Rajasthan Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को लेकर बीजेपी ने राजस्थान के अपने 15 और कांग्रेस ने 10 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. लेकिन इस समय जालोर लोकसभा सीट पर खूब चर्चा हो रही है. जहां से कांग्रेस के वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot) और बीजेपी उम्मीदवार लुंबाराम चौधरी (Lumbaram Chaudhary) के बीच टक्कर होने जा रही है.
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Loksabha Election 2024: राजस्थान लोकसभा चुनाव 2024 (Rajasthan Lok Sabha Election 2024) को लेकर सभी पार्टियों ने कसरत शुरू कर दी है. जहां बीजेपी राजस्थान के अपने 15 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर चुकी है. वहीं, कांग्रेस ने भी सोमवार (12 मार्च 2024) को अपनी दूसरी लिस्ट जारी कर अब तक 10 उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगा दी है.
दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों के नाम सामने आने के बाद कुछ चेहरों पर खूब चर्चा हो रही है. इन्हीं में से एक राजस्थान की जालोर लोकसभा सीट है. इस सीट से जहां कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के पुत्र वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot) चुनाव लड़ रहे हैं, तो वहीं, बीजेपी ने लुंबाराम चौधरी (Lumbaram Chaudhary) पर दांव खेला है.
जालोर में 'आम' और 'खास' के बीच लड़ाई
बीजेपी ने जब राजस्थान के 15 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की, तब जालोर सीट के प्रत्याशी लुंबाराम चौधरी के नाम की खूब चर्चा हुई. उनके बारे में बताया जाता है, कि वो बहुत ही सरल-सहज मिजाज के नेता हैं. लोग बताते हैं, कि जब लुंबाराम चौधरी को लोकसभा का टिकट मिला, तो वो बाइक पर लोगों से संपर्क करने निकल पड़े थे. जिसके बाद से वो एक बार फिर चर्चा में आ गए थे.
वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस के प्रत्याशी वैभव गहलोत हैं. जो राजस्थान का बड़ा नाम हैं. दरअसल, 2019 में वैभव गहलोत को जोधपुर से चुनाव लड़वाया गया था, लेकिन वो वहां से चुनाव हार गए थे, जिसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें जालोर से उतारा है. वैभव को जालोर से टिकट मिलने के बाद लोगों के बीच चर्चा है, कि राजस्थान की इस सीट में 'आम' और 'खास' के बीच लड़ाई है. अब देखना ये है, कि जालोर की जनाता किस नेता पर मेहरबान होती है.
कौन हैं लुंबाराम चौधरी
जानकारी के अनुसार, लुंबाराम चौधरी किसान परिवार से आते हैं. 10वीं तक पढ़े लुंबाराम 1982 से राजनीति में सक्रिय हुए. इस दौरान उन्हें मीरपुर का बूथ प्रभारी बनाया गया. बताया जाता है, कि इसके बाद वो किसान मोर्चा देहात अध्यक्ष भी रहे. यहां से उन्होंने राजनीतिक ऊंचाइयां छूनी शुरू की. इसके बाद लुंबाराम तीन बार जिलाध्यक्ष और प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भी रह चुके हैं.
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