Rajasthan Assembly By Election 2024 : राजस्थान में लोकसभा चुनाव के बाद अब उपचुनाव की तैयारी जारी है. लेकिन कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी को न जानें क्यों विधानसभा की कार्यवाही के दौरान ही ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता की याद आ गयी. जिसको लेकर श्री राजपूत समाज और करणी सेना से लेकर खाचरियावास और मानवेंद्र सिंह तक निंदा कर चुके हैं और अब हरीश चौधरी से माफी मांगने की मांग की जा रही है. चलिए बतातें है इस कविता में ऐसा क्या है, जो सियासी पारा चढ़ गया है.
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Rajasthan Assembly By Election 2024 : राजस्थान में लोकसभा चुनाव के बाद अब उपचुनाव की तैयारी जारी है. लेकिन कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी को न जानें क्यों विधानसभा की कार्यवाही के दौरान ही ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता की याद आ गयी. जिसको लेकर श्री राजपूत समाज और करणी सेना से लेकर खाचरियावास और मानवेंद्र सिंह भी निंदा कर चुके हैं और अब हरीश चौधरी से माफी मांगने की मांग की जा रही है. चलिए बतातें है इस कविता में ऐसा क्या है, जो सियासी पारा चढ़ गया है.
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चलिए बताते हैं आपको कि ठाकुर का कुंआ कविता आखिर है क्या-
चूल्हा मिट्टी का, मिट्टी तालाब की, तालाब ठाकुर का.
भूख रोटी की, रोटी बाजरे की, बाजरा खेत का, खेत ठाकुर का.
बैल ठाकुर का, हल ठाकुर का, हल की मूठ पर हथेली अपनी,
फसल ठाकुर की. कुआं ठाकुर का, पानी ठाकुर का, खेत-खलिहान ठाकुर के,
गली-मोहल्ले ठाकुर के फिर अपना क्या?
ओमप्रकाश वाल्मीकि की ये कविता दलित किसानों के शोषण के बारे में बताती है. ओमप्रकाश वाल्मीकी जो दलित किसान परिवार में जन्मे थे और प्रेमचंद के उपन्यासों से प्रभावित थे. कई ऐसी रचनाएं लिख चुके थे. जिसमें समाज के शोषित वर्ग के बारे में बताया जाता था. कुलमिलाकर ये कविता जातिगत सोच को दर्शाती है. ऐसे में सदन में इस कविता को पढ़ना समझ से परे हैं. खैर आपको बता दें कि हरीश चौधरी के कविता वाले बयान को विधानसभा की कार्यवाही से हटा दिया गया था.
बात करें राजस्थान में उपचुनावों की तो बीजेपी के लिए ये उपचुनाव खुद को फिर से साबित करने जैसा होगा. बीजेपी के आलाकमान के पास राजस्थान में लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से मिल शिकस्त के बाद रिपोर्ट पहुंच चुकी है. ऐसे में पार्टी इन 5 सीटों पर जीत का मास्टर प्लान के मुताबिक काम जारी है.
राजस्थान की 5 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव
खींवसर- हनुमान बेनीवाल
चौरासी- राजकुमार रोत
झुंझुनूं- बृजेंद्र सिंह ओला
देवली उनियारा- हरिश्चंद मीणा
दौसा- मुरारी लाल मीणा
देवली उनियारा और दौसा सीट
मीणा और गुर्जर बाहुल्य इस सीट पर, कांग्रेस जीत को पक्का मान रही है. वजह है इन दोनों ही सीटों पर सचिन पायलट का खास प्रभाव होगा. दौसा लोकसभा सीट भी कांग्रेस के नाम ही रही है.
चौरासी विधानसभा सीट
इस सीट पर राजकुमार रोत जीत कर दो बार विधायक रह चुके हैं. आदिवासी इस सीट पर BAP की पकड़ बहुत मजबूत है. ऐसे में यहां बीजेपी के लिए मुश्किलें ज्यादा बढ़ सकती है.
झुंझुनूं विधानसभा सीट
कांग्रेस की परंपरागत सीट पर कांग्रेस आखिरीबार 2003 में हारी थी और सुमित्रा सिंह ने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की थी. इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सीट पर कब्जा किया है.
खींवसर विधानसभा सीट
इस बार बेहद कम मार्जन से जीते हनुमान बेनीवाल की इस जाट बाहुल्य सीट पर पकड़ है. चार बार बेनीवाल इसी सीट से जीतें है. लेकिन अब देखना ये हैं कि क्या कांग्रेस के साथ आरएलपी इस सीट पर समझौता करेगी या कांग्रेस अपना उम्मीदवार नहीं उतारेंगी. इस सबके बीच बीजेपी के लिए यहां कड़ी चुनौती होगी. ये भी पढ़ें - क्या जाट राजनीति में एकाधिकार चाहते हैं हनुमान बेनीवाल ?