्था के 52 शक्ति पीठ, अधर देवी शक्ति पीठ में मां के होठों की अराधना

 देशभर में मां के दर्शन के लिए 52 शक्ति पीठ स्थापित है.

माउण्ट आबू: आस्था के 52 शक्ति पीठ, अधर देवी शक्ति पीठ में मां के होठों की अराधना

 Sirohi: देशभर में मां के दर्शन के लिए 52 शक्ति पीठ स्थापित है. शारदीय व चैत्र नवरात्र में भक्तजन अपने कामनाओं को लकर मां के दरबार में धोक लगाते हैं, लेकिन माउंट आबू के अर्बुदा देवी मंदिर जो कि मां के छठवे स्वरूप मां कात्यायनी का स्वरूप माना जाता है, उसके दरबार में गुजरात सहित राजस्थान से पूरे चैत्र नवरात्र के 9 दिनों तक पैदल यात्रा संघ निरंतर आते रहते हैं. साथ ही जिसकी भी मनोकामना पूर्ण होती है. वह अपने सपरिवार भी मां के दर्शन के लिए आते रहते हैं.

माउण्ट आबू में अधर देवी के नाम से जो शक्ति पीठ स्थापित है.यहां पर माना जाता है कि जब शती के 52 टुकड़ें तांड़व नृत्य करते हुए थे. उसमें मां के होठ (संस्कृत में होठ को अधर कहते हैं.) यहां पर ठीक इसी स्थान पर गिरें थे. विशाल गुफा में प्राकृतिक रूप में यहां पर मां की प्राकृतिक मूर्ति स्थापित है.

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स्कन्द महापुराण में मंदिर का है वर्णन

जिसकी तस्वीर लेने के लिए आज तक किसी को अनुमति नहीं मिली है और दर्शनार्थी व श्रद्धालु भक्तजन जब इस मंदिर में सैकड़ों मीटर की यात्रा के पश्चात् 350 सीढ़ियों को चढ़कर के मां के दर्शन के लिए आते हैं तो उन्हें अपने मोबाइल, कैमरा व अन्य सभी सामान पर्स, चश्मा आदि मंदिर के बाहर ही जमा कराना पड़ता है और बाद में टोकन लेकर उन्हें मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश मिलता है. वेद व्यास जी के द्बारा रचित ग्रंथ स्कन्द महापुराण के प्रभास खंड़ में अति प्राचीण मंदिर का वर्णन है.

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नवरात्रों में अखंड पाठ का आयोजन

माउण्ट आबू में यो तो अनैक ऋषि मुनियों ने सदियों से शक्ति साधना की है, लेकिन यहां पर ख्यातनाम ऋषि वेद व्यास भी आए थे और उन्होंने यहां पर कई ग्रंथों को बैठकर लिखा है. जो सर्व प्रामाणिक ग्रंथ है. उसमें से एक है स्कन्द महापुराण. इसी स्कन्द महापुराण के अर्बुद खंड़ और इसी अर्बुद खंड़ के सोलहवें अध्याय में इस प्राचीणतम मंदिर को 5500 वर्ष से भी अधिक पुराना बताया गया है. साथ ही यहां पर मां के होठ गिरने का वर्णन है. इसलिए मां कात्यायनी के रूप में नवरात्र की चतुर्दशी व छठ को यहां पर मां का विशेष श्रृंगार व दर्शन होते हैं. सिद्ध साधक पूरें नवरात्र में यहां पर आकर अपनी वाचा जिव्हा की सिद्धि के पूजन व तपस्या भी करते है.अष्टमी की रात्रि में महायज्ञ होता है,जो नवमी के सुबह तक पूर्ण होता है.वर्ष पर्यन्त यहां पर मां दुर्गा सप्तशती का पाठ आचार्य व ब्राह्मणों के द्बारा सुबह व शाम को किया जाता है. नवरात्रों में पूरें दिन व रात्रि में अखंड़ पाठ होता है.

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चौधरी समाज की कुल देवी हैं मां अधर देवी
माउण्ट आबू की शक्ति पीठ में विराजित मां अधर देवी जहां पर मां के होठ गिरे थे. उसे प्रदेश के राजपूत, परमार, आजंणा, जैन समाज के कुछ गौत्रों समेत गुजरात के चौधरी समाज के लोगों नेअपनी कुल देवी माना है और आज इन्हीं समाजों से सैकड़ों लोग यात्रा संघ के रूप में माउण्ट आबू में मां के दर्शन के लिए आते हैं.

मनोकामना पूर्ण होने पर आते हैं श्रद्धालु

नवरात्र के दौरान तो इस स्थान पर यात्रा संघों का निरन्तर आवागमन बना सा रहता है.और माना जाता है कि यहां पर आने से दुखी लोगों की  मां अंतकरण से पुकार सुनकर जल्द ही उनकी मनोकामना पूर्ण कर देती है.इसलिए मुख्यतया यह भी देखा जाता रहा है. जल्द ही मनोकामना पूर्ण होने पर सैकड़ों श्रद्धालु पुनः यहाँ आते हैं.

रिपोर्टर- साकेत गोयल

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