Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद से ही राजस्थान की जालौर लोकसभा सीट की खूब चर्चा हो रही है. इस सीट से जहां कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के पुत्र वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot) चुनाव लड़ रहे हैं, तो वहीं, बीजेपी ने लुंबाराम चौधरी (Lumbaram Chaudhary) पर दांव खेला है.
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Rajasthan Lok Sabha Election 2024 : राजस्थान लोकसभा चुनाव 2024 (Rajasthan Lok Sabha Election 2024) को लेकर सभी पार्टियों ने कसरत शुरू कर दी है. जहां बीजेपी राजस्थान के अपने 15 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर चुकी है. वहीं, कांग्रेस ने भी 12 मार्च को अपनी दूसरी लिस्ट जारी कर अब तक 10 उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगा दी है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है, कि आखिर राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot) को जोधपुर लोकसभा सीट से हटाकर जालौर से क्यों चुनाव लड़वाया जा रहा है? वहीं, वैभव के खिलाफ बीजेपी ने लुंबाराम चौधरी (Lumbaram Chaudhary) पर दांव खेला है.
क्यों है बहस का मुद्दा
जालौर लोकसभा सीट पर बहस का सबसे बड़ा मुद्दा Vaibhav Gehlot का यहां से चुनाव लड़ना है. बता दें, कि उन्होंने साल 2019 में जोधपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें गजेंद्रसिंह शेखावत ने 2,74,440 मतों से हराया था. पौने तीन लाख वोटों से मिली करारी हार के बाद कांग्रेस उन पर जोधपुर में दोबारा दांव नहीं खेल सकती थी. यही मुख्य कारण है, कि उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में जालौर से प्रत्याशी बनाया गया है.
बिना मालिक का इलाका
राजस्थान की जालौर लोकसभा सीट पर पिछले चार बार से चुनाव जीतती आ रही है. राजनीतिक जानकारों का कहना है, कि जालौर से 2004 में सुशीला बंगारू चुनी गईं. इसके बाद तीन सोकसभा चुनावों में 2009, 2014 और 2019 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी देवजी पटेल लोकसभा पहुंचे.
वहीं, जानकारों का कहना है, कि इस इलाके को हमेशा से खालसा यानी बिना किसी मालिक का इलाका माना जाता है. यानी, जालौर लोकसभा सीट से जिसका दिल करता है, वह टिकट लेकर यहां चुनाव लड़ता है, और जीतकर चला जाता है. एक यह भी करण हो सकता है, कि कांग्रेस ने यहां से वैभव गहलोत को चुनाव लड़वाया हो.
जालौर में बाहरी नेताओं ने मारा मैदान
जालौर लोकसभी सीट का इतिहास बहुत खास रहा है. यहां से बाहरी नेताओं ने चुनाव लड़ कर लोकल लीडर्स की हार का स्वाद चखाया है. बताया जाता है, कि कांग्रेसी नेता बूटा सिंह पंजाब से यहां आकर चुनाव जीत चुके हैं. इतना ही नहीं, साल 1998 में बूटा सिंह यहां से निर्दलीय भी चुनाव जीत चुके थे. राजनीतिक विश्लेषकों के लिए यह अश्यर्च की बात है, कि जातिप्रेम में ओत-प्रोत होने के बावजूद एक सिख प्रत्याशी बूटा सिंह को चार बार लोकसभा पहुंचाया. इसी तरह भारतीय जनता पार्टी के नेता बंगारू लक्ष्मण की पत्नी बी सुशीला भी साल 2004 के लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं.