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नागौर: रियांबड़ी उपखण्ड के ग्राम जसनगर स्थित प्राचीन शिवालय का पुरातत्व विभाग के छ: सदस्यों की टीम ने जसनगर के स्थापत्य कला के शिव मंदिर का बरीकी से अवलोकन किया. जसनगर में सोमवार को पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग उप निदेशक कृष्णकांता शर्मा, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग अजमेर के अधीक्षक डॉ विनीत गोदल, मुद्रा विशेषज्ञ प्रिंस कुमार, सहायक अभियंता सुभाष कुमार, पुरातत्व एवं पर्यटन विशेषज्ञ नरेंद्रसिंह ने स्थापत्य कला से नौवीं और दसवीं सदी के दौरान निर्मित यह मंदिर वास्तुशिल्प एवं स्थापत्यकला की दृष्टि से इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण शिव मंदिर है.
नागर शैली में बना यह मंदिर समकालीन मंदिर वास्तुशिल्प से युक्त गर्भगृह,अंतराल, सभा मंडप आदि संपूर्ण अवयवों से युक्त हैं. गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है जो कि इस क्षेत्र का सबसे बड़ा शिवलिंग माना गया है. इसी के साथ त्रिमूर्ति ब्रह्म की मूर्ति तथा बह माता की मूर्ति भी काफी विशेषता लिए हुए हैं. गर्भगृह का प्रवेश द्वार 6 शाखाओं से निर्मित है, जिनमें लता पत्र बिजोरा कुसुमलता से अलंकृत हैं. मुख्य द्वार के दाई और गंगा और वाहिनी यमुना व रामायाण , महाभारत के प्रसंग से जुड़ी दृश्य को मूर्तियों के माध्यम से सुंदर अंकन किया हुआ है.
मंदिर को दुरस्त करने के लिए टीम का दौरा
इस मंदिर का शोभा सभा मंडप 24 स्तंभों पर टिका हुआ है. इन पर कीर्ति गट पल्लव जंजीर युक्तियां आदि चित्र बने हुए हैं. इस मंदिर में कई शिलालेख भी उत्तीर्ण किए हुए हैं. सामाजिक कार्यकर्ता डूगरदास वैष्णव ने पुरातत्व विभाग के छ: सदस्यों की टीम को बताया कि लम्बे अरसे से वर्षा के मौसम में शिव मंदिर के विभिन्न स्थानों पर पानी टपकता, तेज बारिश के दौरान शिखर को तिरपाल से ढक्कर ग्रामीणों द्वारा बचाव किया जाता है. ग्रामीणों ने शिव मंदिर के मुख्य शिखर की ऊचाई बढ़ाना, सभा मंडप की मरमम्त, चारो तरफ बनी चबूतरी की मरमम्त व विशेषकर सम्पूर्ण शिव मंदिर का रसायन उपचार कराने की मांग की.
Reporter- Damodar Inaniya