पहले मन्त्री अशोक चांदना और उसके बाद मन्त्री का दर्जा हासिल मेवाराम जैन सड़क पर उतरते दिख रहे हैं
Trending Photos
Ashok Gehlot Government: जनता का साथ या सरकार का रसूख, दोनों में से भारी और असरदार ताकत कौनसी है?, ऐसे सवाल के जवाब में आमतौर पर जवाब सरकार के रसूख के पक्ष में ज्यादा हो सकते हैं. लेकिन सरकार के रसूख के पीछे आखिर कौनसी ताकत काम करती है? यह सवाल इसलिए क्योंकि इन दिनों प्रदेश के दो अलग-अलग हिस्सों में सरकार में बैठे लोग जनता के साथ सड़क पर उतरते दिखे हैं. पहले मन्त्री अशोक चांदना और उसके बाद मन्त्री का दर्जा हासिल मेवाराम जैन. जी हां अब मेवाराम जैन सरकार के अधिकारियों यानि संतरियों की कार्यशैली को लेकर सड़क पर उतरते दिख रहे हैं. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या प्रदेश में सन्तरी और मन्त्री आमने सामने हैं?
जनता तो जनार्दन होती है. और अगर साल चुनावी हो तो जनता की हर बात सर माथे और उसका हर दर्द नेता को अपनी पीड़ा जैसा ही दिखता है. हाल ही राजस्थान के दो अलग ज़िलों में हुए घटनाक्रम से तो ऐसा ही लगता है. दरअसल बूंदी में मन्त्री अशोक चांदना ने जनता के लिए धरना दिया तो अब बाड़मेर से विधायक, राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष और सरकार में मन्त्री का दर्जा हासिल मेवाराम जैन भी कमर कस रहे हैं. अब मेवाराम जैन ने पेयजल की समस्या को लेकर धरने पर बैठने का ऐलान किया है. मेवाराम का कहना है कि पिछले तीन महीने से बाड़मेर शहर और ग्रामीण इलाकों में लगातार पेयजल समस्या बढ़ती जा रही है. शुक्रवार को पेयजल समस्या से परेशान कई महिलाएं मेवाराम जैन के कार्यालय पहुंची और विधायक को खरी-खोटी भी सुनाई.
जनता की पीड़ा से और कभी नेता को दर्द हो या ना हो, लेकिन चुनावी साल में ज़रूर यह पीड़ादायक हो सकता है. लिहाजा पानी के संकट से जनता के सामने पानी-पानी हुए मेवाराम जैन ने बाड़मेर कलक्टर को फोन किया, और पीएचईडी के अफसरों की कार्यशैली पर सवाल उठाये. मेवाराम ने इस मुद्दे पर सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर जलदाय विभाग के अधिकारियों के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए 15 सितंबर से धरने पर बैठने की चेतावनी दी है.
इससे पहले सरकार के खेल मन्त्री अशोक चांदना ने भी बूंदी में किसानों की समस्या उठाते हुए बिजली विभाग के खिलाफ़ धरना दिया. मन्त्री का धरना हुआ तो सरकार भी जागी. एसई जगदीश प्रसाद बैरवा को एपीओ किया गया और आज तक की किसानों की शिकायतों की पेन्डेन्सी ट्रांसफॉर्मर के साथ दूसरे मामलों में भी खत्म करने की बात कही गई. अपनी मांगों का समाधान होने के बाद मन्त्री ने भी बिजली विभाग के खिलाफ़ दिया धरना खत्म कर दिया.
सरकार के एक मन्त्री ने धरना दिया तो सरकारी कारिन्दों पर गाज भी गिरी और किसानों की समस्याओं का समधान भी हुआ. , अब भले ही दर्जा प्राप्त हों, लेकिन दूसरे मन्त्री पानी की समस्या को लेकर धरना देने की तैयारी कर रही हैं. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या सरकार के सन्तरी केवल सुनवाई तभी करेंगे जब मन्त्री धरना देंगे? सवाल यह भी कि इस तस्वीर से अधिकारियों की नाफरमानी या नाकारपन उजागर होता है, या मन्त्रियों का जनहितैषी चेहरा दिखता है? इस बीच सवाल यह भी कि क्या यह चुनावी साल में मन्त्रियों का इलेक्शन स्टंट तो नहीं? और अगर ऐसा है तो क्या, ये पब्लिक सब जानती है?
ये भी पढ़ें-
राजस्थान में कांग्रेस को झटका, चुनावों से ऐन पहले 12 लोगों ने छोड़ा साथ, बीजेपी में शामिल
राजस्थान के इस दंबग SP की सीएम अशोक गहलोत ने थपथपाई पीठ, जानिए ऐसा क्या किया कमाल